हरियाणा में सिंगापुर और इजराइल मॉडल का अध्ययन : जल संरक्षण के लिए 14 विभाग एक साथ मिलकर करेंगे काम, नई योजनाएं होंगी तैयार

हरियाणा में सिंगापुर और इजराइल मॉडल का अध्ययन : जल संरक्षण के लिए 14 विभाग एक साथ मिलकर करेंगे काम, नई योजनाएं होंगी तैयार
X
हरियाणा सिंचाई विभाग के विशेषज्ञों के साथ-साथ में लगभग एक दर्जन विभाग मिल जुलकर काम करने में जुटे हुए हैं। सिंचाई, कृषि विभाग, नगर निगमों, पर्यावरण विभाग, तालाब प्राधिकरण सहित कईं विभाग आपसी सहयोग के साथ में इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

योगेंद्र शर्मा/ चंडीगढ़। हरियाणा में गिरते भूजल (Groundwater) स्तर को रोकने और भूमिगत जल का कम से कम इस्तेमाल करने को लेकर सूबे के विशेषज्ञ इस दिशा में कईं अहम योजनाओं को अमली जामा पहनाने में जुटे हुए हैं।

मुख्यमंत्री मनोहरलाल (CM Manohar Lal) भी बेशकीमती जल को लेकर कई योजनाओं पर बेहद ही गंभीरता से काम कर रहे हैं। हरियाणा सिंचाई विभाग के विशेषज्ञों के साथ-साथ में लगभग एक दर्जन विभाग मिल जुलकर काम करने में जुटे हुए हैं। सिंचाई, कृषि विभाग, नगर निगमों, पर्यावरण विभाग, तालाब प्राधिकरण सहित कईं विभाग आपसी सहयोग के साथ में इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। खासतौर पर जिन-जिन फसलों में ज्यादा पानी की खपत होती है, उसमें भी लघु सिंचाई का फार्मूला लागू करने के लिए बाहर के कई देशों में अध्ययन का सिलसिला चला है। जलबचाव अभियान के तहत हरियाणा में भूलजल को बचाने कम से कम पानी का प्रयोग करने की दिशा में कईं कदम उठाए जा रहे हैं। खासतौर पर पानी को दोबारा प्रयोग करने, भूमि जल को कम से कम प्रयोग करने को लेकर सिंगापुर और इजराइल बहुत आगे हैं। हरियाणा के कई अफसरों की टीम वहां अध्ययन कर लौट चुके हैं। इस तरह से 14 विभाग मिलकर दो साल के अंदर कईं तरह के अहम काम करने जा रहे हैं।

87 प्रतिशत पानी सिर्फ खेती के लिए

प्रदेश में 87 प्रतिशत पानी सिर्फ खेती के लिए चाहिए और तीन प्रतिशत पानी पीने के लिए। सरकार ने धान की सीधी बिजाई के लिए रकबा बढ़ाकर दो लाख एकड़ कर दिया है, लेकिन गन्ने के लिए ऐसी तकनीक पर काम किया जा रहा है कि कम से कम पानी में फसल ली जा सके। मेरा पानी मेरी विरासत योजना हरियाणा के इस प्रयास की देशभर में जमकर तारीफ हो रही है। किसानों को भी मानसिक तौर पर तैयार लिया गया कि वे लघु सिंचाई के जरिये ही गन्ने आदि की खेती करें। आंकड़ों पर गौर करें, तो हरियाणा को 14 लाख करोड़ लीटर पानी कम मिल रहा है। बजट में ढाई से तीन प्रतिशत राशि बढ़ाई गई तो यह घाटा आधा रह जाएगा, लेकिन भरपाई नहीं होगी। सूबे को 34 लाख करोड़ लीटर पानी की हर दिन जरुरत है। इतनी प्रतिपूर्ति होती है तो प्रदेश में खेती और पीने के लिए पर्याप्त पानी होगा। गन्ना किसानों के लिए सरकार ने कई तरह की स्कीम भी दी गई हैं। इस समय 204 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में 1800 एमएलडी पानी प्रयोग होता है। दो साल में इसका 50 फीसदी खेती के अलावा अन्य कार्यों में प्रयोग करना शुरू हो जाएगा।

राजनीतिक मुद्दा बन चुका पानी

हरियाणा गठन औऱ पंजाब से अलग होने के बाद से तीन लाल की इस धरती पर चुनावी मुहिम के दौरान टेल तक पानी पहुंचाने के वायदे भी किए जाते थे। लेकिन जमीनी हकीतत इससे दूर रही, इस दिशा में राज्य की मनोहर सरकार की ओर से कईं भागीरीथी प्रयास किए गए, जिसके कारण हरियाणा के कईं इस तरह के इलाकों में पानी पहुंचाया गया, जहां पर उसकी उम्मीद लोग छोड़ चुके थे। हरियाणा सिंचाई विभाग के इंजीनियर इन चीफ डाक्टर सतबीर कादियान का कहना है कि हमने तमाम स्टडी के बाद में हरियाणा के गिरते जलस्तर को संभालने का संकल्प लिया है। साथ ही आने वाले पांच साल में आत्मनिर्भर होने का है।

ये भी पढ़ें- Kurukshetra में डीटीपी की कार्रवाई : गांव मलिकपुर में पनप रही अवैध कॉलोनियों पर चला बुलडोजर

Tags

Next Story