2002 में हुई थी चोरी, थाने-कोर्ट के चक्कर काट-काट जवानी से आ गया बुढ़ापा, अब तक दर्ज नहीं हुई एफआईआर

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़
चोरी की एक एफआईआर दर्ज कराने के लिए एक व्यक्ति थाने-कोर्ट के चक्कर लगाते-लगाते बूढ़ा हो गया लेकिन आज तक उसे न्याय नहीं मिल सका है। लगभग 19 साल से इधर-उधर भटक रहे पीडि़त बुजुर्ग ने एक बार फिर सीएम विंडो में शिकायत देकर न्याय की गुहार लगाई है। छोटूराम पार्क के निवासी रामचंद्र ने कहा है कि मामला दो मई 2002 की रात का है। उस रात वह अपने घर की गैलरी में सो रहा था। तब एक पड़ोसी व्यक्ति अपने तीन कामगारों के साथ उसके मकान में दाखिल हुआ। उसे नशीली वस्तु सुंघा दी और घर के अंदर रखे ब्रीफकेस से तीस हजार रुपये चुरा लिए। उसे सुबह होश आया तो ब्रीफकेस टूटी अवस्था में पड़ा था।
पड़ोसियों ने बताया कि किन लोगों ने चोरी की है। अगले दिन तीन मई को वह सिटी थाने में शिकायत देने गए। लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की और एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी। थाने व पुलिस अधिकारियों के कई चक्कर काटने के बाद जब न्याय नहीं मिला तो अदालत का दरवाजा खटखटाया गया। लेकिन वहां भी कुछ ऐसा ही हुआ। जेएमआईसी कोर्ट में पांच सांल तक शिकायत लंबित रख दी गई। उस जज के तबादले के बाद 2009 में फिर से प्रयास किया तो खारिज कर दी गई। इसके बावजूद हार नहीं मानी और सेशन कोर्ट झज्जर में अपील कर दी। वहां सेशन जज ने मामले में दिलचस्पी ली कि उनका भी तबादला हो गया। फिर मामला ऐसे ही चलता गया। इस तरह से लगभग 19 साल तक पुलिस-न्यायाधिकारियों के चक्कर काट-काट कर थक गया लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। अब बेहद आस के साथ सीएम विंडो में शिकायत दी है। उन्हें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल इस शिकायत पर संज्ञान लेंगे और उसे न्याय दिलाएंगे।
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