महिलाओं की नलबंदी से आसान है पुरुषों की नसबंदी, स्वास्थ्य पर नहीं पड़ता कोई दुष्प्रभाव, मिलते हैं इतने रुपये

महिलाओं की नलबंदी से आसान है पुरुषों की नसबंदी, स्वास्थ्य पर नहीं पड़ता कोई दुष्प्रभाव, मिलते हैं इतने रुपये
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रूषों के ऑपरेशन की विधि महिला नलबंदी के ऑपरेशन से सरल है तथा इससे पुरूषो में किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। नई तकनीक में बिना चीरा-बिना टांके के पुरूष नसबंदी ( एनएसवी ) होती है।

यमुनानगर में जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से एनएसवी पखवाड़ा के तहत बृहस्पतिवार को जिले में प्रचार प्रसार के लिए जागरूकता रथ रैली का शुभारंभ किया गया। जागरूकता रथ रैली को जिला सिविल सर्जन डॉ. विजय दहिया ने अपने कार्यालय परिसर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह रैली जिले भर में घूमकर लोगों को बिना चीरा-बिना टांका पुरूष नसबंदी के लिए जागरूक करेगी। नसबंदी करवाने पर पुरूषों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा दो हजार रुपये की प्रोत्साहन राशी दी जाती है।

सिविल सर्जन डॉ. विजय दहिया ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार परिवार नियोजन के कार्यक्रम में पुरूषाें की भागीदारी एक प्रतिशत से भी कम है। जबकि वास्तविकता में पुरूषों के ऑपरेशन की विधि महिला नलबंदी के ऑपरेशन से सरल है तथा इससे पुरूषों में किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।

नसबंदी के बाद वह अपना सामान्य कार्य कर सकता है। डॉ. दहिया ने बताया की भारत वर्ष में प्रतिदिन जनसंख्या वृद्धि हो रही है। एनएसवी तकनीक के बारे में उन्होंने बताया कि पहले पारंपरिक नसबंदी में अंडकोष में एक या दो चीरे लगाने व उसे बंद करने के लिए टांके लगाने की जरूरत पड़ती थी। मगर नई तकनीक में बिना चीरा-बिना टांके के पुरूष नसबंदी ( एनएसवी ) होती है। जिसमें पारंपरिक नसबंदी से आधा समय लगता है। उन्हाेंने पुरुषों से आगे बढ़कर नसबंदी करवाए जाने की अपील की है।

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