Live: किसानों के लौटने का खास दिन, हरियाणा और पंजाब में जगह- जगह स्वागत, देखें तस्वीरें

Haryana : आखिरकार शनिवार को किसानों के घर लौटने का खास दिन है, इसको लेकर हरियाणा व पड़ोसी राज्य पंजाब में स्वागत के कार्यक्रम रखे गए हैं। किसानों का शनिवार सुबह से ही हरियाणा में जगह- जगह फूल बरसाकर स्वागत किया जा रहा है। वहीं एक ओर जहां किसानों के चेहरे खिले हुए हैं, वहीं सीमा पर इंडस्ट्री, व्यापार से जुड़े लोगों में भी खुशी की लहर है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अफसरों ने भी राहत की सांस ली है, क्योंकि आंदोलन के दौरान प्राधिकरण को करोड़ों की चपत लग चुकी है।
यहां पर उल्लेखनीय है कि किसान आंदोलन के कारण पिछले एक वर्ष से टोल भी बंद पड़े हुए हैं, जिसके कारण एक मोटे-मोटे अनुमान छह सौ करोड़ की चपत लग चुकी है। आंदोलन के कारण सीमा पर इंडस्ट्री और छोटे-मोटे व्यापार धंधे भी प्रभावित थे। कईं बार इस संबंध में चंडीगढ़ भी व्यापारी वर्ग के प्रतिनिधि मंडल पहुंचे और राहत की मांग की थी। लेकिन किसान आंदोलन के दौरान राज्य की सरकार और आला अफसर बेहद ही संवेदनशीलता और धैर्य के साथ में वक्त निकालने का संकल्प ले चुके थे।धैर्य और संयम की रणनीति अब जब आंदोलन समाप्त होने का बिगुल बज गया है, तो सभी की ओर से सराही जा रही है। हरियाणा के अतीत में किसानो के आंदोलन और इस दौरान हुई हिंसा कईं बार विधानसभा के अंदर और बाहर लोगों में सियासी बहस का विषय बनी रहती है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अफसरों और कंपनियों को एक साल से बंद पड़े टोल शुरू हो जाने के साथ ही उन्हें लग रही आर्थिक चपत से उबरने का विकल्प खुल गया है। संबंधित अफसरों का कहना है कि नेशनल हाइवे पर ही तीन टोल प्लाजा बंद पड़े हुए हैं। जिसमें औसतन हर रोज एक करोड़ से अधिक का नुकसान हो रहा है। आंदोलन समाप्ति की घोषणा के साथ ही अब टोल पर पैसे की वसूली के साथ ही इसके रेट बढ़ने को लेकर सोशल मीडिया में जमकर चर्चा व बहस छिड़ी हुई है।
किसानों, इंडस्ट्री व बाकी को राहत
दिल्ली की सीमाओ पर चल रहे इस आंदोलन के कारण मार्ग भी बंद पड़े हुए थे। इनके खुल जाने के साथ ही आंदोलन से पहले दिल्ली अपना सामान लेकर नियमित तौर पर जाने वाले किसानों के लिए सीधा रास्ता खुल जाएगा वहीं स्थानीय लोगों, छोटे दुकानदारों, इंड्रस्टी सभी को इसका लाभ मिलेगा। स्थानीय नागरिक और छोटी नौकरियां करने वाले भी दिल्ली और एनसीआर के दूसरे इलाकों में समय की बचत के साथ ही जा सकेंगे। बहादुरगढ़ टीकरी सीमा और सोनीपत सिंघु सीमा पर जमे लोगों में पंजाब का किसान अधिक था लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव हरियाणा के लोगों पर हो रहा था। अतीत पर नजर डालें, तो पिछले साल 26 नवंबर को बार्डर बंद हो जाने के बाद से उद्योगों तक कच्चे और तैयार माल की सप्लाई बाधित हुई थी। इसका प्रतिकूल प्रभाव चौतरफा दिखाई दे रहा था। अक्सर चंडीगढ़ में अफसरों और सीएम से इन्हें खुलवाने की अपील करने वाले व्यापारी वर्ग और विशेषज्ञ कुंडली और टीकरी बार्डर बंद होने से 50 हजार करोड़ की चपत की बात कर रहे है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS