भिवाड़ी की फैक्ट्रियों का दूषित पानी बिगाड़ रहा सड़काें और लोगों की सेहत

हरिभूमि न्यूज. रेवाड़ी
पड़ौसी राज्य राजस्थान के औद्योगिक कस्बा भिवाड़ी की फैक्ट्रियों का दूषित पानी धारूहेड़ा व आसपास के गांवों के लोगों पर लगातार आफत बनकर टूट रहा है। इस केमिकलयुक्त पानी का दिल्ली-जयपुर नेशनल हाइवे पर जमावड़ा यहां से गुजरने वाले वाहन चालकों के लिए जहां जाम में फंसने का कारण बन रहा है, वहीं खेतों में एकत्रित होने वाला यह पानी हर लिहाज से लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाला साबित हो रहा है। नियमित अंतराल के बाद दोनों राज्यों के अफसरों की इस संबंध में मीटिंग तो होती है, लेकिन यह मीटिंग जलपान तक सिमटकर रह जाती है। इस क्षेत्र के लोगों पर लगातार कैंसर व किडनी जैसी गंभीर बीमारियों का साया मंडराया रहता है। उद्योगपतियों के साथ सांठगांठ के चलते अधिकारी इस दिशा में ठोस कदम उठाने से बचते हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस मामले में अब अधिकारियों को 30 अप्रैल तक जवाब दायर करने के आदेश जारी किए हैं।
भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र से भारी मात्रा में गंदा पानी धारूहेड़ा के सेक्टर-6 से होते हुए सीधा नेशनल हाइवे पर फ्लाईओवर के निकट एकत्रित होता है। पानी का बहाव अधिक होने के कारण यह सीवर लाइन से खेतों की ओर कम निकल पाता है। नेशनल हाइवे पर हमेशा गंदा पानी एकत्रित रहता है। इससे यहां सड़क बार-बार टूट जाती है। कई जगह सड़क पर बड़े गड्ढे बने हुए हैं, जो वाहन चालकों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। जलभराव के कारण यहां वाहनों की गति धीमी पड़ जाती है। भिवाड़ी की ओर जाने वाहनों को निकलने में काफी समय लगता है, जिससे फ्लाईओवर के पास दिल्ली से जयपुर की ओर जाने वाले वाहन जाम में फंस जाते हैं। शाम के समय तो हालात ऐसे बन जाते हैं कि वाहनों को यहां से निकलने में एक घंटे से भी ज्यादा समय लग जाता है। दुपहिया वाहन चालक गड्ढों में गिरकर घायल होते रहते हैं। एंबुलेंस तक को जाम के कारण यहां से निकलने में काफी समय लगता है। पर्यटकों को भी यहां से गुजरते हुए अजीब नजारा देखने को मिलता है।
सीएम के संज्ञान में मामला, फिर भी कार्रवाई नहीं
राजस्थान से आने वाले गंदे पानी का मामला सीएम मनोहरलाल तक के नोटिस में डाला गया था। सीएम ने इस मामले में राजस्थान के सीएम से बीतचीत कर, समस्या के समाधान का आश्वासन भी दिया था। इसके बावजूद इस दिशा में अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। वर्षों से चली आ रही इस समस्या का निदान कागजों में अक्सर होता रहता है। रेवाड़ी और भिवाड़ी के प्रशासनिक अधिकारियों की समय-समय पर 'टेबल टॉक' भी होती रहती है, परंतु जमीनी स्तर पर कोई योजना सिरे नहीं चढ़ पाती। सबसे बुरा हाल हलकी बरसात के समय होता है। कई उद्योगों में कैमिकलयुक्त पानी का भंडारण किया जाता है, ताकि वह प्रदूषण नियंत्रण विभाग की कार्रवाई से बच सकें। हल्की बरसात होते ही इस भंडारित पानी को छोड़ दिया जाता है। इसके बाद यह पानी सीधे धारूहेड़ा की ओर रुख कर लेता है। बरसात के बाद रंगीन पानी सड़कों पर फैलते हुए खेतों तक चला जाता है। इस समय सहगल पेपर मिल के पास इस पानी ने बड़े तालाब का रूप ले रखा है।
ट्रीट करने के बाद पानी मसानी बैराज में छोड़ा जाना था
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान सरकार की ओर पांच सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए करीब 150 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया था। अभी तक भिवाड़ी में एक ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट है। शेष चार का निर्माणकार्य अभी तक पूरा नहीं हो सका है। दोनों अधिकारियों के बीच पूर्व में हुई बातचीत में यह तय हुआ था कि कैमिकलयुक्त पानी को ट्रीट करने के बाद सीवर लाइन के जरिए मसानी बैराज में छोड़ा जाए। बैराज तक सीवर लाइन तक का कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। यह गंदा पानी सहगल पेपर मिल के पास एकत्रित रहता है। एक ओर यह पानी जमीन को खराब कर रहा है, तो दूसरी ओर भूमिगत जल में मिलकर लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार इस गंदे पानी की अवैध निकासी की आड़ में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी व कर्मचारी जमकर चांदी काटते हैं।
समाधान के प्रयास किए जा रहे : डीसी
इस मामले में राजस्थान के अधिकारियों के साथ कई बार बात हो चुकी है। इसके स्थाई समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं। -यशेन्द्र सिंह, डीसी।
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