अब तक 11 हजार किसानों की 94 फसलों पर नैनो यूरिया का ट्रायल

कुरुक्षेत्र : इफको डीजीएम ओमकार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर अभियान के अंतर्गत विश्व की पहली नैनो यूरिया (लिक्विड) पर शोध और विकास किया। इफको नैनो यूरिया (तरल) को इफको के वैज्ञानिकों द्वारा नैनो बायो टेक्रोलॉजी रिसर्च सेंटर (एबीआरसी) कलोल, गुजरात में कई वर्षों के शोध के बाद विकसित किया गया है।
उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया जमीन, पर्यावरण को बढ़ाने में, खेती में कैसे बढ़ोतरी हो इसके बारे में विस्तार से बताया और कहा कि नैनो यूरिया से वायु प्रदूषण नहीं होता है। उन्होंने कहा कि करीब 11 हजार किसानों की जमीन पर और करीब 94 फसलों पर नैनो यूरिया का ट्रायल लिया गया है। इसके अंतर्गत इफको की 19 पब्लिसिटी वैन चल रही है जो अभी तक करीब 100 गांव कवर कर चुकी है। इसके साथ-साथ करीब 800 किसानों की 6 गोष्ठियां आयोजित हो चुकी है।
उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया (तरल)नाइट्रोजन का एक अनूठा स्त्रोत है, अधिकांश भारतीय मिट्टी में उपलब्ध नाइट्रोजन की कमी पाई जाती है और इसकी कमी को पूरा करने के लिए नैनो यूरिया (तरल) करीब 90 प्रतिशत दक्षता प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि इफको नैना यूरिया लिक्विड किसानों की आय में फसल उत्पादकता में 8 से 10 प्रतिशत की वृद्धि और इनपुट लागत में कमी के परिणाम स्वरूप भंडारण और अन्य लागत में बचत करता है, यह सभी फसलों के लिए उपयोगी है। यह किसानों द्वारा इफको किसान सेवा केन्द्रों, इफको ई-बाजार के बिक्री केन्द्रों एवं सहकारी समितियों से 240 रुपए प्रति बोतल में प्राप्त किया जा सकता है, जो पारंपरिक यूरिया के अधिकतम बिक्री मूल्य से 10 प्रतिशत कम है।
इससे पहले इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कॉपरेटिव लिमिटेड हरियाणा नैनो यूरिया उपयोग जागरूकता अभियान के तहत कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें 7 जिलों के एफपीओ, इफको ई-बाजार के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, इन 7 जिलों में पंचकूला, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, अंबाला, पानीपत, यमुनानगर शामिल है।
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