म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के : सोनीपत की बेटी बनी असिस्टेंट कमांडेंट, देशभर में 31वां रैंक, लड़कियों में टॉपर

म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के :  सोनीपत की बेटी बनी असिस्टेंट कमांडेंट, देशभर में 31वां रैंक, लड़कियों में टॉपर
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जींदल ग्लोबल सिटी निवासी व्यवसायी देवेंद्र सिंह की लाडली शैरिल सिंह ने पहले ही प्रयास में क्लीयर की यूपीएससी की परीक्षा, बधाई देने वालों का लगा तांता।

विष्णु कुमार. सोनीपत

प्रदेश की बेटियां हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। इसी लिस्ट में एक ओर नाम दर्ज करवाते हुए सोनीपत के जींदल ग्लोबल सिटी निवासी व्यवसायी देवेंद्र सिंह की लाडली शैरिल सिंह यूपीएससी एग्जाम क्लीयर कर असिस्टेंट कमांडेंट बनी है। शैरिल सिंह ने यूपीएससी एग्जाम में देशभर में 31वां रैंक हासिल किया वहीं लड़कियों में देश भर मंे टॉपर रही हैं। लाडली की उपलब्धि पर पूरा परिवार खुशी से फूला नहीं समां रहा। रिश्तेदार व आस-पास के लोग शैरिल सिंह की उपलब्धि पर बधाइयां दे रहे हैं।

मूलरूप से गांव हुल्लेड़ी निवासी व्यवसायी देवेंद्र सिंह अपने परिवार के साथ हाल में जींदल ग्लोबल सिटी में रहते हैं। उन्होंने बताया कि उनके दो बच्चों में शैरिल बड़ी है। बचपन से ही पढ़ाई में होनहार रही शैरिल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी ने एमए पास की है। करीब एक साल से वह कोचिंग ले रही है। उसने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी का एग्जाम क्लीयर कर पूरे परिवार को गौरवान्वित किया है। उन्होंने बताया कि शैरिल का छोटा भाई तपन भी आईएएस की तैयारी कर रहा है। शैरिल सिंह की उपलब्धि पर फूले नहीं समां रहे चचेरे भाई भूपेश दहिया व रवि दहिया ने कहा कि देशसेवा से उनके परिवार का पहले से ही नाता रहा है। 6 फरवरी को भाई अमित दहिया को सेना मैडल मिला है और अब चचेरी बहन व परिवार की लाडली ने परिवार का नाम रोशन कर दिया।

परिवार व कड़ी मेहनत को दिया उपलब्धि का श्रेय

शैरिल ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय परिवार और कड़ी मेहनत को दिया है। उन्होंने बताया कि पिता देवेंद्र सिंह व्यवसायी हैं और मां सुदेश दिल्ली में गर्वनमेंट टीचर है। उन्होंने कभी भी बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं समझा और हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। यही कारण है कि मैं अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत कर पाई और इस उपलब्धि को छू पाई। देशभर में 31वां और लड़कियों में टॉपर रहने वाली शैरिल सिंह कहती हैं कि आज की लड़कियां किसी भी मामले में लड़कों से पीछे नहीं है। बस जरूरत है खुद को साबित करने की। उन्होंने कहा कि युवाओं को एक लक्ष्य निर्धारित कर उसे पाने के लिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी चाहिए, सफलता जरूर कदम चूमेगी।

एक साथ मिली दोहरी खुशी

18 जुलाई 1996 को जन्मी शैरिल ने 12वीं कक्षा के दौरान ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया था। चचेरे भाई रवि दहिया ने बताया कि शैरिल ने पिछले साल यूपीएससी की परीक्षा दी थी, जिसमें अपने पहले ही प्रयास में यह सफलता प्राप्त की है। उन्होंने बताया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए व एमए पास कर चुकी शैरिल पिछले एक साल से आईएएस की तैयारी कर रही है। उन्होंने बताया कि परिवार में एक साथ दोहरी खुशी आई है। मंगलवार को घर का मुहूर्त है और उससे पहले शैरिल की उपलब्धि ने एक साथ दोहरी खुशी दी है।

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