Selja बोलीं : एचसीएस की प्रारंभिक परीक्षा एक बार फिर निष्पक्ष कराने में विफल सरकार

Haryana : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा (Kumari Selja) ने कहा कि हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) की निष्पक्षता एक बार फिर एचसीएस की भर्ती परीक्षा कराने के मामले में संदेह के घेरे में आ गई है। पिछली बार की परीक्षा में पूछे सवाल इस बार फिर पूछे जाने से साफ है कि किसी बड़े भर्ती कांड की नींव रखी जा चुकी है। भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को एचपीएससी को तुरंत प्रभाव से भंग कर देना चाहिए। वहीं, रोडवेज में कंडक्टर को ठेके पर रखने की बजाय, इनकी सीधे नियमित भर्ती की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि एचसीएस एग्जीक्यूिटिव ब्रांच की भर्ती के लिए पिछले दिनों प्रारंभिक परीक्षा ली गई। इसकी आंसर-की जारी होते ही परीक्षार्थियों ने एचपीएससी के समक्ष अपनी आपत्ति जतानी शुरू कर दी हैं। इनका कहना है कि सी सेट की परीक्षा को पास करने के लिए 33 सवालों के ठीक जवाब चाहिएं, लेकिन जो पेपर आया, उसमें पिछली बार की परीक्षा के करीब 40 प्रश्न दिए गए थे। इससे साफ है कि चहेतों को परीक्षा पास कराने के लिए ऐसा किया गया। यह पहला मौका नहीं है, जब एचसीएस भर्ती को लेकर विवाद उठा हो। इससे पहले एचसीएस का पेपर क्लीयर कराने की एवज में करोड़ों रुपये के लेनदेन की सूचनाएं भी बाहर आई थी। एचपीएससी के एक डिप्टी सेक्रेटरी को नोटों से भरे सूटकेस के साथ पकड़ा गया था। उस समय डेंटल सर्जन और एचसीएस की परीक्षा पास कराने की एवज में राशि लिए जाने की बात उन्होंने स्वीकार की थी।
उन्होंने कहा कि जो आयोग किसी भी भर्ती परीक्षा की निष्पक्षता को बरकरार नहीं रख सकता, उसे भर्ती प्रक्रिया को चालू करने का कोई अधिकार नहीं है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि तुरंत प्रभाव से आयोग के चेयरमैन और सदस्यों के खिलाफ पेपर लीक का मामला दर्ज कराते हुए आयोग को भंग करे। क्योंकि, इससे लाखों परीक्षार्थियों को मानसिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने हरियाणा कौशल रोजगार निगम के नाम से नौकरी बेचने की एक और दुकान खोल दी है। जिसमें बिना किसी अनुभव, जरूरी योग्यता या नियमों का पालन किए चहेतों को ठेके की नौकरियां बांटी जा रही हैं। कंडक्टर भर्ती को लेकर जो नियम, योग्यता आदि फॉलो किए गए हैं, उन्हें सार्वजनिक किया जाना चाहिए। साथ ही दूसरे प्रदेशों के युवाओं को सामाजिक, आर्थिक आधार पर अतिरिक्त अंक देने का फैसला वापस लेना चाहिए।
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