WhatsApp ग्रुप में रोडवेज फ्लाइंग की लोकेशन पब्लिक करने वाला छात्र पकड़ा, जुड़े थे 150 से अधिक विद्यार्थी

हरिभूमि न्यूज : जींद
व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर रोडवेज फ्लाइंग टीम की सूचना सार्वजनिक करने वाले एक छात्र को फ्लाइंग टीम ने पकड़ा है। इसमें विद्यार्थी ने व्हाट्सएप ग्रुप जींद आर्मी के नाम से बनाया हुआ था जिसमें 150 से ज्यादा सदस्य जुड़े हुए थे। रोडवेज फ्लाइंग टीम विद्यार्थी को लेकर बस स्टैंड परिसर में पहुंची जहां फ्लाइंग टीम ने उसका मोबाइल जब्ज कर लिया। फ्लाइंग टीम विद्यार्थी से ग्रुप एडमिन सहित अन्य विद्यार्थियों के बारे में पता करने में लगी हुई है।
ग्रुप में जुड़े थे 150 विद्यार्थी
रोडवेज फ्लाइंग टीम मंगलवार को बिना टिकट यात्रियों को पकड़ने के लिए जींद-रोहतक रूट पर बसों की जांच कर रही थी। इस दौरान एक बस रोहतक से जींद की ओर आती हुई दिखाई दी तो फ्लाइंग टीम ने बस को रूकवा कर जांच शुरू कर दी। जब फ्लाइंग टीम यात्रियों से टिकट की जांच कर रही थी तो एक विद्यार्थी मोबाइल पर रोडवेज फ्लाइंग टीम की जानकारी शेयर करते हुए पकड़ा गया। विद्यार्थी के मोबाइल की जांच की तो उसमें पाया कि विद्यार्थी ने जींद आर्मी के नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाया हुआ था, जिसमें 150 से ज्यादा विद्यार्थी जुड़े हुए हैं। अब फ्लाइंग टीम व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े अन्य सदस्य व ग्रुप एडमिन के बारे में पता करने में लगी हुई है।
इससे पहले भी पकड़े जा चुके हैं व्हाट्सएप ग्रुप
इससे पहले भी रोडवेज फ्लाइंग टीम नेव्हाट्सएप ग्रुप बनाकर रोडवेज फ्लाइंग टीम की सूचना देने वाले कई विद्यार्थियों को पकड़ा है। जून महीने में व्हाट्सएपग्रुप में फ्लाइंग टीम की सूचना देने वाले चार विद्यार्थियों को पकड़ा था। इन विद्यार्थियों के मोबाइल में दो अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हुए थे। इसमें 500 से ज्यादा सदस्य जुड़े हुए थे। इसमें से एक ग्रुप का नाम जींद टू नरवाना व दूसरे ग्रुप का नाम कति शरीफ बालक था।
रोडवेज फ्लाइंग टीम की जानकारी शेयर करने वाले ज्यादातर विद्यार्थी स्कूलों के : जीएम
जींद डिपो के महाप्रबंधक अशोक कौशिक ने बताया कि व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर रोडवेज फ्लाइंग टीम की जानकारी शेयर करने वाले ज्यादातर विद्यार्थी स्कूलों के हैं। ऐसे में उप जिला शिक्षा अधिकारी से बात की जाएगी कि विद्यार्थियों को स्कूलों में टिकट या बस पास बनवाकर यात्रा करने के लिए प्रेरित किया जाए। कॉलेज व अन्य कोचिंग सेंटर के संचालकों से भी बातचीत की जाए ताकि वह भी युवाओं को टिकट या बस पास बनवा कर यात्रा करने के लिए प्रेरित करें।
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