भाजपा मंत्री और रेवाड़ी नप चेयरपर्सन में ठनी : ओपी यादव ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप, पूनम यादव बोलीं - साबित होने पर दे दूंगी इस्तीफा

हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी
हरियाणा के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओमप्रकाश यादव शहरी निकाय संस्थाओं के चेयरमैन और ईओ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। उनके इस बयान पर तुरंत प्रक्रिया व्यक्त करते हुए रेवाड़ी नगर परिषद की चेयरपर्सन पूनम यादव ने पलटवार किया है।
मंत्री के बयान के कुछ समय बाद मीडिया से बातचीत में पूनम यादव ने कहा कि वे भाजपा की चेयरमैन हैं। मंत्री ओपी यादव भी भाजपा से ही हैं। नगर परिषद और नगर पालिकाओं में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए सीएम मनोहर लाल ने चेयरमैन पद के चुनाव सीधे कराए थे। अगर मंत्री ओपी यादव उन पर भ्रष्टाचार की बात साबित कर दें, तो वह पद से इस्तीफा देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि मंत्री यादव इस तरह के बयान देकर भाजपा की छवि खराब कर रहे हैं। इससे उन्होंने महिलाओं का भी अपमान किया है। उन्होंने कहा कि एक महिला होने के नाते मंत्री को उन्हें कमजोर नहीं समझना चाहिए। उन्होंने मंत्री यादव से तत्काल अपने शब्द वापस लेने की मांग की है।
क्या कहा था मंत्री ओमप्रकाश यादव ने
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओमप्रकाश यादव ने शहरी निकाय विभागों के चेयरमैन और ईओ से डीडी पावर छीनने के मामले में प्रदेश सरकार की पैरवी करते हुए रेवाड़ी के ईओ और चेयरमैन सहित प्रदेश की नप और नपा के चेयरमैनों को घूसखोरी में लिप्त करार दिया। गुरूवार को रेवाड़ी में ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग में भाग लेने आए ओपी यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने शहरी निकायों में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए ईओ और चेयरमैन से चेक इश्यू करने की पावर खत्म की है। निकायों में विकासकार्य अधिकारी ही कराते हैं। विकासकार्यों की गुणवत्ता जांचने का कार्य भी अधिकारी ही करते हैं। ऐसे में ईओ और चेयरमैन विकास कार्यों के चेक जारी करने में घूसखोरी को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि चेयरमैन घूस देने वाले ठेकेदारों के चेक तुरंत काट देते हैं, जबकि घूस नहीं देने वालों को चेक के लिए चक्कर लगवाए जाते हैं।
रेवाड़ी नप के ईओ और चेयरमैन पर घूसखोरी का सीधा इशारा करते हुए ओपी यादव ने कहा, 'आप अच्छी तरह जानते हैं ईओ क्या खाता है और चेयरमैन क्या।' उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें चेयरमैनों के खिलाफ 20-20 केस पकड़े गए हैं। सरकार ने इस भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए ही उनसे चेक साइन करने की पावर छीनी है। उन्होंने दावा किया कि सरकार के पास इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि चेक काटने की ऐवज में पैसे की वसूली की जाती है। ऐसे मामलों में सरकार जांच भी करा रही है।
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