Paper Leak Case : एसटीएफ ने पेपर सॉल्वर गैंग के दो और सदस्याें को गिरफ्तार किया, रसिया से सीखी थी हैकिंग

हरिभूमि न्यूज : सोनीपत
पेपर सॉल्वर गैंग के मामले में एसटीएफ ने दो और आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इसमें एक लाख का ईनामी मुख्य हैकर और लैब संचालक शामिल हैं। गिरफ्तार आरोपित पलवल के अतरचटा गांव का रहने वाला राज सिंह उर्फ काली व भिवानी के मढाना गांव का रहने वाला सचिन हैं। इन दोनों आरोपितों पर पहले भी अलग-अलग जिलों में पेपर लीक करवाने के तकरीबन 24 मामले दर्ज हैं। गिरफ्तार किया गया राज सिंह मुख्य हैकर था वहीं सचिन का तीन-चार लैब में हिस्सा था। इन दोनों आरोपितों को रविवार को अदालत में पेश किया गया है, जहां से राज सिंह को 7 दिनों के और सचिन को 5 दिन के रिमांड पर लिया गया है। बता दें कि आरोपित राज सिंह रसिया से हैकिंग की बारीकियां सीख कर आया था और हर बार हैकिंग के 40 लाख रुपये वसूलता था।
जानकारी अनुसार एसटीएफ सोनीपत प्रभारी इंस्पेक्टर सतीश देशवाल ने बताया कि पानीपत में दर्ज पेपर लीक मामले में राज सिंह और सचिव को गिरफ्तार किया गया है। वे पेपर लीक गिरोह के मुख्य सरगना रोबिन के साथ लंबे समय से जुड़े थे। आरोपितों का जाल हरियाणा के साथ ही पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में फैला है। इसे लेकर 6 अक्तूबर, 2021 को पानीपत के सेक्टर-13/17 में पानीपत के सुरक्षा शाखा प्रभारी प्रमोद के बयान पर मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले के आरोपित हैकिंग सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर नौकरी लगवाने के नाम पर लोगों से पैसे लेते हैं। आरोपित वर्ष 2013 से अपना गिरोह चला रहे हैं। इस मामले के सरगना दिल्ली पुलिस के सिपाही रोबिन को पुलिस पहले काबू कर चुकी है। वहीं सीबीआई कार्यालय में कार्यरत दिशांत को भी पिछले दिनों काबू किया गया था। इस मामले में एसटीएफ अब तक कुल 23 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। राज सिंह और सचिन की गिरफ्तारी मिलाकर यह संख्या 25 हो गई है।
आरोपित कई विभागों की परीक्षा पास करवाने की एवज में तीन लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक लेते थे। पिछले दिनों गिरफ्तार किए गए सीबीआई कर्मी दिशांत के बाद ही इन दो आरोपितों की गिरफ्तारी हुई है। पुलिस मामले से जुड़े सभी साक्ष्य जुटाने में लगी हुई है। केंद्र सरकार व अन्य राज्यों द्वारा आयोजित सरकारी नौकरी की आनलाइन परीक्षा में आरोपी किराये पर लैब लेकर स्क्रीन हैक कर धांधली कराते हैं। ट्रस्ट बनाकर कॉलेज व स्कूलों की कंप्यूटर लैब किराये पर ली जाती थी। रैकेट की देशभर में 19 लैब हैं, जहां से पूरा धंधा चलाया जाता था। इनकी सोनीपत व पानीपत में कई लैब हैं। गिरफ्तार आरोपी 14 पेपर सॉल्व करने के मामलों में संलिप्तता कुबूल चुके हैं। गैंग एसएससी, एमटीएस, एचएसएल, सीजीएल, आरपीएफ, वन विभाग, यूजीसी नेट, जेईई, आरबीआई, एसबीआई, एम्स पीजी, दिल्ली फॉरेस्ट गार्ड, बैंक प्रमोशन आईडीबीआई समेत अन्य विभागों के पेपर सॉल्व कराता था।
पहले एक-एक कंप्यूटर होता था हैक, राज ने पूरी लैब ही कर दी हैक
शुरूआती पूछताछ में पुलिस के सामने आरोपित राज सिंह ने खुलासा किया है कि वो 2017 से ही इस गैंग के साथ जुड़ा था। यह गैंग 2013 से सक्रिय था, लेकिन राज सिंह से पहले गैंग के लोग एक-एक कंप्यूटर हैक करते थे। लेकिन 2017 में जब राज सिंह गैंग से जुड़ा तो उसके बाद गैंग का काम और आसान हो गया। क्योंकि राज सिंह एक साथ पूरी की पूरी लैब को हैक कर लेता था। जब पहली बार एक साथ पूरी लैब को हैक की तो पूरा गैंग आश्चर्यचकित था। बताया गया है कि गैंग के कुछ सदस्यों को राजसिंह की इस काबिलियत के बारे में पता था, इसीलिये उन्होंने राज सिंह को अपने साथ जोड़ा था।
रसिया से सीखी थी हैकिंग, एक काम के 40 लाख
पुलिस की प्रारंभिक जानकारी में सामने आया है कि राजसिंह एक बड़ा हैकर है। वह हैकिंग की बारीकियां रसिया से सीख कर आया था। इतना ही नहीं उसने अपने पास काम पर रसिया के ही युवकों को रखा हुआ था। इन युवकों के साथ मिलकर वो हैकिंग करता था। प्रारंभिक पूछताछ में बताया गया है कि राज सिंह पेपर सॉल्वर गैंग से एक काम के 40 लाख रुपये वसूलता था। इसमें से 20 लाख रुपये रसिया के उन हैकर युवकों को देता था और 20 लाख रुपये खुद रखता था।
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