राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन हुए सूबेदार अमरनाथ

राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन हुए सूबेदार अमरनाथ
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सिक्कम में आर्मी की 106 इंजीनियर यूनिट की गाड़ी फिसलने से 20 दिसम्बर को हुए हादसे में चार जवानों की मौत हो गई थी। जिसमें गांव बिशनपुरा निवासी 37 वर्षीय अमरनाथ भी शामिल था। बुधवार दोपहर को तिरंगे से सजे आर्मी की गाड़ी द्वारा उनकी गाड़ी को गांव बिशनपुरा ले जाया गया। जहां पर तिरंगे से सजे बाइकों के काफिले ने अगुवाई की और शव को पैतृक आवास में ले जाया गया। जहां पर परिजनों व ग्रामीणों ने उनके अंतिम दर्शन किए।

हरिभूमि न्यूज : जींद

आर्मी की 106 इंजीनियर यूनिट के सूबेदार गांव बिशनपुरा निवासी अमरनाथ का बुधवार दोपहर को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। आर्मी की टूकड़ी ने उन्हें अंतिम सलामी दी। जुलाना के विधायक अमरजीत ढांडा, पूर्व विधायक परमेंद्र ढुल, जिला प्रशासन की तरफ से तहसीलदार मनोज अहलावत, डीएसपी साधुराम, सदर थाना प्रभारी दिनेश कुमार ने अन्य गणमान्य लोगों ने श्रद्धांजलि दी। लोगों द्वारा लगाए गए भारत माता की जय, अमरनाथ अमर रहे के नारों से वातावरण गुंजायमान हो गया।


सिक्कम में आर्मी की 106 इंजीनियर यूनिट की गाड़ी फिसलने से 20 दिसम्बर को हुए हादसे में चार जवानों की मौत हो गई थी। जिसमें गांव बिशनपुरा निवासी 37 वर्षीय अमरनाथ भी शामिल था। मंगलवार देर रात को अमरनाथ का पार्थिव शरीर सदर थाना पहुंचा। बुधवार दोपहर को तिरंगे से सजे आर्मी की गाड़ी द्वारा उनकी गाड़ी को गांव बिशनपुरा ले जाया गया। जहां पर तिरंगे से सजे बाइकों के काफिले ने अगुवाई की और शव को पैतृक आवास में ले जाया गया। जहां पर परिजनों व ग्रामीणों ने उनके अंतिम दर्शन किए।

अंतिम यात्रा के दौरान परिजनों के सब्र का बांध भी टूट गया और फूट फूट कर रोए। जिसके बाद गांव के श्मशान घाट में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान आर्मी ने मातमी धुन बजाई और अंतिम सलामी दी। अमरनाथ के भाई जग्गनाथ ने बताया कि उसका भाई अमरनाथ वर्ष 2004 में आर्मी में भर्ती हुए थे। पिछले महीने ही वे छुट्टी के बाद वापस गए थे। करीब तीन साल पहले उनके पिता की मौत हो चुकी है। पिछले महीने उसकी बहन गांव में आई हुई थी। बुखार के कारण अचानक उसकी भी मौत हो गई। परिवार इस सदमे से उभरा भी नहीं था कि अमरनाथ के भी हादसे में मरने की सूचना आ गई। जिससे परिवार पूरी तरह से टूट गया है।

अमरनाथ अपने पीछे एक साल की बेटी महक और नौ साल का बेटा मयंक छोड़ गए हैं। ग्रामीणों ने मांग की कि अमरनाथ की गांव में प्रतिमा बनाई जाए। गांव में उनके नाम पर मुख्य द्वार बनाया जाए। लाइब्रेरी तथा स्टेडियम का नाम अमरनाथ के नाम पर रखा जाए। परिवार को सरकारी नौकरी दिलाई जाए।

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