कडाके की ठंड में जींद नागरिक अस्पताल में जरूरी दवाइयों का भी टोटा, मरीज परेशान

हरिभूमि न्यूज. जींद। इस समय कडाके की ठंड पड़ रही है और लोग ठंड की चपेट में आकर बीमार भी हो रहे हैं। ऐसे में लोग नागरिक अस्पताल का रूख कर रहे हैं। बीमार लोगों को अस्पताल में उपचार तो मिल रहा है लेकिन दवा नहीं मिल पा रही है। जिसके चलते उन्हें बाहर से दवाइयां लेने को मजबूर होना पड़ रहा है।
दवाइयां न मिलने पर इन लोगों द्वारा दवा खिड़की पर फार्मासिस्ट से बहस की जाती है लेकिन दवा न होने के चलते उन्हें मायूस होकर बाहर कैमिस्ट की दुकानों से महंगे दामों पर दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। हर रोज के झगड़ों से तंग आकर सोमवार को दवा खिड़की पर काम करने वाले फार्मासिस्टों ने दवा पर्ची को चस्पा किया जिस पर अस्पताल में जो दवाएं उपलब्ध नहीं है उस पर क्रॉस का निशान लगा दिया गया। ऐसे में स्वत: अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल में आने वाले लोगों को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
ठंड से बढ़े, सर्दी, बुखार, खांसी, एलर्जी के मरीज, नही हैं दवाएं
लगातार पड़ रही कडाके की ठंड के चलते इस समय बुखार, खांसी, जुखाम के मरीज बढ़ गए हैं लेकिन अस्पताल में खांसी में दिया जाने वाला कफ सिरप ही मौजूद नहीं है। इसके अलावा एंटासिड, रेनटेक सहित कई अन्य महत्वपूर्ण दवाइयां स्टॉक में नहीं है। चिकित्सकों द्वारा दवाएं पर्ची पर लिखी जा रही हैं लेकिन जब मरीज व उसके तीमारदार दवा लेने पहुंचते हैं तो उन्हें वहां दवा नहीं मिलती है। जिस पर उन्हें बाहर महंगे दामों पर दवा लेनी पड़ती है।
फार्मासिस्टों ने दवा खिड़की पर चस्पा की सूची
दवा खिड़की पर दवा नहीं मिलने पर बीमार व तीमारदार फार्मासिस्टों से उलझ जो हैं। ऐसे में दवाई देने वाले फार्मासिस्ट इस कदर परेशान हो चुके हैं कि अब उन्हें दवाई खिड़की के बाहर जो-जो दवाइयां उपलब्ध नहीं हैं, उनकी सूची ही चस्पा कर दी है। इस नागरिक अस्पताल में प्रतिदिन काफी संख्या में ठंड के कारण खांसी, जुकाम व बुखार के मरीज आ रहे हैं। इस समय में दवा में बेहद जरूरी कफ सिरप उपलब्ध नहीं है। इस समय मौसम में बदलाव के चलते सर्दी, खांसी और जुखाम के 'यादा मरीज आ रहे हैं, जिन्हें खांसी के लिए कफ सिरप दिया जाना बेहद जरूरी है लेकिन यह कफ सिरप अस्पताल में उपलब्ध ही नहीं है। इसके अलावा अस्पताल में तेजाब, एसिडिटी व गैस के भी काफी मरीज आते हैं। जिन्हें चिकित्सक द्वारा एंटासिड लिखा जाता है। यह एंटासिड सिरप भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। वहीं यूरिन व अन्य समस्याओं के लिए अलकासिड भी चिकित्सकों द्वारा लिखा जाता है और यह सिरप भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है।
प्रतिदिन एक हजार से 1200 तक की ओपीडी
जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल में प्रतिदिन एक हजार से 1200 तक की ओपीडी होती है। सोमवार को यह ओपीडी 1500 से 1600 तक पहुंच जाती है। इतनी संख्या में मरीजों को प्रतिदिन दवाइयां देने से कई बार दवाइयां खत्म भी हो जाती हैं। नागरिक अस्पताल में दवाइयां स्वास्थ्य विभाग के कैथल में स्थित वेयर हाउस से आती हैं। दवाइयों का संकट ऐसा भी हो जाता है, जब वेयरहाउस में भी दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पातीं। इसके लिए सिविल सर्जन को एक लाख रुपये की एक बार में दवाई अपने स्तर पर खरीदने का अधिकार भी है। अस्पताल प्रशासन जब वेयरहाउस में दवाइयां उपलब्ध नहीं हों तो लोकल स्तर पर दवाइयां खरीद लेता है। ऐसे में जब तक वेयरहाउस में दवाइयां नहीं होती तो शहर से ही दवाइयां खरीदी जाती हैं। इसके लिए सरकार ने मापदंड तय किए हुए हैं कि कौन सी दवाई किस रेट में खरीदनी है।
नागरिक अस्पताल के डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने कहा कि कैथल से वेयर हाउस से दवाइयों की सप्लाई होती है। कैथल वेयर हाउस को अवगत करवा दिया गया है। अस्पताल में आने वाले मरीजों को दवाओं के लिए किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसलिए वेयर हाउस से दवाइयां खरीदने के लिए अनुमति मांगी जा रहीहै। जैसे ही परमिशन मिलती है वैसे ही अगले दो-तीन दिन में पूरी प्रक्रिया करके पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध करवा दी जाएगी।
दवा सूची पर जो दवाइयां उपलब्ध नहीं, उस पर काटे का निशान लगाते हुए कर्मी।
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