दि सहकारिता चीनी मिल सोनीपत : करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी नहीं बढ़ी पेराई की क्षमता, अब होगी जांच

दि सहकारिता चीनी मिल सोनीपत : करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी नहीं बढ़ी पेराई की क्षमता, अब होगी जांच
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धरातल पर क्षमता पहले की तरह पाई गई। जबकि पेराई क्षमता बढ़ाने को लेकर करीब 10 करोड़ रुपये की राशि को खर्च होना दर्शाया जा रहा हैं। उच्च अधिकारियों ने मामले को लेकर रि-इंक्वायरी के लिए अतिरिक्त जिला उपायुक्त (एडीसी) को जांच सौंपी हैं।

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत

दि सहकारिता चीनी मिल सोनीपत में पेराई क्षमता को बढ़ाने के नाम पर करोड़ों रुपये की राशि खर्च की गई, लेकिन पेराई क्षमता ज्यों की त्यों बनी हुई हैं। मिल में स्थापित कारखाने में बढ़ाई क्षमता के हिसाब से गन्ना पेराई नहीं हो सका हैं। जिसको लेकर मामले की जांच करवाई गई थी। जिसमें मिल की पेराई क्षमता महज कागजी फाइलों में बढ़ी हुई मिली। धरातल पर क्षमता पहले की तरह पाई गई। जबकि पेराई क्षमता बढ़ाने को लेकर करीब 10 करोड़ रुपये की राशि को खर्च होना दर्शाया जा रहा हैं। उच्च अधिकारियों ने मामले को लेकर रि-इंक्वायरी के लिए अतिरिक्त जिला उपायुक्त (एडीसी) को जांच सौंपी हैं।

बता दें कि शहर के कामी सड़क मार्ग स्थित दि सहकारिता चीनी मिल के साथ क्षेत्र के करीब 2000 गन्ना उत्पादक किसान जुड़े हुए हैं। मिल के स्थापित होने के साथ ही उसकी पेराई क्षमता को लेकर सवाल खड़़े होने लगे थे। मिल की पेराई क्षमता प्रतिदिन 16 हजार क्विंटल गन्ने की होती थी। जिसे वर्ष 2019-20 पेराई सत्र में बढ़ाते हुए 22 हजार क्विंटल प्रतिदिन करने का दावा प्रदेश सरकार के मंत्री व मिल प्रबंधन की तरफ से किया गया था। पेराई क्षमता बढ़ाने को लेकर मिल प्रबंधन की तरफ से करीब 10 करोड़ रुपये खर्च होने की बात कही गई। करीब दो पेराई सत्र गुजरने के बाद भी पेराई क्षमता वैसी ही हैं। जिसके चलते गन्ना उत्पादकों में रोष व्याप्त हैं। फेडरेशन की तरफ से उक्त मामले की जांच करवाई गई। जिसमें काफी खामियां सामने आई थी। अब फिर से मामले की रि-इंक्वायरी अतिरिक्त जिला उपायुक्त (एडीसी ) को सौंपी गई हैं।

तकनीकी खराबियों से जुझाता रहा पेराई सत्र

चीनी मिल सोनीपत में मिल की पेराई क्षमता को 22 हजार क्विंटल गन्ने की करने को लेकर प्रदेश सरकार के मंत्रियों की तरफ से सार्वजनिक मंचों पर वाहवाही लूटी गई। जबकि धरातल पर पेराई क्षमता पहले ही तरह ही होने बताई जा रही हैं। पेराई क्षमता बढ़ाने के लिए करीब 10 करोड़ की भारी-भरकम राशि के खर्च होने की बात कही गई हैं। कारखाने में हालत देखने से दस करोड़ की राशि कहा खर्च की गई। इसका पता नहीं लग पा रहा। वर्ष 2021-22 के पेराई सत्र के लिए मिल प्रबंधन की तरफ से जिले के गन्ना उत्पादकों के साथ 36 हजार क्विंटल गन्ने का बॉड किया गया, लेकिन इस पेराई सत्र में तकनीकि खराबियों की वजह से महज 30 लाख 80 हजार क्विंटल गन्ने की पेराई हो पाई। जबकि उक्त पेराई सत्र को 10 दिन पहले शुरू किया गया था।

दूसरे मिलों में करना पड़ता हैं गन्ना ट्रांसफर

वर्ष 2021-22 पेराई सत्र को 10 नवम्बर 2021 को शुरू किया गया था। इस सत्र का अंत 1 जून 2022 को हुआ था। पेराई सत्र के अंतिम एक महीनें में तो पेराई की रफ्तार बेहद धीमी हो गई थी। औसतन हर रोज 14 से 16 हजार क्विंटल गन्ने की ही पेराई हो रही थी। पूरे पेराई सत्र में चुनिंदा दिनों को छोड़कर कभी भी मिल ने अपनी पेराई क्षमता के हिसाब से गन्ने की पेराई नहीं कर पाया। जिसकी वजह से किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। मिल प्रबंधन की तरफ से करीब 7 लाख क्विंटल गन्ना दूसरी मिलों में ट्रांसफर करने पर मजबूर होना पड़ा था। हालांकि इसमें से अधिकतर गन्ना वापस सोनीपत चीनी मिल में ही पेराई के लिए पहुंचा था।

करीब दो पेराई सत्र पहले मिल की पेराई क्षमता को बढ़ाने के लिए करोड़ो रुपये की राशि को खर्च किया गया था। गन्ना उत्पादकों के हितों में ध्यान रखते हुए प्रदेश सरकार ने उक्त कदम को उठाने का काम किया था, लेकिन तीन पेराई सत्र बीत जाने के बाद भी क्षमता के हिसाब से पेराई नहीं हो पा रही हैं। उच्च अधिकारियों की तरफ से मामले की रि-इंक्वायरी के लिए फाइल भेजी गई हैं। जल्द जांच प्रक्रिया को पूरा कर उच्च अधिकारियों के पास भेज दिया जायेगा। शांतनु शर्मा, अतिरिक्त जिला उपायुक्त सोनीपत।

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