CAQM की सख्ती : पानीपत के डाई हाउसों में डंप हुआ 21 लाख किलो कपड़ा और धागा, टेक्सटाइल उत्पादों का निर्माण ठप

CAQM की सख्ती : पानीपत के डाई हाउसों में डंप हुआ 21 लाख किलो कपड़ा और धागा, टेक्सटाइल उत्पादों का निर्माण ठप
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सीएक्यूएम ने कोयला संचालित उद्योगों को एक अक्टूबर से बंद करने के निर्देश दिए थे साथ ही चेतावनी दी कि जो भी कोयला आधारित उद्योग चलता मिलेगा उसके संचालक पर एक करोड़ रुपये जुर्माना और पांच साल कैद की चेतावनी भी दी गई है।

विकास चौधरी : पानीपत

कमीशन ऑफ एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ( सीएक्यूएम ) द्वारा विश्व विख्यात टेक्सटाइल नगरी पानीपत में प्रदूषण को नियंत्रित किए जाने के लिए गैर पीएनजी ईंधन जैसे कोयला, लडकी, उफले आदि से चलने वाले उद्योगों को बंद करवाए जाने के चलते डाई हाउसों में करीब 21 लाख किलोग्राम कपड़ा व विभिन्न प्रकार का धागा डंप हो गया है। कपड़ा व धागा रंगाई के लिए डाई हाउसों में भेजा गया था। कपड़े व धागे की रंगाई बंद होने से विदेशों में टेक्सटाइल उत्पादों का निर्यात करने वाले एक्सपोर्टरों की चिंता बढ गई है।

टेक्सटाइल उद्योग की मां है डाई उद्यम

पानीपत में दुनिया के अधिकतर देशों को टेक्सटाइल उत्पाद निर्यात किए जाते हैं। वहीं एक्सपोर्ट होने वाले टेक्सटाइल उत्पादों का निर्माण कपड़े व धागे से होता है और उत्पाद के निर्माण से पहले कपड़े व धागे की विभिन्न रंगों से रंगाई की जाती है। यानि बिना डाई के टेक्सटाइल उत्पादों का निर्माण कार्य नहीं हो सकता, इसलिए डाई उद्यम को टेक्सटाइल उद्योग की मां कहा जाता है।

एक अक्टूबर से बंद हैं पानीपत के डाई हाउस

सीएक्यूएम ने कोयला संचालित उद्योगों को एक अक्टूबर से बंद करने के निर्देश दिए थे साथ ही चेतावनी दी कि जो भी कोयला आधारित उद्योग चलता मिलेगा उसके संचालक पर एक करोड़ रुपये जुर्माना और पांच साल कैद की चेतावनी भी दी गई है। सीएक्यूएम की कार्रवाई के डर से कोयला ईंधन चलित उद्योग बंद हो गए थे। गौरतलब है कि पानीपत के सभी डाई हाउसों में बॉयलर चलते हैं और इन्हें गर्म करने के लिए ईंधन के रूप में कोयले का प्रयोग किया जाता है।

तय समय पर माल की डिलीवरी देना मुश्किल

स्मरणीय है किे विदेशी बॉयर पानीपत के एक्सपोर्टरों को टेक्सटाइल उत्पाद का सैंपल देकर माल तैयार कराते है और माल की डिलीवरी की समय सीमा तय होती है। वहीं क्रिसमस व ईसाई नव वर्ष पर विदेशों में टेक्सटाइल उत्पादों की मांग बढती है। इसके चलते विदेशों में भेजे जाने वाला माल तैयार कर उसका निर्यात नवंबर माह के पहले पखवाडे में शुरू हो जाता है। यदि बॉयर को तय समय पर माल की डिलीवरी न मिले तो एक्सपोर्टर का भुगतान होने में जहां देरी होती है, वहीं बॉयर की नाराजगी भी झेलनी पडती है। नाराज बॉयर आगे आर्डर नहीं देता और ऐसे हालात में आर्डर चीन, बांग्लादेश, तुर्की, श्री लंका, पाकिस्तान के टेक्सटाइल उद्यमियों को मिलने की संभावना बढ जाती है।

पानीपत डायर्स एसोसिएशन प्रधान भीम राणा ने बताया कि सीएक्यूएम उद्यमियों पर बॉयलर को पीएनजी पर शिफ्ट करने का दबाव बना रहा है। वहीं कोयला ईंधन प्रयोग कर प्लांट चलाने पर एक करोड़ का जुर्माना व पांच साल की कैद की सजा है। ऐसे हालात में डाई हाउस संचालक कुछ नहीं कर पा रहे है। बडे पैमाने पर कपड़ा व धागा डाई हाउसों में रंगाई के लिए रखा है। अब तो प्रदेश सरकार से आस है कि सीएक्यूएम से उद्यमियों की कितनी राहत दिलवाती है।

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