सरस्वती नदी में गंदे पानी की निकासी को रोकने के होंगे पुख्ता इंतजाम

कुरुक्षेत्र : हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि विश्व प्रसिद्घ पवित्र सरस्वती नदी का कुरुक्षेत्र के बीच से निकलना यहां के लोगों के लिए सौभाग्य की बात है। सरकार की तरफ से प्रयास किए जा रहे है कि इस पवित्र नदी में निरंतर स्वच्छ जल का प्रभाव बना रहे। इस कार्य में थानेसर शहर के लोगों की अहम भूमिका रह सकती है। इसके लिए लोगों को अपने घरों और प्रतिष्ठानों के गंदे पानी की निकासी को पवित्र नदी में जाने से रोकना होगा। इतना ही नहीं सरकार और प्रशासन की तरफ से सरस्वती नदी में शहर के गंदे पानी की निकासी को रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है।
बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच खेड़ी मारकंडा में एसटीपी का अवलोकन करने के उपरांत अधिकारियों की एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने एसटीपी प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया और सरस्वती बोर्ड, जन स्वास्थ्य विभाग, प्रदूषण नियंत्रण विभाग के साथ-साथ हुडा के अधिकारियों से शहर के गंदे पानी की निकासी को लेकर फीडबैक ली। उपाध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल की योजना है कि पवित्र सरस्वती नदी में निरंतर जल की धारा बहती रहे। इस नदी के मार्ग में जितने भी गंदे पानी के रास्ते थे, उन सबको बंद करवाया जा रहा है। इसी तरह थानेसर शहर के गंदे पानी की निकासी को भी सरस्वती में जाने से रोकने के लिए प्रबंध किए गए है। इस गंभीर विषय को लेकर विभागीय अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार पिपली और खेड़ी मारकंडा में ही एसटीपी के 2 नए प्रोजैक्ट लगाने की भी योजना है। इन प्रोजैक्ट का प्रपोजल बनाकर सरकार को भेजा जाएगा।
उन्होंने कहा कि शहर के लोगों को भी पवित्र सरस्वती नदी की पवित्रता को बनाए रखने के लिए गंदे पानी की निकासी को स्वयं बंद करना होगा। इसके साथ ही शौचालयों में कम से कम पानी का प्रयोग करने के लिए पानी के प्रबंधन पर फोकस रखना होगा। अधिकतर देखने में आया है कि शौचालयों में जरुरत से ज्यादा पानी का प्रयोग किया जा रहा है। इसलिए थानेसर शहर के लोगों को पानी के प्रबंधन पर गंभीरता से सोचने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि बोर्ड के प्रयासों से अभी हाल में ही सरस्वती नदी में स्वच्छ जल का बहाव किया गया है। इस नदी में पानी आने से सभी के चेहरों पर खुशी देखी गई। सरकार का प्रयास है कि इस नदी की धारा को फिर से धरातल पर बहाया जाए।
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