Alcohol scam : एसआईटी को जरूरी जानकारी देने से बच रहे आबकारी विभाग के कुछ अधिकारी

योगेंद्र शर्मा: चंडीगढ
प्रदेश में करोड़ों के वेयर हाउस शराब घोटाले (Alcohol scam) की जांच कर रही उच्चस्तरीय एसआईटी ( स्पेशल इंक्वायरी टीम) के पास में इस माह के अंत तक का समय ही बचा है। इसमें शामिल वरिष्ठ अफसर (Senior officer) अभी तो कुछ बी बोलने से गुरेज कर रहे हैं लेकिन व्यापक शराब घोटाले में जांच टीम को आबकारी विभाग की ओर से कुछ विशेष सहयोग नहीं मिल सका है। उसके बावजूद जांच टीम इसे तय समय सीमा के अंदर-अंदर समाप्त करने की तैयारी में हैं। यहां पर बता दे कि गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के निर्देशों पर प्रदेश के गृह विभाग एसीएस विजय वर्धन ने सीएमओ से हरी झंडी लेने के बाद में गठन करते हुए सूचना जारीकी थी।
राज्य के तीन वरिष्ठ प्रशासनिक अफसरों में से टीसी गुप्ता के अलावा एक पुलिस और एक आबकारी विभाग के अफसर को भी शामिल किया गया था। पूरे मामले में मोटी मछलियों पर शिकंजा कसना तय माना जा रहा है। गृह मंत्री अनिल विज ने सात मई को स्पेशल इंक्वायरी टीम के गठन के लिए कहा था। वरिष्ठ आईपीएस अफसर एडीजीपी सुभाष यादव गुरुग्राम के साथ साथ आबकारी व कराधान विभाग की ओर से अतिरिक्त आयुक्त आबकारी व कराधान व विभाग की ओर से विजय सिंह का नाम दिया था। सुभाष यादव रिटायर हो चुके हैं, जबकि टीसी गुप्ता वरिष्ठ आईएएस (एसीएस) इस टीम को लीड कर रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि सोनीपत खरखौदा में विजिट कर चुके अफसरों ने पूरे मामले में काफी हद तक जांच पड़ताल का काम कर लिया है। हालांकि आबकारी विभाग की ओऱ से कईं बार मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गईं। वहीं कईं मौकों पर असहयोग वाली बात भी रही लेकिन जांच टीम में शामिल कोई भी अधिकारी इस पूरे विवाद को हवा नहीं देना चाहता। स्पेशल इंक्वायरी टीमजांच पड़ताल, स्क्रूटनी में मार्च में सभी जगह पर शराब की बिक्री पर प्रतिबंध के दौरान जमकर चले खेल, एल-वन और एल 13 गोदामों का दुरुपयोग करने, गोदामों में रखे गए माल, बहीखातों जैसे विषयों पर केंद्रित करते हुए अपना काम जारी रखे हुए है। इसी माह के अंत तक टीम को जांच को फाइनल टच देकर रिपोर्ट सौंपनी है।
एसआईटी जांच में सभी एफआईआर, मालखाने में माल, एल-1 और एल-13 से इनका कोई कनेक्शन जैसे बिंदुओं पर पड़ताल कर चुकी है। इसके अलावा अप्रैल 2019 से लेकर मार्च 2020 के दौरान पुलिस व आबकारी विभाग की ओर से की कार्रवाई, बिना एक्साइज ड्यूटी चुकाए बेची गई शराब, अवैध बिक्री, ट्रांसपोर्ट से स्टाक को उधर उधर करने जैसे विषयों पर जांच के दौरान तमाम सवालों को लेकर ब्योरा ले चुकी है। सूत्र बताते हैं कि पूरे मामले में एसआईटी को आबकारी व कराधान विभाग से कईं मौकों पर सहयोग नहीं मिला है, जिसके कारण कईं सवालों के जवाब आधे अधूरे रह जाएंगे। बताया जा रहा है कि उक्त पूरे मामले में आबकारी विभाग के ही कुछ पुराने प्रभावशाली अफसर लीपापोती में जुटे हुए हैं ताकि पुराने राज राज ही बने रहे। यहां पर यह भी याद दिला दें कि करोड़ों के शराब घोटाले में कई अधिकारी और सफेद पोश जांच के दायरे में आने की संभावनाएं हैं। इस क्रम में सबसे पहले पुलिस टीमों ने चंडीगढ़ में किंग भूपेंद्र सिंह के यहां पर छापेमारी की थी। जिस के बाद में भूपेंद्र ने समर्पण कर दिया था। टीमों ने मौके से रेंज रोवर गाड़ी, दो पिस्टल, 97 लाख कैश और चार मोबाइल फोन बरामद कर लिया था।
10 मई को बनी थी स्पेशल इंक्वायरी टीम, 13 से जांच की शुरुआत
शराब घोटाले की जांच के लिए हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के आदेशों पर गृह विभाग ने 10 मई को एसआईटी बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें टीसी गुप्ता चेयरमैन और एडीजीपी सुभाष यादव (यादव के रिटायर होने के बाद डीजी अकिल मोहम्मद को किया गया शामिल) और आबकारी विभाग के अतिरिक्त निदेशक विजय सिंह को बतौर सदस्य शामिल किया गया था। जांच टीम की ओर से 13 मई से जांच की शुरुआत की थी। इस दौरान टीम ने आबकारी विभाग व पुलिस महकमे से तमाम दस्तावेज हासिल किए थे। लेकिन काफी काम बाकी था, इस पर जांच टीम के मुखिया ने पत्र लिखकर गृह सचिव से समय बढ़ाने की अपील की थी।
तय समय सीमा में रिपोर्ट देगी जांच टीम: अनिल विज
गृह मंत्री अनिल विज का कहना है कि शराब घोटाले में स्पेशल इंक्वायरी टीम में शामिल वरिष्ठ अफसर अपनी जांच को कर रहे हैं, तय समय सीमा में वे फाइनल जांच रिपोर्ट दाखिल कर देंगे। विज ने साफ कर दिया है कि रिपोर्ट में जिन जिन लोगों को दोषी पाया जाएगा, उन लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
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