सरकारी फरमान बच्चों पर पड़ा भारी : पानीपत में आयोजित प्रकाश पर्व में भेजे गए विद्यार्थी 12 घंटों तक रहे भूखे-प्यासे

सरकारी फरमान बच्चों पर पड़ा भारी : पानीपत में आयोजित प्रकाश पर्व में भेजे गए विद्यार्थी 12 घंटों तक रहे भूखे-प्यासे
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प्रदेश सरकार ने राज्य स्तरीय गुरु तेगबहादुर शहीदी दिवस का आयोजन रविवार को पानीपत में किया। इसमें भीड़ बढ़ाने के लिए राज्य भर के सरकारी स्कूलों के बच्चे दूर दराज से पानीपत बुलाए गए थे।

हरिभूमि न्यूज : नारनौल

आजादी की 75वीं वर्षगांठ के तहत प्रदेश सरकार ने पानीपत में श्री गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व राज्यस्तर पर मनाया। इसमें सरकारी फरमान मानते हुए रोडवेज की बसें सभी जिलों से सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को लेकर सुबह पानीपत पहुंची। सुबह छह बजे से शाम के छह बजे के बीच 12 घंटों में चिलचिलाती धूप और झुलसा देने वाले तापमान के बीच शारीरिक व मानसिक यातना सहने के बाद यह विद्यार्थी पानीपत से वापस घर लौटे। इस बीच विद्यार्थियों को सिर्फ दो केले व एक पानी बोतल ही देकर भोजन की खानापूर्ति की गई। जैसे ही शाम को विद्यार्थी घर पहुंचे तो उन्होंने दिनभर भूखे रहने की बात अभिभावकों को बताई। इसके बाद अभिभावकों में रोष पनप गया।

प्रदेश सरकार ने राज्य स्तरीय गुरु तेगबहादुर शहीदी दिवस का आयोजन रविवार को पानीपत में किया। इस समारोह में मुख्यमंत्री से लेकर तमाम सरकारी तंत्र तक उपस्थित रहा। भीड़ बढ़ाने के लिए राज्य भर के सरकारी स्कूलों के बच्चे दूर दराज से पानीपत बुलाए गए। इस समारोह में शामिल होने के लिए प्रशासन के दिशा निर्देश पर जिले में हर ब्लाक से छह सरकारी स्कूलों का चयन किया गया था।

इन प्रत्येक एक स्कूल से 35 विद्यार्थी व पांच अध्यापकों को रविवार सुबह रोडवेज बस से पानीपत जाने को कहा गया। इस आदेश की पालना करते हुए ही जिले से सरकारी स्कूल में नौंवीं से 12वीं कक्षा के यह करीब 400 विद्यार्थी सुबह सवेरे तैयार होकर अध्यापकों सहित बस में सवार हो गए। पानीपत में आयोजन स्थल पर दोपहर साढ़े 12 बजे पहुंचे। आयोजन में हिस्सा लेने के बाद वापस शाम तक जिले में प्रवेश किया। इन 12 घंटों के बीच आयोजकों या जिला प्रशासन की ओर से बच्चों को भोजन के रूप में महज दो केले और एक पानी की बोतल दी गई।

आयोजन पर करोड़ों खर्च, फिर भी ये हालात

एक तो भयानक गर्मी और झुलसा देने वाला तापमान जिसमें मासूमों को 400 किलोमीटर का सफर करवाने का फरमान बच्चों पर भारी पड़ा। वहां गए बच्चों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पूरे दिन में उन्हें भोजन के नाम पर दो केले और एक पानी की बोतल दी गई। इस बच्चों के साथ गए अध्यापकों का कहना था कि करोड़ों रुपये आयोजन पर खर्च करने वाली सरकार बच्चों के प्रति कितनी संवेदनशील है, यह उनके व्यवहार से जाहिर हो रहा है। सारा दिन बच्चे भूखे प्यासे दो केले के सहारे सरकारी गुणगान करते रहे। बहुत से बच्चे गर्मी के मारे चक्कर खाकर गिर गए। जो बच्चे भोजन और पैसे नहीं लेकर गए थे, उन्होंने अध्यापकों अथवा साथियों से मांग कर खाना खाया। अभिभावकों ने इस पर उचित कार्रवाई की मांग की है।

क्या कहते हैं डीईओ

इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त से बातचीत की गई। उनका कहना था कि प्रत्येक ब्लाक में छह स्कूल चयनित किए गए थे। एक स्कूल से 35 विद्यार्थी व पांच अध्यापक को पानीपत रोडवेज बस से भेजा गया था। बच्चों को भोजन करवाने संबंधित स्कूल प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। किसी स्कूल ने ऐसा नहीं किया है तो उस मामले की जांच की जाएगी।

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