पेट की आग ने जला दिया मतदान का अधिकार, लाखों बंगाली नहीं चुन सकेंगे अपनी सरकार

विकास चौधरी : पानीपत
हरियाणा में रोजगार कर अपना व अपने परिवारों का पेट पाल कर रहे पश्चिमी बंगाल के दो लाख से अधिक नागरिक अपने राज्य के विधानसभा चुनाव में वोटिंग नहीं कर सकेंगे। वहीं भारत के संविधान ने हर पात्र नागरिक को पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव में वोटिंग का अधिकार दिया है, लेकिन पेट की भूख, गरीबी, बेबसी, लाचारी के चलते हरियाणा में निवास कर रहे बंगाली अपने सूबे की सरकार को चुनने के लिए मतदान नहीं कर सकेंगे।
हरियाणा में बंगाल के लाखों प्रवासी श्रमिक
गौरतलब है कि पानीपत, यमुनानगर, अंबाला, फरीदाबाद, गुरूग्राम आदि जिलों में बंगाल प्रवासी श्रमिक अपने परिवारों के साथ रह कर जीवन यापन कर रहे है। हरियाणा में सर्वाधिक बंगाली पानीपत में निवास करते हैं और बुनकर हैं, इन बुनकरों में सर्वाधिक बंगाली हाथों से बुनाई का काम करते हैं, इसके चलते इनकी टेक्सटाइल के कारोबार में सबसे अधिक डिमांड है। हरियाणा में खेती से भी काफी संख्या में बंगाली जुड़ा है, विशेषकर धान व गन्ने की खेती से। इधर, गत वर्ष कोरोना महामारी के भीषण काल के दौरान पानीपत समेत हरियाणा के अन्य जिलों से पश्चिमी व पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार के प्रवासी मजदूरों ने पैदल ही कूच किया था, जबकि बंगाली श्रमिक हर हाल से जूझते हुए हरियाणा में ही रहे थे। हालात सामान्य होने व ट्रेनों के चलने के बाद बंगाल प्रवासी श्रमिक अपने घरों को गए थे और फिर वापस लौट आए। वहीं हरियाणा में बंगाल के सभी 23 जिलों के निवासी रोजगार कर जीवन यापन कर रहे है।
आर्थिक कमजोरी ही मतदान का अधिकार छीन लेती है
इधर, बंगाल में विधानसभा की 294 सीटों के लिए 27 मार्च, एक, छह, 10, 17, 22, 26, 29 अप्रैल को वोटिंग होनी है। जबकि दो मई को वोटों की गिनती होनी है। इधर, हर राज्य का प्रशासन अपने सूबों में शतप्रतिशत मतदान कराने के लिए प्रयास करता है। जबकि निर्धन वर्ग से उनकी आर्थिक कमजोरी ही मतदान का अधिकार छीन लेती है। हरियाणा में निवास कर रहे बंगाली अपने कमजोर आर्थिक हालात के चलते वोटिंग के लिए बंगाल नहीं जा सकेंगे। बंगाल के जिला मुर्शिदाबाद निवासी गय्यूर अली, उत्तर दीनाजपुर निवासी मोहम्मद सलीम, जलपाईगुडी निवासी पंकज विश्वास, नादिया निवासी इमराना बेगम, मेदिनीपुर निवासी हसन सरदार, बीरभूमि निवासी पंकज टोरिया ने बताया कि वे और उनके परिवार जीवन यापन के लिए पानीपत में रह कर टेक्सटाइल उद्योग से जु़ड़े है, वे रोज कमाते है और खाते है। वहीं उनकी इतनी कमाई नहीं है कि वे, हजारों रूपये किराया देकर विधानसभा के चुनाव में मतदान के लिए जा सके। बंगाल निवासी जहीरउद्दीन, अकबर, मतलूब, जमीर, तनवीर, इम्त्यिाज, खैरून बानो, प्रवीण आदि ने बताया कि ग्राम पंचायत के चुनाव में प्रत्याशी आर्थिक मदद दे देते है तो वे मतदान के लिए बंगाल चले जाते है, वहीं विधानसभा चुनाव में वे मतदान के लिए नहीं जा सकेंगे। स्मरणीय है कि गत वर्ष हुए बिहार विधानसभा के चुनाव में भी पानीपत में प्रवास कर रहे बिहार प्रवासी मजदूर भी मतदान के लिए अपने सूबे में नहीं गए थे।
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