PGIMS में पहली बार टीएवीआर तकनीक से बचाई दिल के रोगी की जान

हरिभूमि न्यूज: रोहतक
प्रदेश व आसपास के राज्यों के हृदय रोगियों के लिए राहत भरी खबर है। पीजीआईएमएस के कार्डियक सर्जरी व कार्डियोलोजी विभाग के चिकित्सकों की टीम ने दिल की देखभाल में नई उपलब्धि हासिल की है। संस्थान में पहली बार ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) प्रक्रिया से बिहार के रहने वाले करीब 77 वर्षीय बुजुर्ग को जीवनदान दिया गया है।
निदेशक और कार्डियक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. एसएस लोहचब ने बताया कि गत दिनों उनके पास बिहार निवासी हॉल चंडीगढ़ में रहने वाला 77 वर्षीय बुजुर्ग इलाज के लिए आया था, उसे चलने और पर सांस चढ़ने की समस्या व पैरों पर सूजन थी। जांच में पाया गया कि मरीज की हार्ट वॉल्व डेमेज हो चुकी थीं और दिल रक्त का सिर्फ 10 प्रतिशत ही धड़क रहा था। इलाज के सुपरस्पेशलिस्ट चिकित्सकों की टीम बनाई गई, जिसमें कार्डियोलोजी विभागाध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह लालर, राजस्थान हार्ट अस्पताल जयपुर के चीफ इंटरवेंशनल कार्डियोलोजिस्ट डॉ. रविंद्र रॉव, कार्डियोलोजी से डॉ. अश्विनी यादव, डॉ. राजेश नांदल और कार्डियक एनेस्थिसिया के विभागाध्यक्ष डॉ. नवीन मल्होत्रा को शामिल किया गया। उन्होंने बताया कि मरीज की उम्र को देखते हुए ओपन हार्ट सर्जरी संभव नहीं थी, ऐसे में पहली बार संस्थान में टीएवीआर सहारा लिया गया।
तकनीक का यूरोप और यूएसए में ज्यादा इस्तेमाल
यह तकनीक करीब 15 साल पहले ही विकसीत हुई है। डॉ. लोहचब ने बताया कि आर्टरी में कोलेटरल द्वारा कृत्रिम वॉल्व का प्रत्यारोपण किया गया। इस तकनीक का फायदा है कि इसमें बिना चीरफाड़ के ही कृत्रिम हृद्य वाल्व प्रत्यारोपित कर दिया जाता है और मरीज जल्द रिकवरी करके घर जा सकता है। डॉ. लोहचब ने कहा कि यूरोप, यूएसए के चिकित्सकों द्वारा इसी तकनीक को काफी बड़े स्तर पर पसंद किया जाता है, क्योंकि करीब 50 प्रतिशत मरीजों को उम्र व अन्य मेडिकल कारणों से ओपन हार्ट सर्जरी नहीं कर सकते। वहीं इस तकनीक में रिस्क भी काफी कम होता है। डॉ. अश्विनी यादव ने बताया कि 18 अगस्त को मरीज का ऑप्रेशन किया गया था। कुलपति डॉ. अनिता सक्सेना ने चिकित्सकों की टीम को बधाई दी। इस तकनीक से सरकारी क्षेत्र में पीजीआईएमईआर चंडीगढ व एम्स नईिदल्ली में ही ऑपरेशन होता है।
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