चर्चा में हरियाणा के ये सरकारी अस्पताल : 2 साल में मेडिकल स्टोर से 1.28 करोड़ की दवाएं खरीदी, भुगतान का रिकॉर्ड नहीं

चर्चा में हरियाणा के ये सरकारी अस्पताल : 2 साल में मेडिकल स्टोर से 1.28 करोड़ की दवाएं खरीदी, भुगतान का रिकॉर्ड नहीं
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यह खुलासा आरटीआई से हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता जतिन गोयल ने बताया कि उसने अस्पताल से आरटीआई के माध्यम से मेडिकल स्टोरों से खरीदी गई दवाइयों का पूर्ण विवरण मांगा था। इस विवरण में कई चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।

सिरसा। सिरसा शहर में नागरिक अस्पताल द्वारा एक ही मेडिकल स्टोर से 1.28 करोड़ रुपये की दवाइयां खरीदने का मामला सामने आया है। करीब पौने दो सालों में स्वास्थ्य विभाग ने ये दवाइयां खरीदी हैं। यह खुलासा सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा मांगी गई आरटीआई से हुआ है।

सामाजिक कार्यकर्ता जतिन गोयल ने बताया कि उसने नागरिक अस्पताल से आरटीआई के माध्यम से मेडिकल स्टोरों से खरीदी गई दवाइयों का पूर्ण विवरण मांगा था। इस विवरण में कई चौकाने वाले आंकड़े सामने आए जो स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिह्न खड़े कर रहे हैं। जतिन के मुताबिक आरटीआई के जवाब में विभाग द्वारा शहर के शिव चौक पर स्थित गुलाटी मेडिकल स्टोर से पिछले करीब दो सालों में 1.28 करोड़ रुपए की दवाएं खरीद की गई, लेकिन बड़ी हैरानी की बात है कि विभाग के पास इन दवाओं की खरीद का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। विभाग द्वारा सिर्फ और सिर्फ जुलाई 2019 से अक्तूबर 2021 तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से करीब 1.28 करोड़ रुपए की दवाओं के चैक का भुगतान गुलाटी मेडिकल स्टोर को किया दिखाया है, लेकिन दवाओं के बिल संबंधी कोई जानकारी विभाग के पास नहीं है, जोकि समझ से परे की बात है।

और तो और विभाग द्वारा करोड़ों रुपए की दवा खरीद करने के बाद भी उक्त मेडिकल स्टोर की दवाओं की लैब में कोई जांच रिपोर्ट नहीं करवाई, ताकि ये पता लगाया जा सके कि जो दवाएं खरीद की जा रही है, वो सही है या नहीं, जोकि सरेआम लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। क्योंकि इस प्रकार के कई मामले शहर में आ चुके हैं, जब मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदने के बाद लोगों के स्वास्थ्य पर दवाओं का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि विभाग को आमजन के स्वास्थ्य से ज्यादा मेडिकल स्टोर संचालक की जेबें भरने की ज्यादा चिंता है। विचित्र बात ये है कि बार-बार निवेदन करने व प्रथम व द्वितीय अपील लगाने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा रिकॉर्ड मुहैया नहीं करवाया जा रहा, जोकि आरटीआई एक्ट के नियमों की सरेआम उल्लंघना है।

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