फसल लोन के नाम पर शुगर मिल ने 750 किसानों से की ठगी, बैंकों के रिकॉर्ड में सभी किसान बने डिफॉल्टर

हरिभूमि न्यूज : नारायणगढ़ ( अंबाला )
शुगर मिल बनौंदी से जुड़े करीब 750 किसान बैंकों के रिकॉर्ड में लोन के डिफॉल्टर हो गए हैं। इन किसानों के नाम पर ब्याज समेत 35 करोड़ से ज्यादा की रकम बकाया है। हालांकि किसानों का कहना है कि उन्हें तो 7-8 साल पहले फसल लोन पर मिलने वाली सब्सिडी की 4 से 7 हजार रुपए तक की रकम ही मिली थी। जबकि लोन की रकम मिल प्रबंधन ने अपने पास रख ली। शनिवार को मिल के बाहर मामले को लेकर एकजुट हुए किसानों का कहना है कि मिल प्रबंधन ने वायदा किया था कि लोन और ब्याज की रकम मिल चुकाएगी।
अब हालत ये हैं कि उनके खातों में क्रॉप लोन खड़ा होने से उनका सिबिल स्कोर खराब हो गया है। बैंक उन्हें नया लोन तो देना दूर की बात, मोबाइल तक फाइनेंस नहीं कर रहे। उधर मिल के अधिकारी प्रदीप राणा ने कहा कि क्रॉप लोन की गड़बड़ी पुराने मिल अधिकारियों की देखरेख में हुई। छोटे अधिकारी/कर्मचारियों से कहा गया था कि यह पैसा किसानों की गन्ना खरीद पेमेंट में इस्तेमाल होगा। दो साल पहले पता चला कि इस पैसे का कोई रिकॉर्ड मिल में नहीं है। शनिवार को मुद्दे के समाधान को लेकर भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट ने मिल के पास किसान पंचायत आयोजित की गई।
युवा प्रदेश अध्यक्ष रवि आजाद ने मिल प्रबंधक एसडीएम नीरज से कहा कि जिन लोगों ने किसानों से क्रॉप लोन के नाम पर ठगी की है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। एसडीएम ने कहा कि किसान इस संबंध में लिखित शिकायत दें। दूसरी तरफ मिल की तरफ गन्ने की बकाया पेमेंट के सवाल पर एसडीएम ने कहा कि अब 70 करोड़ बकाया है। चीनी बेचकर और बिजली के पैसे से किसानों को 15 करोड़ और दे सकेंगे। बाकी 55 करोड़ का इंतजाम अभी नहीं है। एसडीएम ने किसानों से 10 दिन का समय मांगा है ताकि उच्चाधिकारियों से बात हो सके। किसान पंचायत में प्रदेश महासचिव सुरेन्द्र सांगवान, जिला अध्यक्ष नरमैल सिंह, युवा जिला प्रधान अरविंद सिंह, मंडल प्रधान बलदेव सिंह, जिला महासचिव ऋषी पाल, बॉबी बधौली मौजूद रहे।
किसानों को मिलता है 3 लाख का फसल लोन
वर्ष 2011 से 2014 में सरकार की स्कीम थी कि कोई भी गन्ना उत्पादक किसान तीन लाख रुपए का फसल लोन ले सकता था। इस बात का मिल प्रबंधन ने फायदा उठाया। मिल ने किसानों को क्रॉप लोन लेने को राजी किया। इस लोन में शुगर मिल गारंटर बना और लोन के पैसे किसानों से मिल प्रबंधन ने लिए थे। किसानों को सब्सिडी के नाम पर सिर्फ 4, 6 या 7 हजार रुपए ही दिए गए थे। उस समय स्टेट बैंक की कृषि विकास शाखा, पंजाब नेशनल बैंक, आईसीआईसीआई, यूनियन बैंक व अन्य बैंकों से हजारों किसानों के नाम पर लोन लिया गया था।
अब यूनियन बैंक का 477 किसानों पर ब्याज समेत करीब 20 करोड़ रुपए बकाया है। जबकि आईसीआईसीआई का करीब 250 किसानों पर ब्याज समेत 15 करोड़ रुपए बकाया है। वर्ष 2017 में कुछ किसानों के लोन को रिन्यू भी करवाया जा चुका है। यूनियन बैंक ने पैसे की रिकवरी के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ( एनसीएलटी ) के तहत शुगर मिल पर केस दायर किया है। दूसरा केस डेप्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल ( डीआरटी ) के तहत है। दोनों मामलों में किसानों को पार्टी नहीं बनाया गया है। मामले को लेकर किसान नरमैल सिंह, मान सिंह व सुखदेव समेत कई किसानों ने बताया कि 2013 में शुगर मिल ने गारंटी देकर मेरे नाम पर यूनियन बैंक से 3-3 लाख का क्रॉप लोन करवाया था। उन्हें केवल 8 हजार दिए गए। मिल के अधिकारियों ने वश्विास दिलाया था कि वह ब्याज और मूल बैंक में जमा करवाएंगे लेकिन कोई पैसा जमा नहीं करवाया। बैंक ने कुछ समय पहले उन्हें 4.50-4.50 लाख के नोटिस भेज लोक अदालत में बुलाया था। तब पता चला कि उनके साथ धोखा हो गया। अब सिबिल स्कोर खराब हो गया है। कोई बैंक लोन नहीं दे रहा।
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