Sunday Special : गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों की जिंदगी में RBSK ने भरा रंग, ऐसे उठाएं योजना का लाभ, निजी अस्पतालों में फ्री होगा इलाज

Sunday Special : गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों की जिंदगी में RBSK ने भरा रंग, ऐसे उठाएं योजना का लाभ, निजी अस्पतालों में फ्री होगा इलाज
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Sunday Special : कई गरीब लोगों के बच्चों को इतनी गंभीर बीमारियां हुई कि उनके उपचार का लाखों का खर्चा था। अपने बच्चों को खोने का डर इन अभिभावकों को रात को सोने नहीं दे रहा था। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की आरबीएसके ( राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ) योजना इन अभिभावकों का सहारा बनी।

हरिभूमि न्यूज : जींद

कोई पलम्बर है तो कोई मजदूरी करता है। पर इन लोगों के बच्चों को इतनी गंभीर बीमारियां हुई कि उनके उपचार का लाखों का खर्चा था। अपने बच्चों को खोने का डर इन अभिभावकों को रात को सोने नहीं दे रहा था। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की आरबीएसके ( राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ) योजना इन अभिभावकों सहारा बनी। अभिभावकों ने मध्यस्थतों के मध्यम से नागरिक अस्पताल स्थित आरबीएसके के प्रभारी डा. रमेश पांचाल से मुलाकात की। डा. रमेश पांचाल ने भी अभिभावकों के दर्द को समझा और तुरंत प्रभाव से इन अभिभावकों का सहयोग दिया। आरबीएसके योजना के तहत इन बच्चों का मुफ्त इलाज नामचीन अस्पतालों में हुआ और आज यह बच्चे स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।

यह है राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम

आरबीएसके योजना के तहत 14 वर्ष से नीचे आयु के बच्चों का इलाज स्वास्थ्य विभाग फ्री में करता है। इसके लिए यदि सुविधाएं सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं हो तो निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य विभाग बच्चों का इलाज करवाता है। इसके लिए जो खर्च आता है, वह स्वास्थ्य विभाग द्वारा वहन किया जाता है। इसके लिए बच्चे का सरकारी स्कूल या आंगनबाड़ी में दाखिला होना जरूरी है। जिन बच्चों के दिल में छेद होता है, उनका मोहाली में, आंखों के लिए भिवानी में तथा होट कटे या तलुओं में दिक्कत होती है, उनका करनाल के निजी अस्पताल में इलाज करवाया जाता है।


जानकारी देते आरबीएसके के प्रभारी डा. रमेश पांचाल

बेटे को थी दिल की बीमारी, नहीं करवा पा रहे थे इलाज

जींद की भगत सिंह कालोनी निवासी परमवीर व उसकी पत्नी मीना ने बताया कि उनकी बेटी नव्या (1) को दिल की बीमारी थी। उनका इतना सामर्थय नहीं था कि वो अपनी बेटी का महंगे अस्पतालों में उपचार करवा सके। जब नव्या छह माह की थी तो उन्हें पता चला कि इसे दिल की बीमारी है। इसे लेकर वो अस्पताल में आए और पूछताछ की। तब उन्हें डा. रमेश पांचाल मिले और फिर उनके सहयोग से आरबीएसके योजना ( rbsk yoajna ) के तहत उनकी बेटी का फोर्टिस अस्पताल में उपचार हो पाया। आप्रेशन होने के बाद वो अब वो पूरी तरह से स्वस्थ है।


एक वर्षीय नव्या जिसके दिल का आप्रेशन करवाया गया और छह माह का प्रतीक, जिसे सफेद मोतिया बिंद था।

बेटे की आंख था महंगा इलाज, नहीं करवा पा रहे थे उपचार

गांव करसिंधु निवासी नवीन व रितु ने बताया कि उनके बेटे प्रतीक को मोतिया बिंद की गंभीर बीमारी थी। वो भी उसका उपचार करवाने में पूरी तरह से असमर्थ थे। बस अपने बेटे के दर्द को सहन नहीं कर पा रहे थे। बेटे के उपचार के लिए वो नागरिक अस्पताल आए और डा. रमेश पांचाल से मिले। उनके सहयोग से ही उनके बेटे का उपचार हो पाया। अब उनका बेटा पूरी तरह से स्वस्थ है।

29 बच्चों के दिल के छेद के ऑपरेशन करवाया : डा. रमेश पांचाल

आरबीएसके के प्रभारी डा. रमेश पांचाल ने बताया कि इस वर्ष जिला स्वास्थ्य विभाग 29 बच्चों के दिल के छेद के ऑपरेशन करवा चुका है। इन पर 2888096 रुपये खर्च आया है। 16 बच्चों की आंखों के टेढ़ेपन का इलाज करवा चुका है। इन पर 209000 रुपये खर्च हुए हैं। 10 बच्चों के पैरों के टेढ़ेपन, तीन बच्चों के कमर के फोड़े के ऑपरेशन करवाए गए। यह नागरिक अस्पताल में हुए, जिन पर 35 हजार रुपये खर्च हुए। चार बच्चों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन करवाए गए, जिन पर एक लाख 20 हजार रुपये खर्च हुए। अन्य बीमारियों के इलाज पर स्वास्थ्य विभाग ने 70050 रुपये खर्च किए।

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