ट्रक की टक्कर में ठेकेदार ने खो दिए पैर, कोर्ट ने दिया 69 लाख 25 हजार रुपये मुआवजे का आदेश

हरिभूमि न्यूज:रोहतक
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आर के यादव की अदालत ने हादसे में अपना पैर गंवाने वाले युवक को 69 लाख 25 हजार 395 रुपये का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। ट्रक का बीमा करने वाली कम्पनी को एक माह में सात प्रतिशत ब्याज के साथ घायल काे राशि देनी होगी। मामला चार साल पहले का है। जब रात के समय शीला बाईपास के पास बेकाबू ट्रक ने कार को टक्कर मार दी थी। हादसे में शिकायतकर्ता का पैर कट गया। जिसके बाद अदालत में केस दायर किया गया था।
16 मई 2017 की रात को वह अपने दोस्त विश्वदीप निवासी मॉडल टाउन की सियाज कार में अस्थल बोहर जा रहा था। वह कार में साइड की सीट पर बैठा हुआ था जबकि कार विश्वदीप चला रहा था। जब वह दिल्ली बाई पास चौक से शीला बाईपास की तरफ जा रहे थे तो सड़क के बाई साइड की सड़क पर काम चलने के कारण ट्रैफिक एक तरफ रोड से ही चल रहा था। जब वह पुलिया नम्बर 2 सेक्टर -1 के पास एक बजे पहुंचे तो सामने से आ रहे एक ट्रक ने उनकी कार में सामने से टक्कर मार दी। जिससे उसकी तरफ की अगली खिड़की खुल गई और वह गाड़ी से नीचे सड़क पर गिर गया। पीछे से आ रही एक अन्य गाड़ी ने भी उनकी कार को टक्कर मार दी, जिससे कार सड़क के एक तरफ चली गई और वह सड़क पर पड़ा रहा। उसके दाहिने पैर को हादसे में कुचल दिया गया। उसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उसका पैर ठीक नहीं हुआ।
पैर काटना पड़ा : अस्पताल में इलाज भी किया गया पर पैर नहीं ठीक हुआ और काटना पड़ा। हादसे को ट्रक चालक ने लापरवाही की वजह से अंजाम दिया। पुलिस ने ट्रक चालक पर केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी थी। कार्तिक की तरफ से अधिवक्ता नवीन सिंघल ने एडीएसजे कोर्ट में केस दायर किया, जिसमें ट्रक चालक सतीश निवासी नई दिल्ली, ट्रक मालिक नवीन निवासी ण्ज्ज्जर, बीमा कम्पनी, कार मालिक और कार का बीमा करने वाली कम्पनी को पार्टी बनाया गया।
कोर्ट ने सुबूतों के आधार पर सुनाया फैसला, चालक दोषी : मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नामजद पार्टी को तलब किया। कोर्ट सुबूतों को देखते हुए पाया कि ट्रक चालक की लापरवाही की वजह से युवा कार्तिक को अपना पैर गंवाना पड़ा, जिससे उसका जीवन बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है। हादसे की वजह से उसके रोजगार को भी लेकर भी संकट आ गया। कोर्ट ने नेशनल इंश्योरेंस बीमा कंपनी को 69 लाख 25 हजार 395 रुपये कार्तिक को देने का फैसला सुनाया। कम्पनी को राशि के साथ सात प्रतिशत का ब्याज देना होगा। अगर राशि एक माह के बाद दी गई तो बीमा कंपनी को 8 प्रतिशत का ब्याज साथ देना होगा।
इलाज में डॉक्टर उसका पैर नहीं बचा सके : कार्तिक हादसे का शिकार हुआ था। उपचार के बाद भी डॉक्टर उसका पैर नहीं बचा सके। जिसके बाद कोर्ट में केस दायर किया गया था। कोर्ट ने बीमा कम्पनी को 69 लाख 25 हजार 395 रुपये शिकायकर्ता को देने के आदेश दिए हैं।- नवीन सिंघल, अधिवक्ता शिकायत पक्ष
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