कैबिनेट मंत्री की सादगी : कपड़े ड्राईक्लीन करने वाले ने हाथ दिया तो रूकवाया काफिला, जाना हाल-चाल

कैबिनेट मंत्री की सादगी : कपड़े ड्राईक्लीन करने वाले ने हाथ दिया तो रूकवाया काफिला, जाना हाल-चाल
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राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली अटेली में विधायक सीताराम यादव के पोत्र के जन्मोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने आए थे।

हरिभूमि न्यूज : मंडी अटेली ( महेंद्रगढ़ )

राजनीति में नेताओं के मंत्री बनने के बाद पुराने दोस्तों व आम जनता से दूर होने की शिकायतें सुनने को मिलती रहती हैं, पर शनिवार को इससे उल्ट नजारा देखने को मिला। राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली अटेली में विधायक सीताराम यादव के पोत्र के जन्मोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। जब वह वापिस जयपुर जा रहे थे, तब अटेली मंडी से गुजरते हुए पुराने बस स्टैंड के पास रात को उनके 25 साल पहले कपड़े प्रेस करने वाले नरेश कुमार ने हाथ से रूकने का संकेत किया तो मंत्री महोदय ने वहीं पर गाड़ी को रूकवा दिया और गाड़ी से उतरकर ड्राई क्लीन करने वाले का हालचाल जाना।

मंत्री के इस प्रकार अचानक कार रोकने से उनका सुरक्षा काफिला भी आश्चर्यचकित रह गया, जबकि मंत्री की गाड़ी को देख वहां राहगीरों की भीड़ एकत्रित हो गई, जिस पर मंत्री ने सड़क पर मौजूद परिचित जानकारों से भी कुशलक्षेम पूछा। मंत्री के जाने के बाद आमजन के बीच अचानक आकर इस प्रकार किए गए सादगीपूर्ण व्यवहार की मौजूद लोगों ने प्रशंसा की। मंत्री नजदीकी टीकाराम जूली गांव काठूवास (राजस्थान) के रहने वाले हैं, जबकि ड्राईक्लीन करने वाला अटेली ( हरियाणा) का है। मंत्री को तो यहां वोट की भी जरूरत नहीं है, लेकिन काफिले का रूकवाना यह दर्शाता है कि सादगी व जीवन में पुरानी बातों को व्यक्ति कितना ही बड़ा हो जाए, भूलता नहीं है। कुछ दिन पहले हरियाणा के राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव भी इस प्रकार दोस्त से मिलने गाड़ी रोककर उनके खेत में पहुंच गए थे और परिवार का हालचाल जाना था।

बता दें कि काठूवास और बजाड़ गांव आपस में सीमा से जुड़े हुए हैं, परंतु दोनों अलग-अलग राज्यों में स्थित हैं। दोनों ही गांवों के विधायक दोनों प्रदेश सरकारों में मंत्री हैं तथा दोनों की सादगी व सरल स्वभाव के किस्से आते रहते हैं। मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि व्यक्ति को अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए। भले ही वह कितना ही बड़ा हो जाए। आज चाहे वह मंत्री बन गए हैं, लेकिन ग्रामीण व सामान्य परिवार में जन्म लेने के कारण उनकी दु:ख-तकलीफ को आसानी से समझ सकता हूं। मंत्री ने बताया कि जब वह छोटे थे और किसी विवाह-शादी में जाते थे तो 25 साल पहले कपड़े प्रेस व ड्राईक्लीन इन्हीं से करवाते थे।

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