हरियाणा के इस डेरे में शाहजहां के बेटे को मिला था जीवनदान, सभी धर्मों और जाति के लोग टेकते हैं मत्था

हरियाणा के इस डेरे में शाहजहां के बेटे को मिला था जीवनदान, सभी धर्मों और जाति के लोग टेकते हैं मत्था
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नाथ समुदाय से जुड़ा यह ऐतिहासिक डेरा सिरसा में बेगू रोड पर स्थित है, जहां चेत्र मास की प्रतिपदा यानि नवसंवत के उपलक्ष्य में हर वर्ष विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें सिरसा ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों से हजाराें लोग आते हैं।

हरिभूमि न्यूज. सिरसा

नवसंवत 2079 के शुभागमन पर शनिवार को सिरसा के संस्थापक बाबा सरसाई नाथ डेरा में विशाल मेला व भंडारे का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने बाबा की समाधि पर शीश नवाकर सुख समृद्धि की कामना की। वहीं भजन मंडली के कलाकारों ने बाबा की महिमा का गुणगान किया।

नवसंवत के अवसर पर डेरा बाबा सरसाईनाथ में आयोजित भंडारे को लेकर भव्य सजावट की गई थी। सेवादार व्यवस्था बनाने में जुटे हुए थे। महिलाओं व पुरूषाें के लिए आने जाने के अलग अलग रास्ते बनाए गए। परशुराम चौक मार्ग तथा बेगू रोड पर भगवा रंग के झंडे फहरा रहे थे व विद्युत चालित लडि़यां जगमगा रही थी। सुबह सवेरे से ही श्रद्धालुओं का डेरे में आना शुरू हो गया जो मध्य रात्रि तक जारी रहा। श्रद्धालुओं ने बाबा की समाधि पर भगवा रंग की चादर, प्रसाद आदि चढ़ाकर मन्नत मांगी।

डेरे के महंत बाबा सुंदराईनाथ ने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद से लाभांवित किया। उन्हाेंने कहा कि यहां सबकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा यहां सभी धर्मों के लोग आकर बाबा की समाधि पर माथा टेकते हैं। सिरसा नगरी बाबा सरसाईनाथ ने बसाई थी, जिसकी नींव नवसंवत के अवसर पर रखी गई थी। इसलिए नवसंवत पर जिलावासी यहां सपरिवार आकर शीश नवाते हैं और बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। श्रद्धालुओं को मंदिर की प्रसाद वितरण समिति की ओर से चूरमा, केले का प्रसाद वितरित किया गया।


प्रसाद तैयार करते श्रद्धालु।

भाईचारे का संदेश देता है डेरा बाबा सरसाई नाथ

सिरसा का नाम बाबा सरसाईनाथ के नाम से अलंकृत हुआ। नाथ समुदाय से जुड़ा यह ऐतिहासिक डेरा बेगू रोड पर स्थित है, जहां चेत्र मास की प्रतिपदा यानि नवसंवत के उपलक्ष्य में हर वर्ष विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें सिरसा ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों से हजाराें लोग आते हैं और बाबा की समाधि पर शीश नवाते हैं। डेरा सभी धर्मों व जाति के लोग श्रद्धा से शीश नवाते हैं।

शाहजहां के बेटे को मिला था जीवनदान

डेरा बाबा सरसाईनाथ के महंत सुंदराईनाथ का कहना है कि डेरा मुगलकालीन है। यहां मुगल शहंशाह शाहजहां के बेटे दारा शिकोह को जीवनदान मिला था जिसके बाद मुगल बादशाह ने डेरे में भव्य गुंबद का निर्माण करवाया, जो आज भी ज्याें का त्याें हैं। महंत सुंदराईनाथ ने बताया कि नवसंवत पर सिरसावासी बाबा की समाधि पर शीश नवाते हैं और मनोकामनाएं मांगते हैं। डेरा प्रेम व भाईचारे का संदेश देता है तथा यहां हर धर्म के लोग आते हैं।


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