सूरजकुंड मेले का हुआ समापन, राज्यपाल बोले- हुनर हाट योजना से 17 लाख रोजगार उत्पन्न करने की कार्य योजना

सूरजकुंड मेले का हुआ समापन, राज्यपाल बोले- हुनर हाट योजना से 17 लाख रोजगार उत्पन्न करने की कार्य योजना
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राज्यपाल रविवार को सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले के समापन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। इस मौके पर राज्यपाल ने मेले का भ्रमण किया। हरियाणा अपना घर में पहुंचने पर पगड़ी बांधकर उनका स्वागत किया। वहीं उन्होंने मुख्य चौपाल पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखा।

फरीदाबाद। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा है कि देश की राजधानी के नजदीक अरावली की पहाड़ियों के बीच सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला पूरी दुनिया के लिए पर्यटन का बड़ा केंद्र बन चुका है। यह दुनियाभर के शिल्पकारों, बुनकरों व कलाकारों को अपनी कला दिखाने का मौका देता है। राज्यपाल रविवार को सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले के समापन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। इस मौके पर राज्यपाल ने मेले का भ्रमण किया। हरियाणा अपना घर में पहुंचने पर पगड़ी बांधकर उनका स्वागत किया। वहीं उन्होंने मुख्य चौपाल पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखा।

इस मौके पर मिजोरम के राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कंभमपति, केंद्रीय पर्यटन संस्कृति और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी, केंद्रीय बिजली और भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुज्जर, शिक्षा मंत्री कंवरपाल, परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा, बड़खल की विधायक सीमा त्रिखा विशेष रूप से उपस्थित थीं।

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने तकनीक का इस्तेमाल करते हुए मेले को व्यवस्थित तरीके से संपन्न करवाने पर हरियाणा सरकार व मेला आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि हर रोज लगभग एक लाख पर्यटकों का भ्रमण करवाना बेहतर प्रबंधन का परिचायक है। यह मेला देश-विदेश के बुनकरों को अपने उत्पाद बिना मध्यस्तों के सीधा ग्राहकोa को बेचने का अवसर देता है।

राज्यपाल ने कहा कि इस बार शंघाई सहयोग संगठन (SCO) से सम्बन्धित देशों ने मेले में पार्टनर नेशन के रूप में भागीदारी की। हमारे लिए गौरव की बात है कि जी-20 की बैठक में भाग लेने वाले विदेशी मेहमानों ने भी इस मेले के माहौल की प्रशंसा की। इस बार भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र ने छत्तीसवें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला-2023 के लिए थीम स्टेट के तौर पर भाग लिया।

राज्यपाल ने कहा कि हरियाणा में कौशलता को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि से श्री विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी की स्थापना की है। हरियाणा ने क्राफ्ट के कार्य को बढ़ावा देने के लिए मेले के रूप में एक आधार दिया, जो पोर्टल की तर्ज पर कार्य कर रहा है।

यूएई के मथाफी को विदेशी राष्ट्र अवॉर्ड और वुड कार्विंग में केरल के शशिधरण को मिला कलारत्न अवॉर्ड

सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले के समापन समारोह में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने यूएई के मथाफी को मिस्लेनियस कला में विदेशी राष्ट्र अवॉर्ड प्रदान किया जबकि उज्बेकिस्तान के मौहम्मद जोनोव मुमिनजोन को सेरामिक कला में तथा अफगानिस्तान के तैमूर जदा को काॅरपेट कला में अवॉर्ड प्रदान किया। इसी प्रकार जरी कला में आंध्र प्रदेश के पुत्ताराजा को परंपरागत तथा लकड़ी की नक्काशी में केरल के शशिधरण पीए को कलारत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया।

उन्होंने आठ कला शल्पिकारों को कलाश्री अवॉर्ड भी प्रदान किए, जिनमें यूपी के मौहम्मद सलीम, दिल्ली के अनवर अली, छत्तीसगढ़ के मनीराम और राजेश देवांगन, मध्य प्रदेश की शारदा बाई, आंध्रप्रदेश के विनोद, यूपी के मौहम्मद कलीम तथा नागालैंड के इमलीरेनला जमीर के नाम शामिल हैं। इसी प्रकार आठ महान विभूतियों को कला निधि अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया, जिनमें दिल्ली के मोहम्मद मतलूब, पश्चिम बंगाल के आशीष मालेकर, गुजरात के देवजी प्रेमजी वनकर, उड़ीसा के महेश्वर परीदा, यूपी के सलमान, तमिलनाडू के केशवान, हिमाचल प्रदेश के नितिन राणा तथा राजस्थान के गोपाल प्रसाद शामिल रहे।

महामहिम राज्यपाल ने तेलांगना के बुचिरामुलु कोलानू, कर्नाटक के कुमरान, तेलांगना के पीतारामलू, यूपी के शादि जुनैद, अरूणाचल प्रदेश के नादिरलिंग और जॉन पेलिंग, तेलांगना के वेणू गोपाल तथा त्रिपुरा के बादल देवनाथा को कलामणि अवॉर्ड से सम्मानित किया।

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मेले के समापन पर संघाई सहयोग संगठन के देशों और पार्टनर स्टेट नार्थ ईस्ट राज्यों के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों से आए कलाकार व शिल्पकार विदाई के समय शिष्टाचार के नाते एक-दूसरे की संस्कृति में रंगे नजर आए। दो सप्ताह से ज्यादा समय इकट्ठा रहने के बाद मीठी यादों के साथ हुई यह विदाई हर शिल्पकार और पर्यटकों के दिल में मेला की याद ताजा करती रहेगी।

करीब 17 दिन तक चले इस मेले में लगाए गए स्टॉल पर अधिकांश देशों की सभ्यता और संस्कृति, वेशभूषा, एकता और अखंडता को बनाए रखना, कौशल विकास, मेलजोल से रहना आदि शिष्टाचार की मोटी-मोटी बात हर पर्यटक में देखने को मिली। रविवार को मेला समाप्ति पर एक-दूसरे से विदा होते समय मिश्रित संस्कृति के इस मेल-जोल का रंग चढ़ा हुआ दिखाई दिया।

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