दसवीं के छात्र ने बनाई ऐसी फेस शील्ड : डॉक्टरों को पीपीई किट की घुटन व गर्मी से मिलेगी राहत, नहीं होगी सांस फूलने की परेशानी

हरिभूमि न्यूज. रेवाड़ी
दसवीं में पढ़ने वाले छात्र हार्दिक ने अपनी बुद्धिमता व क्षमता से डॉक्टर्स को पीपीई किट में होने वाली घुटन व गर्मी व सांस फूलने की परेशानी से बचाने के लिए एक टेक्नोलॉजी से युक्त हेलमेटनुमा को-टर्मिनेटर फेस शील्ड बनाई है। हार्दिक मूल रुप से अंबाला का रहने वाला है, लेकिन फिलहाल गढ़ी बोलनी रोड स्थित कॉलोनी में अपने परिवार के साथ रेवाड़ी में रह रहा है। हार्दिक ने अपने प्रोजेक्ट को 6 माह में तैयार किया है और अपने प्रोजेक्ट को पेटेंट भी करा लिया है ताकि इसे कोई कॉपी ना कर सके। हार्दिक द्वारा बनाई गई को-टर्मिनेटर शील्ड एयर कूलिंग टेक्नोलोजी से लैस है, जिसमें एंटी फॉग वाइजर, एयर फिल्टर, इमरजेंसी बटन व मोबाइल ऐप से कनेक्टविटी सहित तमाम फीचर्स डाले गए हैं।
छात्र हार्दिक का कहना है बॉर्डर पर सर्दी-गर्मी में तैनात हमारे जवानों के लिए भी इस शील्ड का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसके लिए वो शील्ड को बुलेट प्रूफ बना रहे है। छात्र ने बताया कि कोरोना काल में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ ने काफी कठिनाइयों का सामना करके लोगों को इलाज किया और काफी डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ अपनी जान भी गंवा बैठे, इसी परेशानी को देखते हुए मुझे ये फेस शील्ड बनाने का आइडिया आया,जिसके बाद छात्र ने करीबन छह माह इस प्रोजेक्ट पर काम किया और वो कामयाब भी हुए। हार्दिक की उम्र 16 वर्ष है और वो फिलहाल कैम्ब्रिज स्कूल में दसवीं के छात्रा है। हार्दिक ने बताया कि को-टर्मिनेटर शील्ड बनाने से पहले उन्होंने दिक्कतों को लेकर काफी डॉक्टर्स से डिस्कस भी किया और पीपीई कीट पहनकर इलाज करने से होने वाली परेशानियों की जानकारी हासिल की,जिससे देखते हुए हार्दिक ने शरीर के तामपान को मेंटेन करने के लिए को-टर्मिनेटर शील्ड इजात कर दी।
कैसे करें हेलमेटनुमा शील्ड का इस्तेमाल
हेलमेटनुमा दिखने वाली फेस शील्ड का कैसे इस्तेमाल होगा और ये कैसे डॉक्टर्स व मेडिकल स्टाफ के लिए कारगर रहेगी। इस बारे में हार्दिक ने बताया कि इस शील्ड का वाईजर एंटी फॉग है, जिसके ऊपर के हिस्से में एक इमरजेंसी बटन लगाया गया है, जो मोबाइल एप के जरिये एक ऑटो मैसेज सेंड करेगा व शील्ड में एक पाइप के जरिये तापमान को अपने हिसाब से अनुकूल बनाया जा सकता है। छात्र ने कहा कि 300 ग्राम वजन की इस शील्ड को ठंडा रखने के लिए करीबन 10 इंच का एक कूलिंग सिस्टम लगाया गया है, जिसमें आइस जेल डालकर इस्तेमाल किया जाएगा।
बॉर्डर पर तैनात जवानों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा
साथ ही एक खास आइयोनाइजर नाम के एक डिवाइस को इसके साथ ही जोड़ा गया है, जिससे कोई भी वायरस शील्ड बनाने वाले व्यक्ति से करीब 6 मीटर की दूरी पर रहेगा। हार्दिक ने बताया कि अभी कूलिंग सिस्टम का साइज थोडा बड़ा है, जिसे छोटा करने पर भी काम किया जा रहा है साथ ही इस शील्ड को बुलेट प्रूफ बनाकर देश की सेवा में सर्दी गर्मी में बॉर्डर पर तैनात जवानों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। जिसके लिए अभी इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। बहराल हार्दिक ने अपने प्रोजेक्ट पेटेंट करा लिया है ताकि कोई इसे कॉपी ना कर सकें व स्वास्थ्य सेवाओं में इस्तेमाल कराए जाने के लिए आईसीएमआर में पंजीकरण के लिए काम किया जा रहा है। इससे पहले भी हार्दिक पोपुलर सोशल चैटिंग मोबाइल एप्लीकेशन की तरह एक एप बनाकर कमाल कर चुके हैं।
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