तेल के दामों में लगी आग से झुलसा टेक्सटाइल उद्योग

विकास चौधरी : पानीपत
पानीपत का विश्व विख्यात टेक्सटाइल उद्योग जहां पहले कोरोना काल के भीषण दौर से गुजरा, वहीं कोरोना के बढते प्रकोप के चलते जर्मनी में जनवरी में आयोजित होने वाले वर्ल्ड टेक्सटाइल व हैंडीक्राफ्ट मेलों का आयोजन नहीं होने से पानीपत टेक्सटाइल उद्योग को हजारों करोड रूपये का फटका लगा। इस फटके से पानीपत टेक्सटाइल उद्योग उभर भी नहीं पाया था कि भारत में पेट्रोल, डीजल आदि पेट्रोलियम पदार्थों के रेट आसमान पर पहुंच जाने से विश्व विख्यात पानीपत टेक्सटाइल कारोबार की कमर ही टूट गई।
पॉलिस्टर धागा, पेट्रोलियम पदार्थ है, वहीं तेल के रेट बढने के साथ ही पॉलिस्टर धागे के रेट बढने शुरू हो गए थे। पेट्रोलियम पदार्थों के रेट में लगातार इजाफा होने से पॉलिस्टर धागे के रेट 61 रुपये से बढ कर 128 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए है। वहीं धागे के रेट तब तक कम नहीं होगे जब तक तेल के दाम कम नहीं होंगे। वाटरजैट व्यापारी एसोसिएशन के महासचिव अमित तायल ने बताया कि पॉलिस्टर धागे का निर्माण गुजरात में होता है और देश की नामचीन कंपनियां पॉलिस्टर धागा बनाती है, वहीं देश में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत बढने के साथ ही पॉलिस्टर यार्न की कीमत भी बढ़ने लगी। वर्तमान में पॉलिस्टर धागा बनाने वाली कंपनियां एकजुट हो गई और धागे के रेट दुगने कर दिए। पॉलिस्टर धागा बनाने वाली कंपनियों की मोनोपोली के आगे सुक्ष्म, लघु व मध्यम स्तर पर पॉलिस्टर का कपडा बनाने वाले उद्यमी बेबस है।
पॉलिस्टर कपडा बनाने वाली सभी फैक्टरी बंद की
पॉलिस्टर धागे से कपडा बाने वाली फैक्टरियों को टेक्सटाइल व्यापार की दुनिया में वाटरजैट कहा जाता है। वाटरजैट व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष मुल्कराज ने बताया कि पानीपत में प्रति दिन करीब 15 लाख मीटर पॉलिस्टर कपडे का निर्माण होता है। वहीं पॉलिस्टर धागे के रेट दुगने हो चुके है, जबकि बाजार में पॉलिस्टर धागे से बनने वाले कपडे की कीमत व्यापारी वर्ग आपसी कंपटीशन के कारण नहीं बढ़ा पा रहे है, ऐसे विकट हालात में एसोसिएशन के सभी सदस्यों ने बैठक की और धागे के रेट बढ़ने व कपडे की कीमत नहीं बढने के कारण संभावित घाटे को देखते हुए अपनी फैक्टरियां, धागे के रेट सामान्य होने तक बंद रखने का फैसला किया है।
टेक्सटाइल के अधिकतर उत्पादों में होता है पॉलिस्टर धागे का प्रयोग
टेक्सटाइल के अधिकतर उत्पादों में पॉलिस्टर धागे का प्रयोग होता है। फैडरेशन ऑफ इडस्ट्रीयल एसोसिएशन, पानीपत के चेयरमैन भीम सिंह राणा ने बताया कि पॉलिस्टर यार्न से थ्री-डी बैडशीट, कॉटन व पॉलिस्टर यार्न से बनी बैडशीट, बैड कवर, पर्दो का कपडा, कुशन कवर, कारपेट, दरी, फुटमैट, मिंक कंबल, पोलर कंबल, गारमेंट आदि टेक्सटाइल उत्पाद बनते है। वहीं पॉलिस्टर यार्न की कीमत दुगनी होने से भी उत्पादों की लागत बढ़ गई है, जबकि टेक्सटाइल के घरेलू व इंटरनेशनल बाजार में व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के चलते टेक्सटाइल उत्पादों के रेट नहीं बढ़ाए जा सके, यदि कामधंधे को देख कर धाटा भी उठाए तो कितने समय तक, ऐसे हालात में अपने उद्योगों को बंद करने के अलावा उद्यमियों पर अब कोई चारा नहीं बचा है।
पॉलिस्टर यार्न की खरीद फिरोख्त प्रभावित हुई
पॉलिस्टर धागे के रेट बढ़ने से पानीपत में पॉलिस्टर धागे की खरीद फिरोख्त लगभग बंद हो गई है। पानीपत यार्न एसोसिएशन के चेयरमैन सुरेंद्र रेवडी ने बताया कि पॉलिस्टर धागे के रेट तो दीवाली के आसपास ही बढ़ने लगे थे, वहीं जैसे जैसे तेल की कीमत बढ़ी, पॉलिस्टर धागे के रेट बढ़ते चले गए। रेट बढ़ने के कारण बाजार में धागे की डिमांड कम हो गई है या यूं कह ले की बंद हो गई है। बहुत जरूरी आर्डर के कारण ही पॉलिस्टर धागे की बहुत कम खरीद है।
निकट भविष्य में प्रभावित हो सकता है एक्सपोर्ट
नेशनल एक्सपोर्ट कौंसिल के सदस्य विनोद धमीजा ने बताया कि विदेशों में निर्यात होने वाले अधिकतर टेक्सटाइल उत्पादों में पॉलिस्टर धागे का प्रयोग होता है, यदि जल्द ही पॉलिस्टर धागे के रेट में कमी नहीं आई तो आने वाले समय में विदेशों में टेक्सटाइल उत्पादों का एक्सपोर्ट प्रभावित हो सकता है, इसका मुख्य कारण यह है कि विश्व स्तरीय प्रतिस्पर्धा के चलते पानीपत का एक्सपोर्टर अपने उत्पादों के रेट नहीं बढ़ा सकता, यदि रेट बढ़ाएगा तो विदेशी बॉयर ऑर्डर रद्द कर सकता है। ऐसे हालता में तो एक्सपोर्ट विदेशी बॉयरों से टेक्सटाइल उत्पादों के निर्यात के लिए आर्डर नहीं लेगा, कंपटीशन के दौरान में किसी एक्सपोर्टर की आर्थिक हालत ऐसी नहीं है कि वह घाटा खा कर विदेशी बॉयरों की डिमांड पूरी करें।
उद्योग धंधे बंद होगे, बेरोजगारी बढेगी
फैडरशेन ऑफ स्माल स्केल इंडस्ट्री के चेयरमैन यशपाल मलिक ने बताया कि कोरोना काल व इसे संबंधी अन्य कारणों समेत पॉलिस्टर धागे के रेट बढने पानीपत में टेक्सटाइल का सुक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग प्रभावित होना शुरू हो गया है, अधिकतर फैक्टरियों में तीन के बजाए एक या दो शिफ्ट में काम होने लगा है, वहीं जिन फैक्टरियों के पास पॉलिस्टर धागे का स्टाक खत्म होता चला जाएगा और वे बंद होती चली जाएगी। यदि हालात जल्द नहीं सुधरे तो घाटे से बचने के लिए उद्यमी अपने कामधंधे बंद करेंगे और प्रवासी लेबर बेरोजगार हो जाएगी, क्यों की पानीपत के अधिकतर उद्यमियों की आर्थिक स्थित ऐसी नहीं है कि वे लंबें समय तब अपनी खाली बैठी लेबर को वेतन दे सके।
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