खरमास का आरंभ, जानिये कब तक वर्जित रहेंगे मांगलिक कार्यक्रम

खरमास का आरंभ, जानिये कब तक वर्जित रहेंगे मांगलिक कार्यक्रम
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हिंदू धर्म में जिस तरह श्राद्ध व चार्तुमास के दौरान शुभ कार्य वर्जित हैं, उसी तरह खरमास में भी मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते।

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़

रविवार को ग्रहों के राजा सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ ही खरमास प्रारंभ हो चुका है। अब माह भर मांगलिक कार्य नहीं होंगे। ज्योतिषाचार्य पंडित शिव कुमार पाराशर के अनुसार सूर्य जब मीन व धनु राशि में गोचर करते हैं, तब खरमास लगता है। हिंदू धर्म में जिस तरह श्राद्ध व चार्तुमास के दौरान शुभ कार्य वर्जित हैं, उसी तरह खरमास में भी मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते।

हिदू पंचांग का अंतिम माह शुरू हो चुका है। ज्योतिषाचार्य शिव पाराशर के मुताबिक ग्रहों के देवता सूर्य और सौम्य ग्रह शुक्र का मीन राशि में प्रवेश होगा। राजा सूर्य ने रविवार शाम को राशि परिवर्तन किया है। शाम 6.04 बजे मीन राशि में प्रवेश के बाद 14 अप्रैल तक रहेंगे। वहीं ज्योतिष में मुख्य स्थान रखने वाले शुक्र 17 मार्च बुधवार को कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे। जब सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में परिवर्तन करेंगे, तब खरमास का अंत होगा। ज्योतिषशास्त्र में खरमास का आध्यात्मिक रूप से खास महत्व बताया गया है। इस मास में जप-तप-दान करने का फल कई जन्मों तक मिलता है।

खरमास के दौरान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ-साथ सूर्यदेव की भी उपासना करने का विधान बताया गया है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। खरमास में प्रतिदिन शालिग्राम भगवान का पंचामृत से अभिषेक करने से जीवन में शुभ फलों की भी प्राप्ति होती है। खरमास में गुरुजनों, साधु-संतों और गाय की सेवा व तुलसी पूजा का भी महत्व बताया गया है। कुंभ स्नान और तीर्थ स्थल पर जाकर देव दर्शन करना श्रेयस्कर होता है। श्री राम पूजा, कथा वाचन, विष्णु और शिव पूजा के साथ श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना उच्च महत्व रखता है।

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