Sonipat : BSF जवान की मौत के बाद शव लेने से क्यों इनकार कर रहे परिजन

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले में तैनात सीमा सुरक्षा बल(BSF) के जवान सुरेश का पार्थिव शरीर रविवार को उनके गन्नौर क्षेत्र के गांव आहुलाना पहुंचा तो परिजनों व ग्रामीणों ने पार्थिव शरीर को सेना के ट्रक से उतारने से मना कर दिया। सूचना के बाद गांव में पुलिस पहुंची तो परिजनों का कहना कि सुरेश ने आत्महत्या नहीं की बल्कि वह शहीद हुआ है।
वहीं शव के साथ पहुंचे बीएसएफ के इंस्पेक्टर ने मीडिया के सामने कोई भी जवाब देने से मना कर दिया।ग्रामीणों व परिजनों का कहना है कि सीमा सुरक्षा बल का कोई उच्च अधिकारी आकर कहे कि जवान ने आत्महत्या नहीं की बल्कि वह शहीद हुआ है तो उसके बाद ही हम अंतिम संस्कार करेंगे।
परिजनों का कहना कि उन्हें शनिवार की सुबह सूचना मिली थी कि कांकेर जिले के पखांजूर थाना क्षेत्र में आने वाले गोड़ा और डोटोमेट गांव के बीच एक जवान ने अपनी सर्विस रायफल एके 47 से खुद को गोली मार ली। तैनात 157वीं बटालियन के जवानों को शुक्रवार को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था। दल के जवान जब शनिवार सुबह वापस लौट रहे थे तब अपने शिविर से लगभग दो सौ मीटर पहले कुमार ने खुद को गोली मार ली।
जवान की पत्नी व बच्चों सहित परिजनों का रो रोकर बुरा हाल
जवान के मरने की सूचना जैसे ही परिजनों को मिली तो मृतक की पत्नी सुदेश देवी व उनके बेटे रोहित व सचिन का रो रोकर बुरा हाल है। मृतक की पत्नी विलाप करते हुए कह रही कि उन्हें क्या पता था कि वह शुक्रवार की शाम को उनसे आखरी बात कर रही है। जवान सुरेश ने अपनी पत्नी से हाल चाल जानने के बाद कहा कि था कि अब देर हो गई है तुम भी खाना खा लो और मैं भी खा लूंगा।
17 मार्च को गया था जवान डयूटी पर वापस आने के लिए 7 जून को बोला था
जवान की पत्नी सुदेश देवी ने विलाप करते हुए बताया कि उनका पति 17 मार्च को ड्यूटी पर गया था। उसके बाद फोन पर लगभग प्रतिदिन बात होती थी। कई दिन पहले जब आने के लिए पूछा तो बच्चों को बताया कि वह जल्दी ही छुट्टी मिलने के बाद घर आएगा।
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