सूर्योदय की पहली किरण से शुरू होकर सूर्यास्त तक चलेगा ब्रह्मसरोवर पर चारों वेदों का यज्ञ, वैद्विक यज्ञशाला बनकर हुई तैयार

कुरुक्षेत्र : धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पर योग भवन में महर्षि दयानन्द सरस्वती की द्वितीय जन्म शताब्दी शुभारम्भ समारोह पर होने वाले 12 दिवसीय चतुर्वेद परायण यज्ञ के लिए वैदिक काल की तरह घास-फूस की सुंदर यज्ञशाला अपना इतिहास दोहराने को तैयार है। आयोजक कमेटी वेद विद्या शोद्य संस्थान व आर्य समाज के सदस्यों ने सोमवार को पूरी टीम के साथ आयोजन स्थल का दौरा कर तैयारियों का जायजा लिया।
इस अवसर पर आयोजक कमेटी के मिडिया प्रभारी आर्य दिलबाग लाठर ने बताया कि लगातार 12 दिनों तक इस भव्य व वैद यज्ञशाला में देसी गाय के घी से चारों वेदों का यज्ञ चलेगा। यज्ञ में गाय के घी के साथ प्रयोग होने वाली सामग्री में हर प्रकार के ऋतुओं अनुसार सुगंधित पदार्थ विशेष औषधियों के साथ डाले जाएंगे, जो वातावरण को स्वच्छत बनाएंगे। उन्होंने बताया कि यह यज्ञ चारों वेदों का होगा, जिसमें 12 दिनों तक लगभग 20 हजार वेद मंत्रों की आहुतियां वैद्विक विद्वानों की देख-रेख मेें गुरूकुल के ब्रह्मचारियों व ब्रह्मचारणियों के एक स्वर उच्चारण से दी जाएगी। सबसे बड़ी बात यह है कि यह यज्ञ सुबह 12 दिनों तक प्रतिदिन सूर्योदय से प्रारम्भ होगा व सूर्यास्त तक चलेगा।
यज्ञ के यज्ञमानों में विशेष उत्साह
आर्य दिलबाग लाठर ने बताया कि इस यज्ञ में भाग लेने वाले यज्ञमानों में विशेष उत्साह है और वे अलग-अलग दिन यज्ञमान बनने के लिए सम्पर्क साध रहे हैं व उत्साहित हैं। इससे पता चलता है कि लोगों में यज्ञ के लिए कितना उत्साह है।
समारोह में आयोजित होंगी महर्षि दयानन्द के चिंतन की अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियां
कार्यक्रम में धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक हर तरह का चिंतन होगा। आयोजन कमेटी के सदस्य आर्य रामपाल कूंडू ने बताया कि आज समाज में मूल्यों की कमी होती जा रही है। महर्षि दयानन्द सरस्वती ने हर विषय को लेकर मानवतावादी विचार दिए हैं, जिनका यदि समाज अपने दैनिक जीवन में प्रयोग करे, तो अनेकों परेशानियों का हल निकल सकता है। इसके अलावा, इस समारोह में देश-विदेश से विद्वान लोग पहुंच रहे हैं।
संतों द्वारा महर्षि दयानन्द के विचारों को पूरी दुनिया तक पहुंचाने का काम होगा
इस कार्यक्रम का शुभारम्भ देश के प्रसिद्व संत, धर्मक्षेत्र-कुरूक्षेत्र पहुंचकर उनके चिंतन को पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत करेंगे। कार्यक्रम के अध्यक्ष स्वामी सम्पूर्णानन्द सरस्वती ने बताया कि महर्षि दयानन्द सरस्वती जी मानवता भलाई के लिए बिखरे समाज को एक करना चाहते थे, जिस पर पहले दिन ही सभी मत व पंथों से संतों के आगमन से एक अच्छी पहल होगी।
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