विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों पर लटकी छंटनी की तलवार, सकसं ने दी आंदोलन की चेतावनी

विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों पर लटकी छंटनी की तलवार, सकसं ने दी आंदोलन की चेतावनी
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सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने राज्यपाल व सीएम को पत्र लिखकर 10-15 सालों से काम कर रहे अनुबंध असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों को भरा हुआ मानकर बाकी रिक्त पदों पर स्थाई नियुक्ति करने की मांग की है।

चंडीगढ़। विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों को स्थाई भर्ती से भरने के फैसले से 10 से 15 सालों से रिक्त पदों के विरुद्ध अनुबंध पर काम कर रहे हजारों असिस्टेंट प्रोफेसर पर छंटनी की तलवार लटक गई है। जिसको लेकर असिस्टेंट प्रोफेसर व उनके परिजनों में भारी आक्रोश है और अपने भविष्य को लेकर भारी चिंता है।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले में आवश्यक हस्तक्षेप कर 10-15 सालों से काम कर रहे अनुबंध असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों को भरा हुआ मानकर बाकी रिक्त पदों पर स्थाई नियुक्ति करने की मांग की है। सर्व कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी ने बताया कि सकसं का मानना है कि स्थाई भर्ती कर पुराने अनुबंध कर्मचारियों को नौकरी से बाहर करना रोजगार देना नही है। इसलिए सरकार को विश्वविद्यालयों में सालों से कार्यरत अनुबंध असिस्टेंट प्रोफेसर को रेगुलर करते हुए पूर्ण सेवा सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए। क्योंकि अनुबंध पर लगे असिस्टेंट प्रोफेसर भी सभी औपचारिकताएं पूरी करने के उपरांत ही चयनित हुए थे। उन्होंने दो टूक कहा कि अगर पुराने अनुबंध पर लगे असिस्टेंट प्रोफेसर को नौकरी से निकाला गया तो विश्वविद्यालयों में कार्यरत टीचिंग एवं नान टीचिंग एम्पलाइज इसके खिलाफ सड़कों पर उतरने पर मजबूर होंगे और अन्य विभागों के कर्मचारी भी इस आंदोलन का पुरजोर समर्थन करेंगे।

अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर के प्रदेश स्तरीय संगठन हुकटा के अध्यक्ष विजय कुमार मलिक व महासचिव अजय कुमार ने कहा कि सभी पदों को रिक्त मानने से अनुबंधित शिक्षकों के परिवारों पर आर्थिक संकट आ जाएगा। इनमें से बहुत से कर्मचारी तो उम्र की सीमा भी लांघ चुके हैं, इसलिए जनहित में अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर्ज की सेवाएं नियमित कर सेवा सुरक्षा प्रदान की जाए। संघ हरियाणा राज्य प्रधान सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी ने बताया कि एसकेएस सदैव नियमित भर्ती का पक्षधर है। परंतु इन रिक्त पदों में से एक हज़ार पदों पर अलग-अलग पदनामों से जैसे अनुबंधित, अस्थाई व विजिटिंग फैकल्टी के रूप में असिस्टेंट प्रोफेसर सालों से प्रारंभिक वेतन में छात्रों को शिक्षा दे रहे है। सरकार के इस फैसले से इनमे रोष है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार बिना किसी देरी के तुरन्त नीति बनाकर इन असिस्टेंट प्रोफेसर्ज समेत सभी नॉन रेगुलर कर्मचारियों को नियमित करे और तब तक रेगुलर कर्मचारी के समान वेतन व भत्तों समेत सेवा सुरक्षा प्रदान करे।

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