Selja बोलीं : गठबंधन सरकार राजकीय बहुतकनीकी संस्थानों व आईटीआई को लेकर नहीं गंभीर

Selja बोलीं : गठबंधन सरकार राजकीय बहुतकनीकी संस्थानों व आईटीआई को लेकर नहीं गंभीर
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  • अतिरक्ति चार्ज से चला रहे काम, प्लेसमेंट ऑफिसर तक के पद पड़े खाली
  • 9 साल में राष्ट्रीय स्तर का नहीं खोला कोई नया संस्थान

Haryana : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार तकनीकी शिक्षा के खात्मे के लिए षड्यंत्र रच रही है। प्रदेश में स्थित सरकारी आईटीआई और राजकीय बहुतकनीकी संस्थानों को लेकर किसी भी स्तर पर गंभीरता नजर नहीं आ रही। इसलिए इनमें से अधिकतर में न तो स्थाई प्राचार्य हैं और न ही प्लेसमेंट ऑफिसर के पद भरे जा रहे। तकनीकी उच्च शिक्षा के लिए पिछले 9 साल में राष्ट्रीय स्तर का कोई नया संस्थान नहीं खोला।

उन्होंने कहा कि आईटीआई को उद्योगों की वर्क फोर्स की मांग पूरी करने के लिहाज से बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है। इनमें प्रदेश में स्थित उद्योगों की मांग के अनुरूप छात्रों को ट्रेंड किया जाता है, साथ ही उन्हें स्वरोजगार के मामले आत्मनर्भिर बनाने की दिशा में भी कार्य किया जाता है। लेकिन भाजपा की अगुवाई वाली सरकार 2014 से लेकर अब तक एक भी नई सरकारी आईटीआई नहीं खोल पाई है। जिन आईटीआई में युवाओं को कौशल विकास में पारंगत करने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, वहां आज भी 57 प्रतिशत स्टाफ की कमी बनी हुई है। सरकार के दावों का पता सिर्फ इसी बात से भी चलता है कि टेक्निकल ट्रेनिंग सेंटर में से अधिकतर में मुखिया ही नहीं है। प्रदेश के 22 जिलों में से एक में भी अप्रेंटिसशिप प्लेसमेंट ऑफिसर नहीं है। ऐसे में कोर्स पूरा होने के बाद छात्रों की प्लेसमेंट हो ही नहीं सकती।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के 26 सरकारी बहुतकनीकी संस्थानों (पॉलिटेक्निक) में नियमित प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य व प्लेसमेंट ऑफिसर तक नहीं हैं। कई बहुतकनीकी संस्थान तो ऐसे हैं, जिनमें अभियांत्रिकी व गैर अभियांत्रिकी संकायों में विभागाध्यक्ष भी नहीं हैं। प्रदेश सरकार खाली पड़े पदों को पदोन्नति से भरने में भी नाकाम ही रही है। जबकि, सरकारी बहुतकनीकी संस्थानों से 50 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं का भविष्य जुड़ा हुआ है। गठबंधन सरकार को तकनीकी शिक्षा को बढ़ाने के लिए किए जा रहे बड़े-बड़े दावों पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। क्योंकि, पिछले 9 साल में न तो कोई नई सरकारी आईटीआई खुली है, न ही कोई राजकीय बहुतकनीकी संस्थान खुला।

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