धुलने लगा है बेटी को कोख में मारने का कलंक : पिछले छह माह में हजार लड़कों के मुकाबले एक हजार बीस बेटियों का जन्म

ओ.पी. पाल : रोहतक
प्रदेश में सामाजिक ताने बाने के लिए अच्छी खबर है। पूरे देश में लिंग अनुपात में बदनाम रहा हरियाणा अब इस इस कलंक से धीरे-धीरे निकल रहा है। इस पर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का असर साफ नजर आने लगा है। जहां 2016 से पहले प्रदेश में प्रति हजार लड़कों पर मात्र 834 लड़कियां थी, जो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू होने के बाद एक साल में ही यह संख्या 876 तक पहुंची। कभी लिंगानुपात में सबसे फिसड्डी राज्यों में शामिल हरियाणा राज्य में यह आंकड़ा पिछले साल 926 होते ही प्रदेश 12वें स्थान पर पहुंचा गया है। यानी अब वो संख्या और भी सम्मानजनक हो गई है। केवल इतना ही नहीं बीते छह माह में तो एक हजार लड़कों के मुकाबले एक हजार बीस तक लड़कियों ने जन्म लिया है।
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान
सरकार द्वारा भ्रूण हत्या और प्रसव पूर्व परीक्षण पर शिकंजा कसने और साल 2015 में प्रदेश में शुरू किए गए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को लेकर आमजन जागरूक हो गया है। इसमें केंद्र सरकार सरकार सुकन्या समृद्धि योजना, आपकी बेटी-हमारी योजना, मातृत्व वंदन योजना, उज्ज्वला योजना ने भी बेहतर कार्य किया है। इसके पीछे हमारी लाड़लियों को देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना भी बड़ा काम कर रहा है। आम आदमी बेटा-बेटा के फर्क से बाहर निकला है। पांचवे नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के आंकड़ो पर गौर की जाए तो लिंगानुपात में हरियाणा में लगातार सुधार हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनवरी 2015 को देश में लिंगानुपात सुधार की दिशा में 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना की शुरूआत भी हरियाणा के सोनीपत से की थी। इसी जिले के एक गांव में एक हजार लड़को के मुकाबले लड़कियों का जन्म 1300 ऊपर दर्ज किया जा चुका है। लिंगानुपात में सुधार के बाद बेटियों की संख्या बढऩे की खुशी अब आनंद महोत्सव के रूप में एक दिसंबर से दस दिसंबर तक देश भर में मनाई जा रही है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी गांव-गांव जाकर जागरूकता शिविर लगाकर बेटियों को बेटों के समान मानने की विचारधारा के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं। बेटियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं को स्कूल, कॉलेज व विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से घर-घर पहुंचाया जा रहा है, ताकि बेटियों को लेकर बदली सोच कायम रहे तथा बेटियों के लिए कल्याणकारी व लाभकारी योजनाओं का पूर्णतया लाभ बेटियां व उनके परिजन उठा सकें। इसी वजह से यहां बेटियों का जन्म बेटों के मुकाबले ज्यादा रहा है। दो दशक में महिलाओं का औसत बढ़ा
प्रदेश में पिछले दो दशक में अनुमानित 77,56,103 की आबादी बढ़ी, जिसमें 40,16,923 पुरुषों के मुकाबले 37,39,180 महिलाओं की संख्या शामिल है। इस प्रकार लिंगानुपात का 93.08 प्रतिशत होता है। मसलन जनसंख्या में महिलाओं की आबादी को कम नहीं आंका जाता। खासतौर से प्रदेश के लिंगानुपात में पिछले सात सालों में बेहतर सुधार देखा जा रहा है। प्रदेश की 2022 में अनुमानित आबादी 2,89,00,667 हो गई है। इसमें पुरुषों की अनुमानित जनसंख्या 1,53,80,876 तथा महिलाओं की अनुमानित जनसंख्या 1,35,19,790 है। फरीदाबाद और हिसार की सबसे ज्यादा आबादी है तो पंचकूला और रेवाड़ी सबसे कम आबादी वाले जिलों में शामिल हैं।
ऐसे आगे बढ़ रहा प्रदेश
यदि पिछले दो दशक की जनसंख्या पर नजर डाले तो बेटों के मुकाबले बेटियों की संख्या औसतन एक हजार में 930 से ऊपर मानी जा सकती है। मसलन प्रदेश में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार हरियाणा की 1,18,59,465 महिलाओं समेत कुल आबादी 2,53,51,462 थी। जबकि 2001 की जनगणना में पुरुष 1,13,63,953 औरमहिला 97,80,611 के साथ कुल आबादी 2,11,44,564 थी। इसलिए वर्ष 2001 का कुल लिंगानुपात 86.01 प्रतिशत और 2011 में 87.90 प्रतिशत था। अब 2022 में यह अनुमानित लिंगानुपात 87.90 प्रतिशत है। 2011 में सबसे अधिक 907 के साथ लिंग अनुपात वाला जिला मेवात 907 और सबसे कम लिंग अनुपात 854 वाला जिला गुरुग्राम था।
जागरूकता मुहिम रंग लाई
सरकारी स्कूल के अध्यापक, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और आशा वर्कर्स की तरफ से गांव में जागरूकता अभियान चलाया जाता है। घर-घर जाकर लोगों को जागरुक किया जाता है। जिसका असर अब देखने को मिल रहा है। 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का दिखा असर 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत जिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान का मकसद हरियाणा में गिरते लिंगानुपात को सही करना था। अब पीएम के इस अभियान का असर हरियाणा में देखने को मिल रहा है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए आशा वर्कर्स दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहीं है। वो घर जाकर लोगों को जागरुक कर रही हैं।
करनाल का बाहरी गांव बना मिसाल
करनाल जिले का बाहरी गांव लिंगानुपात के मामले में हरियाणा के दूसरे गांव के लिए मिसाल है। इस गांव में बेटियों को बेटों से कम नहीं आंका जाता।शायद यही वजह है कि यहां बेटो से ज्यादा बेटी जन्म ले रही हैं। इस गांव में साल 2020 में 1000 लड़कों के मुकाबले 1305 लड़कियों ने जन्म लिया। प्रदेश के अन्य गांवों में भी तेजी से स्थति सुधर रही है।
साक्षरता दर में बेहतर सुधार
प्रदेश में लिंगानुपात के साथ साक्षरता की दर भी तेजी से बढ़ी है और शहरो के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में भी पिछले एक दशक में शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा है और साक्षरता की दर करीब 82 प्रतिशत से भी ज्यादा पहुंच गई है। हरियाणा में पुरुष और महिला साक्षरता दर के बीच सबसे अधिक अंतर है, लेकिन पिछले एक दशक में यह अंतर बेहतर सुधार माना जा सकता है। यही नहीं कुछ जिलों में तो शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियां प्रदेश को रोशन कर रही हैं। जनगणना के अनुसार प्रदेश की साक्षरता दर 75.55 फीसदी थी, जिसमें 84.08 फीसदी साक्षर पुरुषों के मुकाबले साक्षर महिलाएं 65.93 फीसदी है। मसलन प्रदेश में कुल साक्षर संख्या 16,598,988 में पुरुष 9,794,067 और महिलाएं 6,804,921 थी। जनगणना के अनुसार प्रदेश में 0-6 वर्ष बच्चों की जनसंख्या 3,380,721 थी, जिनमें 1,843,109 लड़के और 1,537,612 लडकियां थी।
फतेहाबाद की बड़ी छलांग
प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जून 22 तक लिंगानुपात के जारी किये गये आंकड़ो पर गौर की जाए तो साल की पहली छमाही में 11 जिलों में लिंगानुपात राज्य के औसत से भी कम पाया गया है और उनमें से 6 जिलों में 1000 लड़कों के मुकाबले 900 से कम लड़कियों का जन्म हुआ है। प्रदेशभर में एक हजार बेटो पर औसतन 911 बेटियों का जन्म हुआ है। इसमें फतेहाबाद जिला पिछले छह माह में ही लंबी छलांग लगाकर प्रदेश में पहले पायदान पर आ गया है, जहां एक हजार लड़को पर 987 लड़कियों ने जन्म लिया। यह जिला बेटी बचाओ बेटी पढाओं अभियान के बाद लिंगानुपात के मामले में साल 2018 व 2021 को छोड़कर लगातार सुधार की तरफ बढ़कर सबसे आगे आ गया है। जबकि जिला जींद व गुरुग्राम में यह आंकड़ा 959 दर्ज किया गया, जो राज्य में दूसरे स्थान पर पहुंचा है। वहीं रोहतक पिछले साल के अंत में लिंगानुपात में 945 लड़कियों की संख्या लेकर पहले स्थान पर पहुंचा था, जो छह माह बाद ही 16 अंक से पिछड़कर 929 पर खिसक गया है।
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