Diwali : त्रिपुष्कर योग में पंच पर्व दीपोत्सव की शुरुआत, बन रहे कई शुभ योग

Haryana : इस बार महालक्ष्मी का पंच पर्व दीपोत्सव त्रिपुष्कर योग में शुरू होगा। 5 दिन तक चलने वाला दीपोत्सव त्रयोदशी से भाई दूज तक चलेगा। पहला पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनाध्यक्ष कुबेर के पूजन से शुरू होकर मृत्यु के देवता यमराज के लिए दीपदान तक चलेगा। पंडित कृष्ण कुमार बहल वाले ने बताया कि त्रयोदशी तिथि मंगलवार सुबह 11:31 से शुरू होगी और बुधवार सुबह 9:03 तक रहेगी।
त्रिपुष्कर योग सूर्योदय से सुबह 11:31 बजे तक रहेगा। रूप चतुर्दशी 3 नवंबर बुधवार को सर्वार्थसिद्धि योग मनाया जाएगा। 4 नवंबर को दीपावली, 5 को गोवर्धन पूजा के साथ देवी अन्नपूर्णा की पूजा और अन्नकूट महोत्सव भी रहेगा। 6 नवंबर को विशेष योगों के बीच भाई दूज पर्व मनेगा। उन्होंने बताया कि धनतेरस को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने बताया कि तीन तारीख को सुबह 9:02 मिनट तक त्रयोदशी तिथि रहेगी तथा शास्त्रों के अनुसार जिस तिथि का समय सुर्योदय के बाद रहता है उसका महत्व उस दिन पूरे दिन माना जाता है इसलिए जिन लोगों को धनतेरस आज मनानी है वो आज मना सकते हैं तथा जिनको कल मनानी है वो कल भी मना सकते हैं।
धनतेरस : दीपदान की होगी शुरुआत चिकित्सक अमृतधारी भगवान धनवंतरी की पूजा करेंगे। इसी दिन से दीप जलाने की शुरुआत होगी। पंडित के अनुसार लोकाचार में इस दिन खरीदे गए सोने या चांदी के धातुमय पात्र अक्षय सुख देते हैं। लोग नए बर्तन या दूसरे नए सामान खरीदेंगे। धनतेरस के दिन सुबह सूयार्ेदय से लेकर रात के 8:35 बजे तक खरीदी के लिए शुभ समय रहेगा। धनतेरस पर पुष्कर और सिद्ध योग रहेगा, जो कि बेहद शुभ रहता है। इस योग में खरीदारी करना अति उत्तम माना गया है।
दीपावली : गणेश महालक्ष्मी पूजन अथर्ववेद में लिखा है कि जल, अन्न और सारे सुख देने वाली पृथ्वी माता को ही दीपावली के दिन भगवती लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। कार्तिक अमावस्या के दिन प्रदोषकाल में माता लक्ष्मी के साथ गणपति, सरस्वती, कुबेर और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है।
गोवर्धन पूजा बंटेगा अन्नकूट : दीपावली के अगले दिन राजा बली पर भगवान विष्णु का विजयोत्सव है। वेद में उल्लेख है कि विष्णु जी ने वामन रूप धरकर 3 पदों में पूरी सृष्टि को नाप लिया था। श्रीकृष्ण ने इस दिन गोवर्धन को धारण किया था। इस दिन शहर में अनेक स्थानों पर अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया जाएगा ।
भाईदूज : पंडित कृष्ण कुमार ने बताया कि पुराण में लिखा है कि इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया था। इसी कारण लोग आज भी अपने घर मध्याह्न का भोजन नहीं करते कल्याण और समृद्धि के लिए भाई को इस दिन अपनी बहन के घर में ही स्नेह वश भोजन करना चाहिए।
इस प्रकार करें पूजा
सिद्धपीठ बाबा जहरगिरी आश्रम के पीठाधीश्वर श्री महंत डॉ अशोक गिरी ने बताया कि धनतेरस पर जिस भी धातु या फिर बर्तन अथवा ज्वैलरी की खरीदारी की है,उसे चौकी पर रखें,लक्ष्मी स्त्रोत, श्री सुक्त लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्त्रोत का पाठ करें, धनतेरस की पूजा के दौरान लक्ष्मी माता के मंत्रों का जाप करें श्री महंत ने बताया कि धन त्रयोदशी पूजा का शुभ मुहूर्त. र्शाम 5 बजकर 25 मिनट से शाम 6 बजे तक,प्रदोष काल. शाम 5:39 से 8:14 बजे तक,वृषभ काल. शाम 6:51 से 8:47 तक करे।
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