तालिबानी आतंकवाद : Mdu में पढ़ रहे अफगानिस्तानी छात्रों को सता रही चिंता, परिजनों से नहीं हो पा रही बात, रुपये भी हो चुके खत्म

तालिबानी आतंकवाद : Mdu में पढ़ रहे अफगानिस्तानी छात्रों को सता रही चिंता, परिजनों से नहीं हो पा रही बात, रुपये भी हो चुके खत्म
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भारत और अफगानिस्तान सरकार के बीच द्विपक्षीय समझौते के तहत महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में शिक्षा सत्र 2020-21 में 12 अफगानी छात्रों ने दाखिला लिया था।

हरिभूमि न्यूज : रोहतक

तालिबानी आतंकवादी दिन-प्रतिदिन अफगानिस्तान पर कब्जा जमा रहे हैं। जिसको लेकर अन्तर-राष्ट्रीय समुदाय में चिंता देखी जा रही है। तालिबान और सरकारी सेनाओं के बीच घमासान में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे अफगानी छात्र अब्दुल मनन, अब्दुल रहीम और मुर्तजा के सामने संकट खड़ा हो गया है। परिवारों से हजारों मील दूर ये छात्र शून्य को निहार रहे हैं कि उनके देश में फिर से यह क्या हो गया। अमेरिकी सेनाओं की मौजूदगी में लगभग दो दशक तक अफगानिस्तान में शांति रही। लेकिन जैसे ही अमेरिकी सेनाओं की वापसी शुरू हुई तो तालिबान आतंकवाद ने फिर से सिर उठाना शुरू कर दिया। न केवल सिर उठाया बल्कि चंद दिनों में ही अधिकांश अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया। भारत और अफगानिस्तान सरकार के बीच द्विपक्षीय समझौते के तहत महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में शिक्षा सत्र 2020-21 में 12 अफगानी छात्रों ने दाखिला लिया था।

इनमें से नाै छात्र कोरोना काल के दौरान स्वदेश लौट गए। जबकि तीन इस समय शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इन छात्रों को कुछ दिन तक विश्वविद्यालय इंटर नेशनल हॉस्टल में रखा। लेकिन इसके बाद कोविड-19 की वजह से हॉस्टल बंद कर दिए गए तो इन छात्रों ने पीजी में आश्रय लिया। बीते दिनों में इनकी मातृभूमि अफगानिस्तान में तालिबान की वजह से बड़ा संकट खड़ा हो चुका है। जिसकी वजह से इन छात्रों की परिजनों से बातचीत नहीं हो पा रही है। जेब में पैसे खत्म हो गए हैं क्योंकि इन देश में मची अफरा-तफरी की वजह से इनके परिजन इनके पास पैसे नहीं भेज पा रहे। मंगलवार को अफगानी छात्र अब्दुल मनन, अब्दुल रहीम और मुर्तजा ने हरिभूमि से अपनी पीड़ा साझा की और विश्वविद्यालय प्रशासन से गुहार लगाई है कि संकट की इस घड़ी में उनकी मदद की जाए।

घरवालों से नहीं हो रही बात

गजनी प्रांत अफगानिस्तान के एमडीयू लोक प्रशासन विभाग के छात्र अब्दुल मनन बताते हैं कि कई दिनों से घरवालों से बातचीत नहीं हो रही है। दिन-प्रतिदिन हमारे देश में संकट बढ़ने की जानकारी अन्तर राष्ट्रीय मीडिया से मिल रही हैं। मेरे दिल तो तालिबान की अमानवीय गतिविधियां देख सुनकर कांप रहा है। पता नहीं मेरे घर वाले किस हालत में हैं। मनन राजनीतिक परिवार से संबंध रखता है। मालूम हो कि मनन की मां इस समय विधायक हैं। ऐसे में उनकी जान का सबसे बड़ा जोखिम है। क्योंकि तालिबानी आतंकवादी नेताओं को चुन-चुनकर उनकी हत्या कर रहे हैं।

अन्तर-राष्ट्रीय समुदाय करे हस्तक्षेप

अब्दुल रहीम ने भी महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विभाग में शिक्षा सत्र 2019-21 के लिए दाखिला लिया था। इस समय इनकी परीक्षाएं चल रही हैं। रहीम कहते हैं कि अन्तर-राष्ट्रीय समुदाय ने तुरंत हमारे देश के मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। क्योंकि हालात दिन-प्रतिदिन खराब होते जा रहे हैं। लोग तालिबानी खौफ के चलते देश छोड़ रहे हैं। इनका कहना है कि अफगानिस्तान मामले में तुरंत अन्तर-राष्ट्रीय हस्तक्षेप होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो क्रूर तालिबानी आतंकवादी मानवता की सभी हदें पार कर जाएंगे। रहीम ने कहा कि जब से अमेरिकी सेना की वापिसी शुरू हुई तब से तालिबान ने धीरे-धीरे पैर परासने शुरू किए हैं।

हम अब कहां जाएं

अफगानी छात्र मुर्तजा का भी दर्द कम नहीं है। आंखों में आंसू लिए ये बताते हैं कि हजारों लोगों को तालिबान बेहर्मी से मार रहा है। लेकिन इंटरनेशनल बिरादरी हाथ पर हाथ रखे बैठी है। इन्होंने सवाल किया कि दुनिया में कितनी अन्तर-राष्ट्रीय संस्थान कार्यरत हैं। क्या किसी ने भी अभी तक तालिबान को रोकने की कोशिश की। अमेरिका सेना की वापिसी से पहले ही अन्तर राष्ट्रीय समुदाय ने हमारे देश के लोगों की सुरक्षा के लिए ठोस प्रबंध करने चाहिए थे। लेकिन ऐसा नहीं किया गया तो आज हालात पूरी दुनिया के सामने हैं। मुर्तजा कहते हैं कि इन हालातों में हम अब कहां जाएं। क्योंकि जो लोग अफगानिस्तान में हैं, वे ही तालिबानी आतंकवादियों की वजह से भाग रहे हैं।


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