स्पीकर कानूनी राय की प्रतीक्षा में, प्रदीप चौधरी को विधानसभा सदस्यता बहाली का अब भी इंतजार

योगेंद्र शर्मा. चंडीगढ़
पंचकूला जिले के तहत कालका विधानसभा सीट से विधायक रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रदीप चौधरी को भले पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट से राहत मिल गई हो लेकिन अभी उनको अपनी विधानसभा सदस्यता बहाली के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। वैसे, हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष भी इस पूरे मामले में हरियाणा एजी की ओर से कानूनी राय आने की इंतजार कर रहे हैं, जिसके आते ही इस संबंध में वे पीसी कर चौधरी को राहत दे सकते हैं।
वैसे, भी पूरे मामले में नेता विपक्ष और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ-साथ खुद प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्षा कुमारी सैलजा भी सवाल खड़े कर चुकी हैं। दोनों ही कांंग्रेस के दिग्गज नेताओं की ओर से इस मामले में हाई कोर्ट की ओर से राहत मिल जाने के बाद हो रही देरी को सियायसत करने व देरी करने के आरोप भी लगाए। जिस पर भाजपा नेताओं की ओऱ से इस संबंध में जवाब भी दिए गए।
प्रदीप चौधरी दे चुके स्पीकर को ज्ञापन
पूरे मामले में खुद प्रदीप चौधरी भी स्पीकर हरियाणा विधानसभा से गत दिवस मिलकर अपना ज्ञापन और अदालत की ओऱ से से दी गई राहत के दस्तावेज सौंपकर सदस्यता बहाली की अपील कर चुके हैं। मामले में विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने साफ कर दिया था कि वे एडवोकेट जनरल (एजी हरियाणा) की पूरे मसले पर राय ले रहे हैं। जिस पर उनकी कानूनी राय आनी लंबित है। इसके आते ही स्थिति साफ कर दी जाएगी।
वैसे, पूरे मामले में 30 जनवरी को विधानसभा की ओर से अधिसूचना जारी कर 14 जनवरी से चौधरी को विस सदस्यता को लेकर घोषणा कर दी गई थी। हालांकि स्पीकर ने बार बार दोहराया कि वे अदालती फैसले और उसमें दिए गए आदेशों को लेकर मात्र घोषणा कर रहे हैं। अर्थात, सदस्यता को लेकर फैसले में अदालत की ओर से पहले ही सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में किए गए आदेशों का संदर्भ दिया गया था।
इस क्रम में बताया गया था कि 2019 में गुजरात और मध्य प्रदेश में इसी प्रकार दो विधायकों की सदस्यता बहाल हुई थी। अब स्पीकर और एजी हरियाणा की ओर प्रदीप चौधरी व उनके समर्थकों की निगाहें लगी हुई हैं। कांग्रेस पार्टी की टिकट पर जीतकर आए औऱ उसके पहले लंबे अर्से तक इनेलो में पूर्व सीएम ओपी चौटाला परिवार के अजीज रहे प्रदीप चौधरी स्पीकर द्वारा की जाने वाली घोषणा को लेकर हर रोज इंतजार में हैं।
हिमाचल की नालागढ़ अदालत में दिया था फैसला
14 जनवरी को इसी साल हिमाचल प्रदेश सोलन जिले के तहत नालागढ़ की एक न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पुराने आपराधिक मामले में आईपीसी की धाराओं 143, 341, 147, 148, 353, 332, 324, 435, 149 एवं लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 में दोषी घोषित किया था और 28 जनवरी को उक्त अपराधों में कुल तीन वर्ष कारावास के दंड की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद में 30 जनवरी को विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी एक गजट नोटिफिकेशन से उन्हें विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर ) द्वारा 14 जनवरी से ही सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया। जिसके बाद में चौधरी ने चरणबद्ध तरीके से हाईकोर्ट तक में याचिका दायर करते हुए राहत की गुहार लगाई थी। उनके लंबे राजनीतिक करियर को देखते हुए हिमाचल हाई कोर्ट ने सजा पर स्टे लगा दिया था। जिसके बाद में उनकी सदस्यता बहाली तय मानी जा रही थी। प्रदीप चौधरी को 19 अप्रैल को स्टे प्राप्त हुआ था। इसके बाद चौधरी ने 26 अप्रैल को विधानसभा स्पीकर से मिलकर उन्हें हाई कोर्ट के आदेशों की प्रति सौंप दी थी।
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