चीनी मिल पेराई सत्र : अब तक लाखों रुपये की खोई बेचकर मिल को हो रहा आर्थिक लाभ

चीनी मिल पेराई सत्र : अब तक लाखों रुपये की खोई बेचकर मिल को हो रहा आर्थिक लाभ
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अब तक मिल की तरफ से करीब 80 लाख रुपये की खोई को बेचा जा चुका है। मिल की एमडी कारखाने में काम करने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों को मुनाफे का श्रेय दे रही है। चीनी रिकवरी में सोनीपत चीनी मिल प्रथम स्थान हासिल कर चुका है।

सुनील छिक्कारा, सोनीपत। दि सहकारिता चीनी मिल सोनीपत में पेराई सत्र सुचारू रूप से चलने सफलता के साथ आर्थिक लाभ हो रहा है। मिल प्रबंधन इस संबंध पेराई सत्र में गत पेराई सत्र की अपेक्षा इस पेराई सत्र के दौरान खोई की बचत करके उससे मुनाफा कमा रहा है। अब तक मिल की तरफ से करीब 80 लाख रुपये की खोई को बेचा जा चुका है। मिल की एमडी कारखाने में काम करने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों को मुनाफे का श्रेय दे रही है। चीनी रिकवरी में सोनीपत चीनी मिल प्रथम स्थान हासिल कर चुका है।

बता दें कि शहर के कामी सड़क मार्ग स्थित दि सहकारिता चीनी मिल सोनीपत में वर्ष 2022-23 पेराई सत्र की शुरुआत 17 नवंबर 2022 को हुई थी। वहीं गन्ने की पेराई का काम 21 नवंबर से शुरू हो गया था। जिसके बाद अब तक मिल में 18 लाख 70 हजार क्विंटल गन्ने की पेराई का काम पूरा हो चुका है। मौजूदा पेराई में ब्रेक डाउन की घटनाएं नाममात्र की हुई है। जिसके चलते तेजी से गन्ने की पेराई की जा रही है। यही नही मिल बेहतर क्षमता के साथ काम कर रहा है। मिल प्रशासन ने 36 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई का लक्ष्य रखा है। मिल प्रशासन 30 अप्रैल तक पेराई के काम को हर हाल में पूरा करना चाहता है।


गत वर्ष महज 11 लाख तो अब तक 79 लाख की बिक चुकी खोई

मिल प्रबंधन की तरफ से समय पर रिपेरिंग का कार्य पूरा करने के बाद पेराई सत्र तेज रफ्तार से चल रहा है। प्रतिदिन 22 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई क्षमता चीनी मिल की है। जबकि मिल के पेराई सत्र को 22 लाख से ज्यादा क्विंटल गन्ने की पेराई करके नए आयाम स्थापित किए है। बॉयलर को चलाने के लिए खोई का इस्तेमाल किया जाता है। गत वर्ष मिल प्रबंधन की तरफ से महज 10 लाख रुपये की खोई पेराई सत्र के दौरान बेची गई थी। बाकि की खोई साथ-साथ बॉयलर में इस्तेमाल होती चली गई। इस बाद पेराई सत्र में नए आयाम स्थापित करते हुए मिल प्रबंधन ने अब तक ऑनलाइन के जरिए 35 हजार क्विंटल खोई को 79 लाख रुपये में बेचकर मिल को मुनाफा पहुंचाया है। मिल प्रबंधन की तरफ से ऑनलाइन तरीके से तीन बार में 12 लाख, 562500 लाख व 1075000 लाख रुपये की खोई अब तक बेची है। वही हजारों क्विंटल खोई मिल परिसर में बची हुई है। जिसकी बेचने की प्रक्रिया को अमल में लाया जा रहा है।

चीनी रिकवरी में नंबर-1 का मिल चुका है खिताब, हाल में तीसरे नंबर पर कायम

खोई बेचकर मुनाफा कमाने के साथ-साथ सोनीपत चीनी मिल में चीनी रिकवरी को लेकर प्रथम स्थान पर रह चुका है। गन्ना उत्पादकों के चेहरे पर तो मुस्कान है ही साथ ही मिल के कर्मचारियों के चेहरे पर भी संतोष है। इस बार पूरे सीजन में अभी तक मात्र तीन बार ब्रेकडाउन की घटना हुई है। गत सोमवार को रिकॉर्ड चीनी रिकवरी दर्ज की गई। जो प्रदेश भर में अव्वल रही। पहले नंबर पर सोनीपत चीनी मिल रही तो दूसरे नंबर पानीपत और तीसरे पर जींद की चीनी मिल में चीनी रिकवरी का रिकॉर्ड दर्ज किया गया था। हाल के दिनों में चीनी रिकवरी मामले में सोनीपत तीसरे नंबर पर कायम है।

मिल कारखाने को बिना उच्च अधिकारियों के सहयोग से चलाना चुनौतीपुर्ण होता है। पेराई सत्र 2022-23 को शुरू करने से पहले मिल प्रबंधन की तरफ से पूरा सहयोग रिपेरिंग के दौरान मिला था। समय-समय पर एमडी चीनी मिल डा. अनुपमा मलिक की तरफ से कारखाने में सामान को मुहैया करवाया। दिन-रात कर्मचारियोें के साथ मिलकर कारखाने को चलाने में अहम भुमिका निभाई। मशीनरी में खराब पार्ट की जरूरत को समय रहते मिल प्रबंधन की तरफ उपलब्ध करवाया गया, जिसके चलते पेराई सत्र को सुचारू रूप से चलाने में सफल हो रहे है। - डीएस पहल, चीफ इंजीनियर, चीनी मिल सोनीपत


चीनी मिल द्वारा गन्ना पेराई का कार्य गंभीरता पूर्वक किया जा रहा है। समस्याओं को पहले ही भापकर सुधार कार्य कर लिया जाता है। जिसके फलस्वरूप चीनी के उत्पादन में वृद्धि हुई है। वहीं इस बार के पेराई सत्र में कुशल इंजीनियर व कर्मचारियों की देखरेख के चलते सुचारू रूप से चलाने में सफल हो हो रहे है। पेराई सत्र में अब तक लाखों रुपये की खोई बेचकर मिल को आर्थिक लाभ मिल चुका है। परिसर में काफी मात्रा में खोई जमा है। जिसे समय अनुसार बेचा जा रहा है। गन्ना उत्पादकों के लिए मिल प्रबंधन की तरफ से हर समय जरूरी कदम उठाने का काम किया जा रहा है। - डा. अनुपमा मलिक, एमडी चीनी मिल सोनीपत

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