66 प्राइमरी स्कूलों के जर्जर भवनों का होगा जीर्णोद्धार, आगे पढ़ें

हरिभूमि न्यूज.भिवानी
भय के साए में भविष्य संवारने वाले लाडलों के लिए राहत भरी खबर। जिले के 66 प्राइमरी स्कूलों के जर्जर भवनों का जीर्णोद्धार होने जा रहा है। शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों के जर्जर भवनों की मरम्मत के लिए सवा 11 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। खास बात ये रहेगी कि इन स्कूलों के भवनों की मरम्मत पर खर्च एक नियुक्त कमेटी के माध्यम से किया जाएगा। साथ ही कार्य होने के बाद यूसी (युटीलाजेशन सर्टिफिकेट ) जारी करने के बाद ही अगली किस्त जारी होगी। इस बारे में शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी कर दिए है।
शिक्षा विभाग ने जिले के 66 प्राइमरी स्कूलों की मरम्मत, अतिरिक्त कमरे व अन्य निर्माण के लिए 11 करोड़ 33 लाख रुपये के आसपास राशि का बजट जारी किया है। यह बजट उन स्कूलों के भवनों के लिए है। जो पिछले कई दिनों से जर्जर है और कंडम भी घोषित किए जा चुके है। इस राशि के तहत इन स्कूलों के भवनों की मरम्मत होगी। जिन प्राथमिक पाठशालाओं में कमरे कम है तो उन स्कूलों में अतिरिक्त कमरे आदि बनवाए जाने की योजना है। इनके अलावा अगर इन स्कूलों में कोई स्टोर रूम या अन्य कोई भवन भी बनाया जा सकता है। इस बारे में शिक्षा विभाग ने अधिकारियों को दिशा.निर्देश जारी कर दिए है।
कमेटी की देखरेख में होगा निर्माण कार्य
शिक्षा विभाग ने भेजे निर्देशों में कहा कि जिन स्कूलों के जर्जर भवन है और जिनके लिए बजट अलॉट किया है। स्कूलों में मुखिया एक कमेटी का गठन करें। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि कमेटी में कौन- कौन शामिल किए जाएंगे,लेकिन यह तय है स्कूल मुखिया के अलावा चार अन्य लोगों को शामिल किया जाएगा। इनमें शिक्षकों के अलावा ग्रामीण भी शामिल है। कमेटी की देखरेख में ही निर्माण कार्य करवाया जाएगा। दूसरी तरफ शिक्षा विभाग ने निर्देशों में कहा है कि पहले भेजी गई किस्त को निर्माण कार्य में खर्च किया जाए। उसका यूसी लेकर शिक्षा विभाग के मुख्यालय भेजा जाए। उसी के बाद ही विभाग अगली किस्त जारी करेगा। यूसी जारी न करने पर उस स्कूल के बजट की अगली किस्त जारी नहीं होगी। अगर इस मामले में किसी स्कूल मुखिया ने अनियमितता बरती या लापरवाही की तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
करीब सौ के आसपास है स्कूलों के जर्जर भवन
यहां यह बताते चले कि जिले में करीब सौ के आसपास प्राइमरी स्कूलों के भवन ऐसे है। जो कि जर्जर व दिवारों में दरार आ चुकी है। बारिश के दिनों में इन स्कूलों के भवनों की छत टपकने लगती है। इन स्कूलों में दाखिल बच्चों को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट करना पड़ता है। एक वर्ष पहले गांव बापोड़ा के स्कूल के भवन की छत टपकने लगी। जिसकी वजह से बच्चों को हॉल में बैठाना पड़ा था। इस तरह के जिले में अनेक स्कूल है। जिनकी हालत पतली है। खैर अब शिक्षा विभाग ने 66 स्कूलों के लिए राशि जारी कर दी। इन स्कूलों की हालत तो सुधरेगी। बाकी बचे जर्जर स्कूल के भवनों के हालत में भी सुधार होगा।
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