कार में लग गई थी आग, जान पर खेलकर किसानों ने परिवार को बचाया

कार में लग गई थी आग, जान पर खेलकर किसानों ने परिवार को बचाया
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कार मालिक प्रदीप ने कहा कि गनीमत रही कि आंदोलन के चलते यहां किसान मौजूद थे, जिस कारण उसकी व परिवार की जान बच पाई। वह सदैव किसानों के आभारी रहेंगे। शहर में भी इस घटना की दिनभर चर्चा रही।

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़

कृषि कानून रद्द कराने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे किसान शहर के निवासी एक परिवार के लिए मसीहा बन गए। किसानों ने आग लगने के बाद कार में फंसे एक परिवार को सुरक्षित बाहर निकालकर उनकी जान बचाई। परिवार ने किसानों का आभार जताया है। किसानों के इस प्रयास की शहरभर में प्रशंसा की जा रही है। दरअसल, धर्म विहार के निवासी प्रदीप कुमार शनिवार की रात को अपनी कार में सवार होकर बालाजी मंदिर जा रहे थे।

पत्नी व बच्चे भी कार में सवार थे। कुछ ही दूरी पर बाईपास के नजदीक मेट्रो पिल्लर नंबर 797 के पास पहुंचे ही थे कि कार में आग लग गई। यह देख प्रदीप ने गाड़ी साइड में लगा दी। बाहर निकलने के प्रयास किए लेकिन गाड़ी लॉक हो चुकी थी। आग डेशबोर्ड तक आ चुकी थी। बचने के लिए प्रदीप व परिवार के सदस्यों ने खूब हाथ पांव मारे लेकिन खिड़कियां नहीं खुलीं। संकट में घिरे इस परिवार के लिए आंदोलनकारी किसान संकट मोचक बनकर सामने आए। नजदीक ही पड़ाव डाले किसानों ने गाड़ी में लगी आग देखी तो तुरंत दौड़कर गए और पानी से आग बुझानी शुरू कर दी।

आग नियंत्रण में आई तो शीशा तोड़ कर परिवार को बाहर निकाला। सभी सुरक्षित थे लेकिन घबराए हुए थे। जान बची तो प्रदीप व उसके परिवार ने किसानों का आभार जताया। इस बचाव कार्य के दौरान कुछ किसानों को चोट भी लग गई। एक किसान के हाथ में छह टांके आए हैं। प्रदीप ने कहा कि आग कैसे लगी, कुछ पता नहीं। गाड़ी भी ज्यादा नहीं चली थी। गनीमत रही कि आंदोलन के चलते यहां किसान मौजूद थे, जिस कारण उसकी व परिवार की जान बच पाई। वह सदैव किसानों के आभारी रहेंगे। उधर, शहर में भी इस घटना की दिनभर चर्चा रही। सोशल मीडिया पर किसानों के इस प्रयास को खूब सराहा गया। बता दें कि प्रदीप कुमार सब्जी विक्रेता हैं। पिछले कई दिनों से आंदोलन में सेवा कर रहे थे। लोगों का कहना है कि प्रदीप का यही सेवाभाव आज उसके काम आ गया। जिन किसानों की सेवा कर रहा था, उन्हीं ने उसका परिवार बचा लिया।

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