किसान पिता ने जमीन बेचकर बेटी को डॉक्टर बनने के लिए भेजा था यूक्रेन, पिता और बेटी की आपबीती सुनकर रो देंगे आप

किसान पिता ने जमीन बेचकर बेटी को डॉक्टर बनने के लिए भेजा था यूक्रेन, पिता और बेटी की आपबीती सुनकर रो देंगे आप
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अगर यूक्रेन की पढ़ाई का आधार समाप्त होता है तो किसान की बेटी के सपने अधूरे रह जाएंगे और किसान की बिक चुुुकी जमीन का मकसद भी पूरा नहींं हो सकेेेगा। इसलिए किसान को जीवन भर मलाल रहेगा की जमीन बेचने केेे बावजूद बेटी को डॉक्टर नहीं बना पाया।

दलबीर सिंह : भूना-फतेहाबाद

किसान ने अपनी बेटी को डॉक्टर बनाने के लिए 2 एकड़ जमीन बेचकर यूक्रेन भेजा था। भूना के मध्यम वर्ग के किसान ने 20 लाख रुपए से अधिक बेटी की मेडिकल पढ़ाई पर खर्च कर चुके हैं। अगर यूक्रेन की पढ़ाई का आधार समाप्त होता है तो किसान की बेटी के सपने अधूरे रह जाएंगे और किसान की बिक चुुुकी जमीन का मकसद भी पूरा नहींं हो सकेेेगा। इसलिए किसान को जीवन भर मलाल रहेगा की जमीन बेचने केेे बावजूद बेटी को डॉक्टर नहीं बना पाया। किसान गुरदीप सिंह की बेटी प्रियाजोत ने बारहवीं कक्षा की मेडिकल परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद एक डॉक्टर बनकर समाज सेवा करने का सपना संजोए हुए थी। जिसको लेकर किसान गुरदीप सिंह भी चिंतित था। क्योंकि भारत में मेडिकल दाखिले के लिए पर्याप्त मात्रा में पैसा नहीं था। इसलिए बेटी को डॉक्टर बनने के लिए यूक्रेन भेजने की रणनीति बनाई। जिसमें गुरदीप सिंह की वृद्ध माता इंद्रकौर व पत्नी गुरमीत कौर ने मनोबल बढ़ाया। किसान ने 2 एकड़ जमीन बेचकर बेटी को यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के लिए भेजने की तैयारी की गई थी।

छात्रा प्रियाजोत का पासपोर्ट बनवाया और वीजा लगने के बाद यूक्रेन भेज दिया गया। प्रियाजोत लवीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी यूक्रेन में द्वितीय वर्ष की छात्रा है। नवंबर 2020 को प्रियाजोत ने यूक्रेन की लवीव मेडिकल यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया था। प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा पास करके वह जुलाई में वापस आ गई थी। मगर द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा को लेकर वह अगस्त 2021 में यूक्रेन वापस चली गई थी। जिसे परीक्षा देने के बाद जुलाई में वापस आना था। मगर अब यूक्रेन व रूस के बीच युद्ध होने के कारण प्रियाजोत का डॉक्टर बनने के सपने पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि देश के प्रधानमंत्री ने यूक्रेन से लौटे मेडिकल विद्यार्थियों के लिए भारत में विकल्प तलाशने के लिए मौखिक दिशा निर्देश दिए हैं।

यूक्रेन में चारों और चीख-पुकार तथा भगदड़ से मची हुई थी

छात्रा प्रियाजोत ने बताया कि लवीव में लगातार बमबारी होने के कारण चारों ओर चीख-पुकार तथा भगदड़ से मची हुई थी। यूनिवर्सिटी में भारतीय स्टूडेंट पूरी तरह से डरे और घबराए हुए थे। मगर भारतीय दूतावास ने मदद करने की बजाय उनके फोन रिसीव करने बंद कर दिए थे। छात्रा ने बताया कि 25 फरवरी को यूनिवर्सिटी से एक टैक्सी पर पोलैंड बॉर्डर जाने के लिए पांच छात्राएं एक साथ निकली थी। लेकिन टैक्सी चालक ने बॉर्डर से 25 किलोमीटर दूर नीचे उतार दिया और आगे जाने से मना कर दिया। परंतु वह पैदल बॉर्डर तक पहुंची। मगर उन्हें भूखे- प्यासे 4 दिनों तक लगातार लाइनों में खड़े रहना पड़ा। वहां का मौसम 4 डिग्री माइनस था। बॉर्डर पर भारत के लोगों के साथ यूक्रेन सैनिक नाइंसाफी कर रहे थे। छात्रा ने बताया कि वहां के सैनिक भारत को रूस का समर्थक होने से उन्हें प्रताड़ित कर रहे थे। छात्रा ने कहा कि वहां के काफी भारत के स्टूडेंट के साथ मारपीट की गई है। जिनमें कई छात्र छात्राओं को चोटें भी लगी है। छात्रा ने देश के प्रधानमंत्री से प्रार्थना की है कि यूक्रेन में बचे हुए भारतीय छात्र छात्राओं को जल्द से जल्द लाया जाए।

पोलैंड बॉर्डर पर भारतीय छात्र-छात्राओं के साथ हो रही है बदसलूकी और मारपीट

छात्रा प्रियाजोत ने बताया कि पोलैंड बॉर्डर पर लाइनों में लगे हुए भारतीय छात्र- छात्राओं के साथ यूक्रेन सैनिकों ने बदसलूकी और मारपीट की। लेकिन जो भी कोई छात्र-छात्राएं वीडियो बनाता तो उसका फोन छीन कर डिलीट कर देते थे और बंदूक मुंह पर लगाकर गोली मारने की भी धमकी देते थे। इसलिए यूक्रेन में भारत के लोग यूक्रेन में काफी डरे हुए हैं।

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