सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा -किसानों पर दर्ज मुकदमों को तुरंत किया जाये रद्द

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा -किसानों पर दर्ज मुकदमों को तुरंत किया जाये रद्द
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राज्य सभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा रविवार को कुलताना पहुंचे और कार्यक्रमों में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने हरियाणा-पंजाब के किसानों पर मुकदमे दर्ज किये जाने पर नाराजगी जताई। सांसद ने कहा कि ये पहली सरकार है जो किसानों को प्रताड़ित करने में नंबर-1 है। क्योंकि, 10 हजार किसानों पर एक साथ मुकदमा इससे पहले कभी दर्ज नहीं हुआ था। सांसद ने तुरंत सभी केस रद करने की मांग की है।

राज्य सभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा रविवार को कुलताना पहुंचे और कार्यक्रमों में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने हरियाणा-पंजाब के किसानों पर मुकदमे दर्ज किये जाने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि आन्दोलनरत किसानों को देश में कहीं किसी ने नहीं रोका, लेकिन हरियाणा की सरकार ने उन्हें बलपूर्वक रोका, वाटर कैनन की बौछारें और आंसू गैस के गोले मारे अब बेगुनाह हजारों किसानों पर मुकदमे दर्ज करा दिए।

सांसद ने कहा कि ये पहली सरकार है जो किसानों को प्रताड़ित करने में नंबर-1 है। क्योंकि, 10 हजार किसानों पर एक साथ मुकदमा इससे पहले कभी दर्ज नहीं हुआ था। सांसद ने तुरंत सभी केस रद करने की मांग की है।

राज्यसभा सासंद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि आंदोलन में हरियाणा के किसान शामिल नहीं हैं। दूसरी तरफ हजारों किसानों पर मुकदमे दर्ज करा रहे हैं। किसान देश का पेट भर रहा है और उसका बेटा देश की सीमाओं की रक्षा कर रहा है।

अगर ये भी देश भक्त नहीं हैं तो फिर कौन देश भक्त हैं। किसान की देश भक्ति पर जो शक कर रहा है वह ही देशभक्त नहीं है। हुड्डा ने कहा कि किसान की आवाज़ दबायी नहीं जा सकती और किसी जोर-जबरदस्ती से कुचली नहीं जा सकती। केंद्र और हरियाणा सरकार का रवैया अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।

आंदोलन करना राजनीतिक अधिकार

सासंद हुड्डा ने कहा कि अपने जायज हकों की मांग के लिए संविधान और लोकतंत्र के दायरे में शांतिपूर्ण आन्दोलन कर रहे किसानों के साथ हरियाणा की सरकार ने जिस तरह का अमानवीय बर्ताव किया है वो कतई स्वीकार्य नहीं है। सासंद ने कहा कि दोहरापन छोड़कर सरकार किसानों पर दर्ज फर्जी मुकदमे तुरंत रद्द करे और किसान को दबाने के कुप्रयास बंद करे।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि किसान की मांगें पूरी तरह जायज हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और एमएसपी से कम पर खरीदने वाले के लिए सजा का प्रावधान जब तक नहीं होगा तब तक किसी क़ानून का किसानों के लिए कोई औचित्य नहीं है।

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