भिवानी की सुनीता करोथवाल ने हिंदी कविताओं को हरियाणवी में किया ट्रांसलेट, हो रही वाहवाही

भिवानी की रहने वाली चर्चित साहित्यकार सुनीता करोथवाल ने भिवानी निवासी हिंदी के प्रसिद्ध कवि राजेश्वर वशिष्ठ की चयनित कविताओं काे हरियाणवी में ट्रांसलेट किया है और इन कविताओं को 'सूरज की बाट' नामक पुस्तक में पब्लिश करवाया है। यह पुस्तक अपनी ही धरती से जुड़े अनुभवों को अपनी मातृभाषा में लाने का एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। सुनीता करोथवाल ने पुस्तक में बड़े ही मनोयोग से इन कविताओं को प्रस्तुत किया है। इन कविताओं को हरियाणवी भाषा में पढ़ते हुए यह लगता ही नहीं कि ये कविताएं हमारे पास अनुवाद के माध्यम से पहुंच रही हैं। राजेश्वर वशिष्ठ, हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित साहित्यकार हैं जिनकी कविता और उपन्यास की दर्जन भर से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। सुनीता करोथवाल ने राजेश्वर वशिष्ठ की चयनित कविताओं का हरियाणवी में भाषांतरण किया है।
इन कविताओं के मूल कवि राजेश्वर वशिष्ठ हिंदी के महत्त्वपूर्ण कवि हैं, जिनकी पुस्तक 'सुनो वाल्मीकि' को हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा 2015 के श्रेष्ठ काव्य संग्रह के रूप में पुरस्कृत किया जा चुका है। राजेश्वर वशिष्ठ की आठ कविता पुस्तकें और चार उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। वशिष्ठ ने पेंगुइन जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की अनेक पुस्तकों का भी अनुवाद किया है। सुनीता करोथवाल और राजेश्वर वशिष्ठ दोनों ही भिवानी के रहने वाले हैं। वशिष्ठ इन दिनों गुरुग्राम में रहते हुए साहित्य सेवा के प्रति समर्पित हैं। यह पुस्तक हरियाणवी भाषा को समृद्ध करेगी और हरियाणवी को एक पूर्ण भाषा के रूप में सम्मान दिलाने की और बढ़ा कदम सिद्ध होगी। यह अपने आप में एक नया प्रयोग भी है। इनकी यह अनुवाद की नई पुस्तक बिम्ब प्रतिबिम्ब प्रकाशन से प्रकाशित हो रही है।
वहीं सुनीता करोथवाल हिंदी और हरियाणवी दोनों भाषाओं में समान दक्षता से लिखती हैं। उन्हें ग्रामीण पृष्ठभूमि होने के कारण हरियाणा की संस्कृति और हरियाणवी भाषा के ठेठ ठाठ की अहम जानकारी है, इसलिए उनकी भाषा अनुवाद में भी श्रेष्ठतम सृजन करती हैं। सुनीता करोथवाल का चर्चित काव्य-संग्रह 'कुछ गुम हुए बच्चे' 2021 में सुनेत्रा पांडुलिपि प्रकाशन पुरस्कार से सम्मानित हो चुका है। सुनीता ने हरियाणवी सीरियल चंद्रो का चूल्हा के लिए स्क्रिप्ट लेखन का कार्य भी किया है।

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