चीनी मिल सोनीपत : गन्ना पेराई सत्र ने तोड़ा 20 साल का रिकार्ड, 21.68 करोड़ का अलग से मुनाफा

Sonipat News : चीनी मिल सोनीपत (Sugar Mill Sonipat) में वर्ष 2022-23 का पेराई सत्र समाप्त हो चुका है। चीनी मिल के पेराई सत्र ने 20 साल के रिकार्ड को तोड़ते हुए करोड़ों रुपये की बचत की है। उक्त पेराई सत्र पहले के पेराई सत्रों से बेहतर रहा है। सोनीपत चीनी मिल एमडी डा. अनुपमा मलिक ने कही। उन्होंने बताया कि सोनीपत चीनी मिल में पिछले कुछ वर्षों से पेराई सत्र अपेक्षाकृत ठीक नही बीत रहा था। किसानों को परेशानी झेलनी पड़ रही थी। मिल भी नुकसान में था। ऐसे में इस बार शुरूआत से ही मिल को बेहतर ढंग से चलाने का प्रयास किया गया था।
डा. अनुपमा मलिक ने बताया कि पिछले पेराई सत्र के दौरान मिल में 30 लाख 78 हजार क्विंटल गन्ने की पेराई मिल प्रबंधन की तरफ से की गई थी। जिसके तहत 2 लाख 76 हजार 70 बैग चीनी का उत्पादन किया गया था। वहीं इस बार 30 लाख 75 हजार क्विंटल गन्ने की पेराई की गई तथा 3 लाख 8 हजार 600 बैग चीनी का उत्पादन किया गया। पिछले साल से अधिक चीनी का उत्पादन होने पर मिल को करीब 11.70 करोड़ रुपए का फायदा पहुंचा है। एमडी ने बताया कि इसी तरह से खोई बेचकर भी मिल ने 2 करोड़ 20 लाख रुपए की आमदनी इस बार पिछले साल की अपेक्षा अधिक की है।
मार्च माह के अंत तक गन्ना उत्पादकों के 9182.12 लाख जारी
चीनी मिल में मौजूदा पेराई सत्र में किसानों के साथ हुए गन्ने के करार में लगभग गन्ना खरीदा जा चुका है। चीनी मिल के एमडी डा. अनूपमा मलिक ने बताया कि 31 मार्च तक किसानों से खरीदे गए गन्ने की 9182.12 लाख रुपए की पेमेंट जारी कर दी गई है। जबकि बाकी बचे हुए गन्ने की पेमेंट भी अगले सप्ताह भर के अंदर जारी करने का प्रयास रहेगा। उन्होंने बताया कि पिराई सत्र के दौरान किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न झेलनी पड़े, इसके लिए पूरे सीजन में अटल सेवा कैंटीन का संचालन किया गया। जिसके अंतर्गत महज 10 रुपए प्रति थाली की दर से किसानों को पोष्टिक आहार उपलब्ध करवाया गया है।
गत वर्ष महज 10 दस हजार क्विंटल तो अब की बार एक लाख पांच हजार ज्यादा की खोई
मिल प्रबंधन की तरफ से पेराई सत्र 2022-23 में समय पर रिपेयरिंग का कार्य पूरा करने के बाद पेराई सत्र तेज रफ्तार से चलाया। प्रतिदिन 22 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई क्षमता चीनी मिल की है। जबकि मिल के पेराई सत्र को 22 लाख से ज्यादा क्विंटल गन्ने की पेराई करके नए आयाम स्थापित किए है। बॉयलर को चलाने के लिए खोई का इस्तेमाल किया जाता है। गत वर्ष मिल प्रबंधन की तरफ से महज 10 लाख क्विंटल खोई ही बेची थी। मिल प्रबंधन की तरफ से इस बार एक लाख पांच हजार क्विंटल खोई दो करोड़ बीस लाख से ज्यादा में बेची है। वहीं यार्ड में अब भी खोई जमा है। जिसे बेचने की प्रक्रिया को अमल में लाया जा रहा है।
अप्रैल माह में बेची सबसे महंगी चीनी, ब्रेक डाउन महज 16 घंटे
डा. अनुपमा मलिक ने बताया कि मिल प्रबंधन की तरफ से मैन पावर में करीब 100 से ज्यादा कर्मचारियों को इस पेराई सत्र के दौरान कम रखा गया है। जिसके चलते मिल प्रबंधन को 68 लाख रुपये का अतिरिक्त फायदा पहुंचा। गत वर्ष मिल में काम करने के लिए 474 कर्मचारियों को वेतन दिया गया। वहीं इस बार 373 कर्मचारियों के बलबुते पर पेराई सत्र को चलाकर मिल को मुनाफा देने का काम किया गया है। उन्होंने बताया कि अप्रैल माह में चीनी 3614.42 प्रति क्विंटल के हिसाब से बेची गई। जो प्रदेश के अन्य सहकारिता चीनी मिलों से सर्वाधिक है। वहीं मौजूदा पेराई सत्र में ब्रेक डाउन की घटनाएं नाममात्र ही रही। गत वर्ष जहां 600 घंटों के करीब ब्रेक डाउन पेराई सत्र में रहा। वहीं इस बार महज 16 घंटे ही रहा। कारखाने में कुशल इंजीनियर डीएसपहल व उनकी टीम की मेहनत के चलते पेराई सत्र को सुचारू रूप से चलाने में कामयाब रहे।
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