Success Story : कृषि इंजीनियरिंग विंग की योजनाएं बनी सहारा, एक मुलाकात ने बदल दी प्रमोद की जिंदगी

Success Story : कृषि इंजीनियरिंग विंग की योजनाएं बनी सहारा, एक मुलाकात ने बदल दी प्रमोद की जिंदगी
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एक यंत्र पर अबाध अनुदान हासिल करके उत्साह से लबरेज प्रमोद को ऐसी लगन लगी कि सालों से अपना नया ट्रैक्टर का ख्वाब ले रहे प्रमोद के पास फिलहाल चार ट्रैक्टर हैं और खेती में इस्तेमाल होने वाले सभी दर्जन भर आधुनिक कृषि यंत्र हैं।

हरिभूमि न्यूज : नारनौल

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की कृषि इंजीनियरिंग विंग ने किसान प्रमोद के चिरलंबित अरमानों को यथार्थ के धरातल पर मूर्त रूप में उतारने में एक उत्प्रेरक का कार्य किया। नारनौल शहर के एक छोटे से गांव पटीकरा के महज अढ़ाई एकड़ जोत के एक सीमांत किसान प्रमोद उस दिन को याद करके रोमांचित हो जाते हैं जब उन्होंने कृषि यंत्र अनुदान पर लेने के लिए नारनौल में कृषि इंजिनियरिंग विंग के सहायक कृषि अभियन्ता कार्यालय के कर्मचारियों से सब्सिडी के संदर्भ में मुलाकात की। एक यंत्र पर अबाध अनुदान हासिल करके उत्साह से लबरेज प्रमोद को ऐसी लगन लगी कि सालों से अपना नया ट्रैक्टर का ख्वाब ले रहे प्रमोद के पास फिलहाल चार ट्रैक्टर हैं और खेती में इस्तेमाल होने वाले सभी दर्जन भर आधुनिक कृषि यंत्र हैं।

सबसे पहले रीपर बाइंडर पर ली सब्सिडी

कृषि इंजीनियरिंग विंग के जिला प्रभारी सहायक कृषि अभियन्ता इंजीनियर डीएस यादव के मुताबिक एक बार प्रमोद अनुदान पर दिए जाने वाले कृषि यंत्रों के बारे मे जानकारी लेने कार्यालय में आया। कार्यालय के टेक्निकल कर्मचारियों से मुलाकात करके कृषि यंत्रों पर अनुदान से संबंधित जानकारी और पूरी प्रक्रिया को समझकर उन्होंने रीपर बाइंडर नामक कृषि यंत्र पर अनुदान के लिए आवेदन किया। बिना किसी रूकावट के सभी औपचारिकता पूरी करने पर जब उनके खाते में अनुदान की 50 फीसदी राशि ट्रांसफर हुई तो वो गदगद हो उठे। गांव में वो पहले किसान थे जिन्होंने यह नई तरह का कृषि यंत्र खरीदा। उन्होंने दूसरे किसानों के खेतों में रीपर बाइंडर किराए पर चलाकर पहले साल ही इसकी कीमत पूरी करके कुछ अतिरिक्त मुनाफा भी कमाया।

रोटावेटर पर अनुदान

उन्होंने रोटावेटर पर अनुदान के लिए आवेदन किया और पूर्व की तरह इस बार भी आसानी से अनुदान मिल गया। शुरू में किसान रोटावेटर का इस्तेमाल करने से झिझकते थे परंतु प्रमोद ने इस नए कृषि यंत्र के बारे में अपने गांव के किसानों के साथ-साथ पड़ोसी गांवों के किसानों को भी जागरूक किया और एक साल मे किराए से इसकी कीमत पूरी करके मुनाफा भी हुआ। अब उनके पास दो कृषि यंत्र हो गए थे। वो उनके लिए विस्मरणीय पल थे जब उसने यंत्रों से हुई आय से एक नया ट्रेक्टर खरीदा।

एक से हो गए चार ट्रैक्टर

इन कृषि यंत्रो के कस्टम हायरिंग से उनकी आमदनी में साल दर साल इजाफा होता चला गया। मसलन अब प्रमोद के पास चार नए ट्रेक्टर हैं और रीपर बाइंडर व रोटावेटर के अतिरिक्त ट्रेक्टर चालित स्प्रे पम्प, कपास बिजाई मशीन, मल्टी क्रॉप थ्रेशर, रीपर बाइंडर, सीड ड्रिल, हैरो, कल्टीवेटर, बेड प्लांटर आदि सभी कृषि यंत्र उपलब्ध हैं। सबसे खास बात यह है कि प्रमोद अपने कृषि यंत्रों की मरम्मत भी अपने घर पर खुद ही करते हैं। इसके लिए उन्होंने घर पर ही एक लघु वर्कशॅाप बना रखी है।

रीपर बाइंडर साबित हुआ मील का पत्थर

इंजीनियर डीएस यादव एक दिन पहले बुधवार को गांव पटीकरा में प्रमोद के पास पहुंचे। प्रमोद ने बताया कि कार्यालय में जाना उनके लिए राम बाण साबित हुआ। उनके लिए रीपर बाइंडर अनुदान पर लेना निर्णायक साबित हुआ क्योंकि इस मशीन की कीमत पांच लाख रुपये से ज्यादा थी तो उनके लिए सबसिडी बिना इसे खरीदना असंभव था। उन्होंने सब्सिडी पर इसे खरीदा और इसे किराए पर चलाकर अच्छा खासा मुनाफा भी कमाया। ये अनुदान पर खरीदे गए कृषि यंत्रों को किराए पर चलाकर हुई आय का ही परिणाम ही है कि आज वह चार ट्रेक्टर के साथ-साथ करीब एक दर्जन कृषि यंत्रों का मालिक है।

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