सूरजकुंड मेला : विभिन्न देशों व थीम राज्यों के लोक कलाकारों ने दी भव्य गायन, वादन व नृत्यों की प्रस्तुतियां

फरीदाबाद। 36वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशल्पि मेले की मुख्य चौपाल पर एक ओर जहां देश के प्रसद्धि कलाकारों ने अपनी-अपनी बेहतरी प्रस्तुतियां दी। वहीं, दूसरी ओर सूरजकुंड के थीम राज्यों ने भी अपनी-अपने प्रदेश की लोक गीतों व नृत्यों से समां बांध दिया। सोमवार को मेले की मुख्य चौपाल पर पंजाब का भांगड़ा, कोमोरोस व अरमेनिया देश के कलाकारों ने नृत्य की बेहतरीन प्रस्तुति देकर पर्यटकों का मन मोह लिया।
सूरजकुंड मेले की मुख्य चौपाल पर विदेशी कलाकार रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए।
बता दें कि सूरजकुंड मेले में इस बार के 8 थीम राज्यों में से मेघालय भी एक हैं। मेघालय को मेघों का घर कहा जाता है। जहां की ऐतिहासिक भूमि पर बहुत से सुंदर पेड़-पौधे मौजूद हैं, जिसके कारण वहां अधिकतर समय बारिश होती रहती है। मेघालय की राजधानी शिलांग के वंगाला फेस्टिवल में टॉप आए कलाकारों ने नृत्य की भव्य प्रस्तुति दी।
तंजानिया 30 लाख लोगों की आबादी वाला देश है। तंजानिया के दार.एस.सलाम से आए कलाकारों ने पुरातन साजो-सामान जोकि इन कलाकारों ने अपने हाथों से बनाए हैं, उनके साथ पारंपरिक वेशभूषा में हिलिंग गीत की प्रस्तुति दी। रूस देश से आए कलाकारों ने दो रंगों में अपनी प्रस्तुतियां देकर पर्यटकों का मन मोहा। रूस के कलाकारों द्वारा उफा के माध्यम से अपने करीबी को प्रेम का भाव प्रदर्शित करने बारे तथा कुराई (बांसुरी) वाद्य यंत्र के साथ विभन्नि जीव-जंतुओं व वाद्य यंत्रों की ध्वनि सुनाकर पर्यटकों का मन जीत लिया।
सूरजकुंड मेले की मुख्य चौपाल पर विदेशी कलाकार रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत देते हुए।
सूडान की राजधानी खार्तूम से आए कलाकारों ने वर्षा के समय धरती पर बूंद के गिरने पर खेत में बोए गए बीज में से अंकुर निकलने पर खुशी जाहिर करने के दौरान गाए जाने वाले वहां के स्थानीय लोक गीत की प्रस्तुति दी। सूरजकुंड में पहली बार आए भारत से अच्छे संबंध रखने वाल व एशिया का सबसे छोटे देश मालदीव के एमएस ग्रुप के आइडिल में टॉप पर रह चुके कलाकारों ने मेले की मुख्य चौपाल पर बेहतरीन नृत्य, गायन व वादन के साथ सुंदर प्रस्तुति दी। इसी कड़ी में जाम्बिया के कलाकारों ने विवाह से पूर्व से लेकर विवाह के उपरांत घर में आई दुल्हन के साथ ईश्वरीय प्रार्थना करने तक के विवाह संस्कार के सम्पूर्ण नृत्य काडेम्बा की तीन अलग-अलग प्रस्तुतियां दी, जिन्हें देखकर पर्यटक झूम उठे।
सूरजकुंड मेले की मुख्य चौपाल पर बृज के कलाकार मयूर नृत्य प्रस्तुत करते हुए।
कार्निवाल परेड का अंतरराष्ट्रीय मेले में लें आनंद, कलाकारों का रोज शाम को निकलता है रेला
अगर आप गोवा या ब्राजील की कार्निवाल परेड का आनंद लेना चाहते हैं, तो एक बार शाम को सूरजकुंड आ जाइए, यहां रंग-बिरंगी, लाल-गुलाबी, नीली, पीली रोशनी से सरोबार देश-विदेश के नर्तकों व कलाकारों की परेड आपको निराश नहीं करेंगी। अंतर्राष्ट्रीय हस्तशल्पि मेले में रोजाना शाम को सवा छह बजे यह कार्निवाल परेड शुरू हो जाती है, जिसमें पं. बंगाल, असम, पंजाब, मिजोरम, अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम, उज्बेकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, किर्गिस्तान, कजाकस्तान, मालदीव, नेपाल आदि की कलाकार मंडली अपने पारंपरिक परिधान व ढोल, ताशे-बाजे, चिमटे आदि लेकर साथ निकलते हैं और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करते हुए चलते हैं। मेला परिसर में सिक्किम गेट से लेकर वीआईपी धनतेसरी गेट तक इस परेड को देखने के लिए मेले की माल रोड के दोनों ओर दर्शकों का रेला खड़ा रहता है।
सूरजकुंड मेले में कार्निवाल परेड निकालते कलाकार।
चाय पीने वालों को सुकून देगा कश्मीर का कहवा
अंतरराष्ट्रीय हस्तशल्पि मेला उन दस्तकारों और कारीगरों को भी अवसर प्रदान करता है, जो देश के दूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं। इन्हीं में शामिल है भारत के मुकुट कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर से आए हस्तशिल्पी और बुनकर। छोटी चौपाल के समीप स्टाल नंबर 621 पर फहीम, मुमताज और फरहाल पर्यटकों को मौका दे रहे हैं कश्मीर का प्रसिद्ध पेय पदार्थ कहवा पीने का। दालचीनी, केसर, मुलेठी, मेवा, इलायची, चीनी और काहवा पत्ती से इस समावार में गर्म कोयले की आंच में पकाया जाता है। तांबे का बड़ी सुराहीनुमा यह बर्तन भी कलाकृति का एक शानदार नमूना है। इसके बीच में एक पाईप लगा है, जिसमें आंच के लिए कोयला डाला जाता है तथा आस-पास पानी भरा रहता है, जिसमें बनाने की सामग्री डाली जाती है। कहवा पीकर आप स्वयं को तरोताजा महसूस करेंगे। यह चाय से बेहतर पेय है। मुमताज ने बताया कि वह भी कश्मीर से शाल, लेडिज सूट, फेरन, स्टॉल, पुंचु, मफलर आदि लेकर आई हैं। यहां आप कश्मीर के गुलकंद, बादाम, ब्लैक बेरी, ब्लू बेरी, क्रेन बेरी, केसर, शिलाजीत, अखरोट आदि ताकतवर मेवों को भी खरीद सकते हैं।
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