Singhu Border Murder : बार्डर पर ही डटे रहेंगे निहंग, महापंचायत में 80% लोग पक्ष में आए, Skm को भी दे डाली नसीहत

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
सिंघू बार्डर पर ( Singhu Border Murder ) 15 अक्टूबर को पंजाब के व्यक्ति की नृशंस हत्या के मामले के बाद चौतरफा आलोचना झेल रहे निहंगों ( Nihang) ने बॉर्डर पर डटे रहने का फैसला लिया है। बुधवार को महापंचायत कर निहंगों ने यह फैसला लिया। बताया गया है कि वापस लौटने या नहीं लौटने के फैसले के लिए जनमत संग्रह करवाया गया। इसमें 80 प्रतिशत लोगों ने बॉर्डर पर डटे रहने की सलाह दी। इसी के बाद यह फैसला लिया गया। इस दौरान निहंग सिखों व उनके समर्थक संगठनों ने किसान आंदोलन को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ( Skm) को भी नसीहत दे डाली। अब वे यहां से जाने वाले नहीं हैं। उनका कहना है कि मोर्चा के नेता खुद को प्रदर्शन का मसीहा ना समझें।
उनके एक कॉल पर पूरा पंजाब बॉर्डर पर आ जाएगा, इसीलिये वे अब पीछे नहीं हटेंगे। किसान मोर्चा के कुछ नेताओं को छोड़कर सभी किसान उनके साथ हैं। हालांकि, इस फैसले की औपचारिक घोषणा निहंग सिखों की ओर से गुरुवार शाम पत्रकार वार्ता कर किया जाएगा। दूसरी ओर निहंगों की महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा ने हिस्सा लेने से इंकार कर दिया था, इसी वजह से एसकेएम की ओर से कोई भी व्यक्ति महापंचायत में शामिल नहीं हुआ। निहंगों ने महापंचायत में पुलिस कार्रवाई पर भी निर्णय लेने का ऐलान किया था। इसके लिए पुलिस को चेतावनी भी दी गई थी, लेकिन पंचायत में केवल मोर्चा नेताओं के वक्तव्यों पर ही नाराजगी प्रकट की गई। पुलिस कार्रवाई पर न तो किसी ने आपत्ति की और आगे पुलिस कार्रवाई को रोकने को न ही कोई प्रस्ताव रखा गया।
ये है मामला
बता दें कि 15 अक्तूबर को सिंघू बार्डर पर धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी का आरोप लगाकर पंजाब के लखबीर ( Lakhbir Murder ) के निर्दयता से हाथ-पैर काटकर हत्या कर दी गई थी और उसे बैरिकेट पर लटका दिया गया था। इसी दिन शाम को एक निहंग ने तो अगले दिन 3 निहंगों ने आत्मसमर्पण कर घटना की जिम्मेदारी ली थी। इस मामले में निहंगों की चारों तरफ से आलोचना हो रही थी। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा भी पल्ला झाड़ लिया गया था। इसके बाद सिंघू बॉर्डर से वापस लौटने को लेकर फैसला लेने से पहले जनमत संग्रह करवाने का निर्णय लिया गया और 27 अक्तूबर को उसी जनमत के आधार पर फैसला लेने की बात कही थी। बुधवार को करीब 4 घंटे तक निहंग सिखों की बैठक चली, जिसमें अन्य संगठनों के भी अनेक मुखिया शामिल हुए। इस दौरान बताया गया कि ऑनलाइन व ऑफलाइन हुए जनमत संग्रह में अब तक मिले सुझावों में 80 प्रतिशत लोगों ने निहंगों को कहा है कि वे धरने से वापस न लौटे। निहंग जत्थेदारों ने कहा है कि वे इस बारे में आधिकारिक घोषणा वीरवार को शाम के समय पत्रकार वार्ता कर करेंगे।
तलवाड़ा ने कहा कि विदेशी संगत ने भी कहा कि नहीं जाना वापस
महापंचायत में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि वह प्रदर्शन से वापस नहीं जाएंगे। वह मोर्चा नेताओं के बुलावे पर नहीं आए हैं और ना ही उनके कहने से वापस जाएंगे। निहंग बहादुर कौम है, उनको मोर्चा नेताओं की हमदर्दी व साथ की जरूरत नहीं है। निहंगों ने 26 जनवरी को मोर्चा नेताओं को बचाया था, वरना उसी दिन प्रदर्शन खत्म हो जाना था। प्रदर्शन में सक्रिय नेता पलविंद्र सिंह तलवाड़ा ने मंच से कहा कि पूरे पंजाब व विदेशों की संगतों ने सलाह दी है कि निहंगों को वापस नहीं जाना चाहिए। यहां से कोई आर्डर करके उनको नहीं निकाल सकता। एक काल पर पूरा पंजाब यहां हाजिर हो सकता है। कोई भी जत्थेबंदी वापस नहीं जाएगी।
निहंग जत्थेबंदियों ने किया समर्थन
बैठक में मुख्य वक्ता निहंग बाबा कुलविंद्र सिंह, बाबा जीवन सिंह, चमकौर साहिब से चडत सिंह, राजा राम सिंह, बाबा मानसिंह, मढ़ियावाला बूढ़ा दल बाबा बलविंदर सिंह, मोया मंडी से बाबा लाल सिंह, बाबा सुखपाल सिंह, बाबा अमन सिंह आदि रहे। जिन संगठनों ने निहंग जत्थेबंदियों का समर्थन किया उनमें सरदार पलविंदर सिंह तलवाड़ा, गुरदीप सिंह यूनाइटेड अकाली दल, जसकरण सिंह कानसिंह वाला किसान यूनियन अमृतसर, सिमरनजीत सिंह मान शिरोमणि अकाली दल अमृतसर, देवेंद्र सिंह निर्भक इंटरनेशनल सोसायटी बेल्जियम, जितेंद्र सिंह बेस्टेक मोर्चा मोहाली, कुलवंत सिंह अकाल यूथ, सरदार जसविंदर सिंह यूनाइटेड अकाली दल, कमलजीत मोहाली नौजवान किसान मजदूर यूनियन आदि शामिल हैं।
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