Swachhata Abhiyan : सफाई पर करोड़ों खर्च, रैंकिंग लगातार सुधर रही, फिर भी रोहतक शहर में जगह-जगह कचरा

Swachhata Abhiyan : सफाई पर करोड़ों खर्च, रैंकिंग लगातार सुधर रही, फिर भी रोहतक शहर में जगह-जगह कचरा
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रुपये खूब खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन जिस तरह नगर निगम चाहता है, उस तरह सफाई व्यवस्था बनने में अभी समय लगेगा।

Rohtak News : रोहतक शहर की सफाई व्यवस्था पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं। कुल 210 करोड़ के बजट में करीब 45 करोड़ रुपये सफाई पर खर्च होने हैं। हर साल बजट (Budget) बढ़ाया जा रहा है, पिछले साल करीब 16 करोड़ रुपये था। इसका फायदा भी हुआ। रोहतक स्वच्छता रैंकिंग (Swachhata Ranking) में लगातार आगे बढ़ रहा है। 2016 में स्वच्छता सर्वेक्षण (Swachh Survekshan) में रोहतक (Rohtak) की रैंकिंग देश में 288वीं थी।

सफाई अभियान रंग लाया और 2022 में 38वीं रैंक हासिल की। रैकिंग लगातार सुधर रही है, इसके बावजूद कई जगहों पर कूड़ा खुले में पड़ा नजर आता है। रुपये खूब खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन जिस तरह नगर निगम चाहता है, उस तरह सफाई व्यवस्था बनने में अभी समय लगेगा। नगर निगम में 460 कच्चे और 221 पक्के कर्मचारी हैं। लिफ्टिंग आदि का काम ठेकेदार के कर्मचारी करते हैं। सभी मिलाकर करीब 1350 आदमी हैं।

नगर निगम के सफाई कर्मचारी रेहड़ी तक को तरस रहे हैं। 50 रेहड़ियों की मांग की हुई है, लेकिन मिल नहीं रही। मेयर मनमोहन गोयल ने 20 रेहड़ी दिलवाई भी थी, लेकिन पेमेंट नहीं होने के कारण उन्हें ठेकेदार वापस ले गया।

सुनारियां में डालते हैं कचरा

सुनारियां के पास डंपिंग स्टेशन बना हुआ है। सफाई कर्मचारी वहां कचरा डालते हैं। लेकिन कुछ दिन पहले जींद बाईपास के पास ट्रैक्टर से कचरा डाला जा रहा था। इसकी शिकायत भी की गई थी।

उपकरणों की कमी

सफाई कर्मचारियों को जीटी साफ करने के लिए करनी, लोहे की राड आदि उपकरण भी कम हैं। इस कारण जीटी की सफाई ठीक प्रकार से नहीं हो पा रही। ऐसे में करोड़ों खर्च करने के बाद भी सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है।

हटाए गए हैं कर्मचारी

हाल ही में ठेके पर लगे करीब 550 कर्मचारी हटाए गए थे। इन सभी का तीन महीने का वेतन अटका हुआ है। फिलहाल कुछ को वापस ले लिया गया है, कुछ इंतजार कर रहे हैं। नया टेंडर होगा जिसमें इन कर्मचारियों को वापस नौकरी पर लिया जाएगा।

तीन बार बढ़ाई टेंडर की सीमा

नगर निगम ने सफाई का ठेका एक एजेंसी को दिया था, यह टेंडर 21 दिसंबर 2017 को तीन साल के लिए किया गया था। 2020 में टेंडर खत्म हो गया और 2022 तक इसी टेंडर की समय सीमा बढ़ा दी गई। 31 मार्च 2023 तक फिर समय सीमा बढ़ाई गई। अब इस एजेंसी का ठेका खत्म हो गया। दो महीने के लिए एक दूसरी एजेंसी को ठेका दिया गया।

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