32 डिग्री से नीचे तापमान रहता है तो गेहूं उत्पादक किसानों को घबराने की जरूरत नहीं

32 डिग्री से नीचे तापमान रहता है तो गेहूं उत्पादक किसानों को घबराने की जरूरत नहीं
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हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के गेहूं एवं जौं अनुभाग ने किसानों को सलाह दी है कि दिन का तापमान 30 से 32 डिग्री और रात का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है तो किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। एचएयू ने किसानों को गेहूं की फसल में सिंचाई करने की सलाह दी है।

सुरेन्द्र असीजा/फतेहाबाद। पिछले कई दिनों से तापमान में बढ़ोतरी से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच आई थी। पिछले 10 दिनों से यहां का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास चल रहा है, जोकि गेहूं के लिए काफी नुकसानदायक है। हालांकि मंगलवार को पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से मौसम में ठंडक थी, वहीं बुधवार को सुबह से ही ठंडी हवाएं चल रही, जिससे तापमान में गिरावट आई है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के गेहूं एवं जौं अनुभाग ने किसानों को सलाह दी है कि दिन का तापमान 30 से 32 डिग्री और रात का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है तो किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। एचएयू ने किसानों को गेहूं की फसल में सिंचाई करने की सलाह दी है।

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के गेहूं एवं जौं अनुभाग ने प्रदेश के सभी जिलों के कृषि उपनिदेशकों को लिखे पत्र में बताया है कि दिन का तापमान 30 से 32 डिग्री व रात का तापमान 15 डिग्री से नीचे रहता है तो किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। रात व दिन का तापमान मिलाकर औसत 22 डिग्री सेल्सियस गेहूं की पैदावार के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। औसत तापमान 24 डिग्री सेल्सियस तक को फसल सहन कर सकती है, परंतु दिन का तापमान 35 डिग्री से ऊपर होने पर गेहूं के बनने वाले दानों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। फतेहाबाद के कृषि उपनिदेशक डॉ. राजेश सिहाग ने एचएयू के हवाले से बताया कि बढ़े हुए उच्च तापमान से बचने के लिए किसानों को आवश्यकता अनुसार हल्की सिंचाई करनी चाहिए। जब तेज हवा चल रही हो तो किसान सिंचाई को तुरंत रोक दें, अन्यथा फसल गिरने से नुकसान हो सकता है। पत्र में किसानों को सलाह दी गई है कि जिन किसानों के पास फव्वारा सिंचाई की सुविधा है, वह दोपहर को तापमान वृद्धि के समय आधा घंटा फव्वारे से सिंचाई कर सकते हैं।

गेहूं में बढ़े हुए तापमान से बचाव के लिए पोटाशियम क्लोराइड का छिड़काव करें

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के गेहूं एवं जौं अनुभाग ने किसानों को कहा है कि गेहूं में बालियां निकलते समय या अगेती गेहूं जिनकी बालियां निकली हुई हैं, तो भी 0.2 प्रतिशत पोटाशियम क्लोराइड यानि 400 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश (पोटाश खाद) 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करने से तापमान में अचानक हुई वृद्धि से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। पछेती बीजी गई गेहूं में पोटाशियम क्लोराइड का छिड़काव 15 दिन के अंतराल में दो बार करें।

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